Publish Date: | Tue, 01 Nov 2022 11:34 PM (IST)
बिलासपुर(नईदुनिया प्रतिनिधि)। कानन पेंडारी जू की नील गाय को कोरिया स्थित गुरु घासीदास टाइगर रिजर्व में छोड़ने के लिए बोमा तकनीक अपनाई जाएगी। दरअसल जिस दवा से बेहोश कर शिफ्टिंग की तैयारी थी, वह कारगर साबित नहीं हो रही है। दवा से नील गाय बेहोश ही नहीं हो रही हैं। हालांकि बैंगलुरु से दूसरी दवा मंगाई गई है। इसमें कुछ समय लगेगा। जब तक दवा नहीं आती बोमा तकनीक से प्रयास किया जाएगा। हालांकि इस तकनीक से केवल छोटी गाय को शिफ्ट किया जाएगा।
कानन पेंडारी जू से 21 नील गाय गुरु घासीदास टाइगर रिजर्व में छोड़ना है। दो गायों की शिफ्टिंग हो भी चुकी है। हालांकि इस बीच दीपावली पर्व आ गया। इसलिए पर्व के बाद शिफ्टिंग का निर्णय लिया गया। इस दौरान नील गाय को ट्रैंक्यूलाइजर गन से बेहोश किया गया। पर जैसे ही उन्हें उठाकर वाहन पर रखने के लिए पहुंचे एक गाय उठकर झुंड की तरफ चली गई और दूसरी आधे होश में थी। प्रबंधन ने किसी तरह जोखिम नहीं उठाया। इसके बाद शिफ्टिंग बंद कर दी गई। हालांकि बेहतर दवा मंगाने के लिए उच्चधिकारियों से अनुमति मांगी गई।
इसके बाद संबंधित कंपनी को आर्डर भी दे दिया गया, लेकिन दवा आने में कुछ समय लगेगा। इधर कानन से 65 चीतलों की अचानकमार टाइगर रिजर्व में छोड़ने की अनुमति है। इनकी शिफ्टिंग बोमा तकनीक से ही होगी। इसलिए प्रबंधन ने यह निर्णय लिया है कि चीतलों के साथ- साथ नील गाय को भी इसी तकनीक से शिफ्टिंग का प्रयास किया जाएगा।
प्रबंधन का मानना है कि इस तकनीक से बड़ी नील गाय को वाहन में नहीं डाला जा सकता, इसलिए इस तकनीक का उपयोग छोटी नील गाय के लिए की जाएगी। वह आसानी से वाहन में आ सकती हैं। बोमा तकनीक के दौरान वाहन लगे रहेंगे और इसके बाद नील गाय व चीतल दोनों को एक साथ शिफ्टिंग का प्रयास किया जाएगा। प्रबंधन को उम्मीद है कि इस तकनीकी से कम से कम सात से आठ गाय छोड़ी जा सकती हैं।
क्या कहते हैं अधिकारी
चीतलों की शिफ्टिंग के लिए बोमा तकनीक ही सबसे कारगर उपाय है। कुछ पहले लगभग 50 चीतलों की शिफ्टिंग हो चुकी है। 65 चीतलों के अचानकमार में छोड़ने के लिए इसी का प्रयोग किया जाएगा। इसके साथ-साथ कोशिश रहेगी कि नील गाय भी शिफ्ट कर दिया जाए।
विष्णु नायर
संचालक, अचानकमार- अमरकंटक बायोस्फिेयर रिजर्व
Posted By: Abrak Akrosh
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