जयपुर, 9 नवंबर (हि.स.)। राजस्थान हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश पंकज मित्थल ने कहा कि आज अस्पृश्यता और बाल अपराधों को लेकर ध्यान देना जरूरी है। कुछ सपने बच्चों के होते हैं और हमें इसी दिशा में काम करने का प्रयास करना होगा। इसलिए जरूरी है कि विधिक जागरुकता घर-घर पहुंचे। सीजे मित्थल विधिक सेवा दिवस पर राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण की ओर से आयोजित छुआछूत और बाल अपराधों पर आयोजित समारोह को संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी ने छुआछूत को खत्म करने का बीडा उठाया था और ऐसे लोगों को हरिजन की संज्ञा दी थी। छुआछूत को लेकर मुंशी प्रेमचंद की ओर से लिखी कहानी भी समाज में छुआछूत को इंगित करती है। उन्होंने कहा कि पोस्टर और प्रचार से ही पॉक्सो के मामले दूर नहीं होंगे। इसके लिए अच्छे चरित्र का निर्माण करना होगा। जब व्यक्ति में चरित्र निर्माण होगा तो राष्ट्र का निर्माण भी दूर नहीं होगा। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए जस्टिस पंकज भंडारी ने कहा कि जातिगत दीवार समाज से खत्म नहीं हुई है। उन्होंने पॉक्सो अपराध के मामलों को लेकर पुलिस की कार्यशैली पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि छोटी बालिकाओं के लापता होने पर पुलिस का रोल अच्छा नहीं होता। पुलिस ऐसे मामलों में पॉक्सो एक्ट के बजाए सिर्फ अपहरण का मामला दर्ज करती है। ऐसे में सभी डीजे को जिला एसपी को बुलाकर इस सबंध में समझाना होगा।
जस्टिस भंडारी ने लीगल सर्विस में फिजूल का खर्च भी कम करने की बात कही। उन्होंने कहा कि वह पास के गांव में रह रहे हैं। वहां जब कोई मुझे पानी पिला रहा होता है तो लोग कहते हैं कि साहब आप इनके हाथ का पानी पिएंगे? ऐसे में मुझे उन्हें समझाना पडता है कि समाज में सभी समान है। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए जस्टिस प्रकाश गुप्ता ने कहा कि प्राधिकरण की ओर से समाज के वंचित वर्ग को विधिक सहायता उपलब्ध कराने को लेकर प्रयास किए जा रहे हैं। कार्यक्रम में हाईकोर्ट के अन्य जजों सहित प्राधिकरण के सदस्य सचिव दिनेश गुप्ता मौजूद रहे।
हिन्दुस्थान समाचार/पारीक/संदीप
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