इंदौरएक घंटा पहले
बीते सालों में हमारी लाइफ स्टाइल और खाने पीने के तौर-तरीके बहुत बदल गए हैं। कई वैरायटियों का खाना खाने से हम बहुत सी पेट की बीमारियों के संपर्क में आ चुके हैं। पेट से संबंधित बीमारियां किसी न किसी तरह से हमारे जीवन को प्रभावित करती हैं। इनमें कुछ सबसे आम पेट की समस्याओं में क्रोनिक डायरिया, पुरानी कब्ज, पेट में जलन (गैस्ट्रोएंटेराइटिस), अल्सर, बवासीर और गैस्ट्रोइसोफेजियल रिफ्लक्स डिजीज (GERD) शामिल हैं। GERD पेट संबंधी बहुत ही आम समस्या है। सामान्य भाषा में इसे एसिडिटी भी कहते हैं। उचित समय पर उपचार न मिले तो भविष्य में कई बीमारियों को भी जन्म दे सकता है।
यह बात पेट एवं लीवर रोग विशेषज्ञ डॉ. हरिप्रसाद यादव ने 20 से 26 नवम्बर के बीच मनाए जाने वाले ‘GERD अवेयरनेस वीक’ के महत्व पर मीडिया से कही। उन्होंने बताया कि GERD एक ऐसी बीमारी है जो अकसर लापरवाही के कारण होती है। कुछ लोग इसे पेट में होने वाली सामान्य सी जलन या थोड़ी सी एसिडिटी समझकर अनदेखा कर देते हैं जबकि यह एक पाचन संबंधी समस्या है। इसमें पेट में बिना पचा खान-पान मुंह और पेट को जोड़ने वाली जगह (ईसोफैगस) में लौटने की कोशिश करता है। आम भाषा में इसे एसिड रिफ्लक्स भी कहा जाता है। यदि किसी व्यक्ति को हफ्ते में दो बार से अधिक एसिड रिफ्लक्स के लक्षणों का अनुभव हो रहा है तो उसको GERD हो सकता है। हालांकि शुरुआत में यह सामान्य और हानिरहित लग सकता है लेकिन अगर ध्यान नहीं दिया जाए, तो यह व्यक्ति की दैनिक जीवन शैली को बाधित कर सकता है।
GERD के ये हैं लक्षण
– एसिड रिफ्लक्स।
– जी मचलाना।
– उल्टी।
– निगलने में कठिनाई।
– बदबूदार सांस।
– छाती में दर्द।
– गले में खराश या कर्कश आवाज।
इन कारणों से होता है GERD
– बार-बार अधिक मात्रा में भोजन करना।
– भरपेट से ज्यादा खाना खाने के तुरंत बाद लेटना।
– धूम्रपान, शराब,, सोडा, कॉफी, शराब जैसे ड्रिंक्स।
– प्रोसेस्ड, तेलयुक्त खान-पान।
– मोटापा।
– बीमारियां जैसे, हाइटल हर्निया, रुमेटीइड गठिया, स्क्लेरोडर्मा या ल्युपस।
– गर्भावस्था।
इन बातों का रखें ध्यान
जब GERD के इलाज की बात आती है तो हमेशा डॉक्टर से परामर्श लेना चाहिए। दवाई की दुकानों पर मिलने वाली बिना प्रिस्क्रिप्शन की दवाइयां जैसे एंटासिड, H2 रिसेप्टर ब्लॉकर्स, प्रोटॉन पंप इनहिबिटर असर कर सकती है पर दवाई की मात्रा, लेने का समय, सावधानियों को ध्यान में न रखा जाए तो ये नुकसान भी कर सकती है। सारे मामलों में दवाइयां जरूरी हो, ऐसा नहीं है। हो सकता है डॉक्टर सिर्फ जीवन शैली में बदलाव लाने का सुझाव देकर भी उपचार कर सकते हैं जैसे-
– संतुलित वजन बनाए रखें।
– ऐसे खाद्य पदार्थों से बचें जो अत्यधिक संसाधित, चिकना और तला हुआ हो।
– कैफीन, सोडा और साइट्रस जूस से बचें।
– शराब का सेवन न करें।
– छोटे हिस्से (Portion Control) में बार बार खाना खाएं यानी ओवर इंटिंग की स्थिति न हो।
– धूम्रपान बंद करें।
– नियमित व्यायाम और योग जिससे शरीर को आराम मिले।
– शाम का भोजन जल्दी करें।
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