नई दिल्ली, पीटीआइ। पत्रकार जमाल खशोगी की हत्या के आरोपों का सामना कर रहे सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान को प्रदान की गई छूट (इम्युनिटी) का बचाव करने के दौरान अमेरिकी विदेश विभाग के अधिकारी द्वारा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का अनावश्यक संदर्भ दिए जाने पर भारत ने नाराजगी व्यक्त की है।विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने इस बारे में पूछे गए सवालों के जवाब में कहा, ‘सच कहूं तो मैं नहीं समझ पाया कि प्रधानमंत्री मोदी पर टिप्पणी (अमेरिकी अधिकारी को) कैसे प्रासंगिक, आवश्यक या संदर्भ से जुड़ी थी।’
भारत और अमेरिका के बीच मजबूत हो रहे हैं संबंध
उन्होंने भारत और अमेरिका के द्विपक्षीय संबंधों का जिक्र करते हुए कहा, ‘हमारे दोनों देशों के बीच बहुत ही विशेष संबंध हैं, जो और मजबूत हो रहे हैं। हम इसे और गहरा करने के लिए अमेरिका के साथ काम करने की आशा करते हैं।’
वेदांत पटेल ने पीएम मोदी का किया जिक्र
पत्रकार जमाल खशोगी की हत्या पर सऊदी युवराज को छूट दिए जाने के बारे में पूछे जाने पर अमेरिकी विदेश विभाग के प्रमुख उप-प्रवक्ता वेदांत पटेल ने पिछले शुक्रवार को कहा था कि यह पहली बार नहीं है, जब अमेरिका ने ऐसा किया है और प्रधानमंत्री मोदी सहित यह पूर्व में कई राष्ट्राध्यक्षों के लिए लागू किया गया है।
पीएम मोदी के अमेरिका जाने की खबरें गलत
बागची ने यह भी कहा कि दिसंबर में प्रधानमंत्री के अमेरिका जाने संबंधी खबरें भी गलत हैं। साथ ही उन्होंने हाल में बाली में जी-20 शिखर सम्मेलन से इतर मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन के बीच संक्षिप्त द्विपक्षीय बैठक के संबंध में विदेश मंत्री एस. जयशंकर और व्हाइट हाउस के प्रवक्ता के हवाले से झूठी टिप्पणियों के बारे में इंटरनेट मीडिया पोस्ट को भी खारिज कर दिया।
अमेरिका के समक्ष नहीं उठाया वीजा में देरी का मुद्दा
भारत के लोगों को अमेरिका का पर्यटक या कारोबारी वीजा मिलने में तीन वर्ष का समय लगने संबंधी रिपोर्टों के बीच विदेश मंत्रालय ने कहा कि उसने यह मामला अमेरिका के समक्ष नहीं उठाया है, लेकिन भारत उम्मीद करता है कि किसी भी देश की वीजा प्रणाली अपेक्षाओं के अनुरूप और कम समय वाली होनी चाहिए। मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक, अमेरिका के बी1 (कारोबारी) और बी2 (पर्यटक) वीजा के लिए भारत में आवेदकों के लिए प्रतीक्षा की अवधि लगभग 1,000 दिनों की है।
म्यांमार, कंबोडिया व लाओस से बचाए 370 भारतीय
बागची ने बताया कि म्यांमार, कंबोडिया और लाओस से जाब रैकेट के शिकार 370 से अधिक भारतीयों को बचाया गया है। म्यांमार में फर्जी जाब रैकेज में फंसे भारतीयों के मामलों को यंगून, बैंकाक और चियांग माय में भारतीय मिशन सक्रियता से उठा रहे हैं। उन्होंने कहा कि भारत एवं अन्य स्थानों से लोगों को लालच देकर फंसाया गया और इनमें से कुछ म्यांमार, लाओस और कंबोडिया में फंस गए।
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बागची ने कहा, ‘हमने करीब 200 लोगों को म्यांमार से बचाया और इनमें से 153 को वापस लाया गया है। शेष 50 लोगों को वापस लाने की प्रक्रिया चल रही है।’ उन्होंने कहा कि लाओस से 64 लोगों और कंबोडिया से 108 लोगों को बचाया गया है।
कतर के समक्ष उठाया आठ पूर्व नौसेना अधिकारियों का मामला
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि कतर में भारतीय नौसेना के आठ पूर्व अधिकारियों को हिरासत में लिए जाने के मामले को वहां के प्रशासन के समक्ष लगातार उठाया गया है। हिरासत में बंद भारतीयों को राजनयिक पहुंच उपलब्ध कराने के लिए प्रयास जारी हैं। बागची ने कहा, ‘हम इस मामले पर बहुत करीब से नजर रखे हुए हैं। दोहा में हमारा दूतावास स्थानीय अधिकारियों के नियमित संपर्क में है। इनके परिवार के कुछ लोगों को मिलने के लिए आने की अनुमति दी गई है।’
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इन भारतीय नागरिकों को हिरासत में लेने के कारणों के बारे में पूछे जाने पर प्रवक्ता ने कहा कि इन्हें हिरासत में लेने या गिरफ्तार किए जाने के कारणों के बारे में कतर प्रशासन से पूछा जाएगा। इस विषय को उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ की हाल की कतर यात्रा के दौरान उठाए जाने के सवाल पर प्रवक्ता ने कहा कि उन्होंने कभी यह नहीं कहा कि उपराष्ट्रपति ने इसे उठाया। मालूम हो कि कतर में हिरासत में लिए गए पूर्व अधिकारी निजी कंपनी दाहरा ग्लोबल टेक्नोलाजी एंड कंसल्टेंसी के लिए काम कर रहे थे।
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Edited By: Achyut Kumar
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