सुख, समृद्धि और सद्भाव की कामना संग जीवन में उल्लास जगाने वाले सबसे बड़े त्योहार दीपावली का आगमन एक ऐसा अवसर है, जो चारों ओर-घरों से लेकर बाजारों तक और शिक्षालयों से लेकर कार्यालयों तक उत्सव का आभास कराता है। इसीलिए उसकी आतुरता से प्रतीक्षा रहती है और उसके लिए हर कोई अपने स्तर पर विशेष तैयारी करता है। यह तैयारी ही समाज और देश में आशा एवं उत्साह का संचार करती है। शेष कार्य दीपावली के अवसर पर होने वाली खरीदारी, साफ-सफाई, मेल-मिलाप और झिलमिलाता प्रकाश पूरा कर देता है।
चूंकि लोक जीवन में दीपावली के आगमन की आहट नवरात्र के आगमन और विजयदशमी संपन्न होते ही सुनी जाने लगती है, इसलिए यह भारत और दुनिया भर में बसे भारतीयों का सबसे बड़ा त्योहार है। यह लोक पर्व न केवल जीवन की एकरसता को तोड़ता है, बल्कि उसमें उमंग के रंग भरता है और जीवनचर्या को एक अतिरिक्त ऊर्जा भी प्रदान करता है। यह ऊर्जा ही व्यक्ति, समाज और अंततः राष्ट्र को गति प्रदान करती है। वैसे तो हमारे सारे त्योहार यही करते हैं, लेकिन दीपावली कहीं व्यापक रूप से करती है और इसीलिए उसकी आभा कहीं अधिक है और वह निरंतर बढ़ती जा रही है। इसी कारण अब दीपावली की अंतरराष्ट्रीय महत्ता भी रेखांकित होने लगी है।
प्रकाश पर्व दीपावली अंतरराष्ट्रीय स्वरूप रूप ले और उसे पूरे विश्व में सबके सुख, सबकी समृद्धि और सबकी शांति की कामना संग मनाया जाए, इसके लिए हरसंभव प्रयास हम भारत के लोगों को करने चाहिए। इससे विश्व समुदाय न केवल भारतीय संस्कृति से परिचित होगा, बल्कि इससे भी अवगत होगा कि ऐसे त्योहार साझा रूप से मनाए जाने कितने आवश्यक हैं।
आज के आपाधापी वाले युग में अपनी परंपराओं से जुड़ने, प्रकृति के परिवर्तनकारी रूप से परिचित होने और मानव जीवन की जिजीविषा का महत्व समझने की जितनी आवश्यकता है, उतनी पहले कभी नहीं थी। चूंकि इस आवश्यकता की पूर्ति दीपावली कहीं अद्भुत तरीके से करती है, इसलिए उसे अंतरराष्ट्रीय रूप प्रदान करने की कोशिश सबको करनी चाहिए। यदि ऐसा किया जा सके तो इससे विश्व में अपनत्व भी बढ़ेगा, लोक मंगल की भावना को बल मिलेगा और यह संदेश भी सर्वत्र पहुंचेगा कि हर तरह के अंधकार पर विजय पाने के साथ इस मंत्र को समझने-गुनने की आवश्यकता बढ़ गई है कि व्यक्ति विशेष की प्रसन्नता औरों की प्रसन्नता पर निर्भर है एवं मनुष्य मात्र के हित के साथ ही प्राणि मात्र के हित की भी और यहां तक कि प्रकृति एवं पर्यावरण की भी चिंता करनी चाहिए।
ध्यान रहे कि यही भारतीय संस्कृति का मूल है। चूंकि दीपावली अंधेरे के बीच प्रकाश और आस की खोज का पर्व है, इसलिए यह खोज देश ही नहीं, दुनिया को भी करनी चाहिए और वह भी आपस में मिलकर।
Edited By: Praveen Prasad Singh
श्रेय: स्रोत लिंक
इस बारे में चर्चा post