-सबस्टेशनों के फीडर से निकलने वाली बिजली से लेकर डीटीआर तक बिजली आपूर्ति एवं खपत का लेखा-जोखा के लिए तैयार हो रहा है मैक्निजम
-सीएम के निर्देश के बाद जेबीवीएनएल हुआ रेस, वर्तमान में बिजली खरीदी से कम आ रहा है राजस्व
Kaushal Anand
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Ranchi: जेबीवीएनएल को अब अपने पैरों पर खड़ा होना होगा. अपने घाटे को कम करना होगा. इसकी तैयारी में जेबीवीएनएल जुट गया है. जेबीवीएनएल के घाटे में चलने का मुख्य कारण एटीएंसी लॉस एक प्रमुख कारण है. इसकी वजह से बिजली खरीदी पर अधिक और राजस्व की कम प्राप्ति होती है. पिछले दिनों मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने ऊर्जा विभाग की समीक्षा बैठक के दौरान बिजली अफसरों को एनर्जी एकाऊंटिंग करने का निर्देश दिया था. सीएम का स्पष्ट कहना था कि किस फीडर से कितनी बिजली खपत की जा रही है और उसके बदले में कितना राजस्व आ रहा है. इसका मूल्यांकन बहुत जरूरी है. सीएम के इस निर्देश के बाद जेबीवीएनएल इसका मैक्निजम तैयार करन में जुट गया है. हालांकि पूरे देश में झारखंड ही एक ऐसा राज्य है जहां पर एनर्जी अकाउंटिंग नहीं होती है यानी की बिजली की आपूर्ति कितनी हो रही है. राजस्व कैसे प्राप्त हो रहा है. इसके आंकलन का सिस्टम अब तक यहां विकसित नहीं हो सका है. केंद्रीय विद्युत नियामक आयोग ने भी जेबीवीएनएल को 2025 तक एनर्जी अकाउंटिंग शुरू करने का निर्देश दे रखा है. अब सीएम के निर्देश के बाद इस दिशा में काम होने लगे हैं. जेबीवीएनएल का अब भी एटीएंसी लॉस 32 प्रतिशत के करीब है. जबकि इसका राष्ट्रीय औसत 15 प्रतिशत है.
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एटीएंसी लॉस के मुख्य कारण
जेबीवीएनएल का एटीएंसी लॉस मुख्यत: दो तरीके से होता है. टेक्नीकल लॉस एवं कॉर्मिशियल लॉस. टेक्नीकल लॉस में पुराने, लंबे और जर्जर बिजली के तार, पुराने ओवरलोडेड ट्रांसफर्मर, ओवरलोडेट ट्रांसमिशन एवं डिस्ट्रीब्यूशन लाइन आदि शामिल है. जबकि कॉर्मिशयल लॉस में औसतन पूरे वर्ष कोरोना के चलते हुए लॉक डाऊन के कारण उपभोक्ताओं के द्वारा बिल जमा नहीं करना भी रहा. करीब 16 लाख उपभोक्ता जो सुदूर ग्रामीण क्षेत्र के हैं. इनका मीटर रीडर के द्वारा मीटर रीडिंग नहीं किया जाता है. करीब 10 लाख उपभोक्ता का मीटर रीडर के द्वारा मीटर रीडिंग नहीं होने तथा बिल जमा नहीं किये जाने से लॉस बढ़ता जा रहा है.
ऐसे कम किया जाएगा टेक्निकल लॉस
-अब जेबीवीएनएल टीएनडी लॉस के टेक्निकल लॉस को कम करने की कार्ययोजना तैयार की जा रही है.
– रांची सहित पूरे झारखंड में शेष बचे सभी 33 एवं 11 केवी लाइन को पूरी तरह से भूमिगत करना.
-33 केवी लाइन की दूरी और सब-स्टेशनों की दूरी कम की जाएगी. राज्य में ऐसे कई 33 केवी लाइन और सब-स्टेशन हैं जिसकी दूरी तय मानक से अधिक है. इसके कारण भी तकनीकी लाइन लॉस होता है.
– रांची सहित कई क्षेत्रों के शहरी इलाका में झारखंड संपूर्ण बिजली अच्छादन (जसवे) योजना के तहत चल रहे 33 केवी का अंडरग्राऊंड कार्य किया गया है. जहां यह पूर्ण हो गया है वहां तकनीकी हानि में कमी आयी है. इससे वोल्टेज में सुधार तथा फीडरों की लंबाई कम होगी.
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इस तरह तैयार होगा एनर्जी अकाउंटिंग सिस्टम
-कॉर्मिशियल लॉस को कम करने की भी कार्ययोजना बनायी गयी है.
– फीडर एवं ट्रांसफर्मर में मीटर लगा का एनर्जी अकाउंटिंग के लिए एबीटी मीटर लगाया जाएगा.
-रांची, धनबाद, जमशेदपुर के शहरी क्षेत्रों में स्मार्ट प्री-पेड मीटर लगाया जाएगा. इससे बिजली चोरी कम होगी.
-राज्य के सभी छूटे हुए उपभोक्ताओं को मीटर से जोड़ा जाएगा. जिसकी संख्या अब भी लाखों में है.
-भारत बिल भुगतान सिस्टम के माध्यम से डिजिटल पेमेंट मोड को बढ़ावा दिया जाएगा. एटीपी मशीन की सुविधा बढ़ायी जाएगी.
-कैश कलेक्शन वैन की सुविधा दी जाएगी.
-उर्जा मित्र (मीटर रीडर) के 90 प्रतिशत कवरेज के लक्ष्य को प्राप्ति के लिए दी जाएगी सुविधा.
-उपभोक्ताओं की मैपिंग के लिए जीआईएस तकनीक सिस्टम लागू की जा रही है. ताकि उर्जा मित्र द्वारा की गयी बिजली बिल की निगरानी की जा सके.
बिजली खरीदी और राजस्व प्राप्ति का आंकड़ा
कुल बिजली खरीद पर खर्च : करीब 600 करोड़ रूपए
राजस्व से प्राप्ति करीब : 430-500 करोड़ रूपए
कहां से कितनी बिजली ली जाती है
सिकिदिरी हाईडल- 100 से 130 मेगावाट
टीवीएनल -160 से 300 मेगावाट
आधुनिक पावर -189 मेगावाट
स्वतंत्र कंपनी डीवीसी (केवल डीवीसी कमांड एरिया के सात जिले में आपूर्ति)-750 मेगावाट
इन्लैंड-53 मेगावाट
सीपीपी -17 से 35 मेगावाट
सेंट्रल सेक्टर से ली जाने वाली बिजली
एनटीपीसी, फरक्का, भूटान, एनएचपीएल व सेट्रल सेक्टर की कंपनी से-1200 मेगवाट के करीब
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