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नई दिल्ली41 मिनट पहले
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सालों तक अपने एकाधिकार की ताकत का गलत इस्तेमाल करने के बाद बिग टेक दिग्गज धीरे-धीरे अपने खुद के बनाए जाल में फंस रहे हैं। दुनिया भर की सरकारें – भारत, अमेरिका, यूरोपीय यूनियन के देश, दक्षिण कोरिया, ऑस्ट्रेलिया, इंडोनेशिया समेत अन्य इंटरनेट इकोसिस्टम में लोकतंत्र को बहाल करने के लिए टेक दिग्गजों के खिलाफ एक्शन ले रही हैं। उनकी मोनोपॉलिस्टिक प्रैक्टिसेस पर सवाल उठा रही हैं।
मोनोपॉलिस्टिक प्रैक्टिस, जैसे न्यूज के लिए उचित भुगतान करने से इनकार करना, कॉम्पिटिटर्स को खत्म करने के लिए कार्टेल बनाना, अपारदर्शी और मनमानी बिजनेस प्रैक्टिसेस, ऐप और पेमेंट के लिए मार्केटप्लेस का दुरुपयोग, कंज्यूमर डेटा का दुरुपयोग। पूरे इंटरनेट स्पेस पर हावी होने की प्रवृत्ति कुछ मुट्ठी भर टेक कंपनियों की अब तक की काली विरासत रही है, जो आज जांच के घेरे में आ चुकी है।
एंटीट्रस्ट लॉ सूट, फाइनेंशियल पेनाल्टी में घिरा गूगल
गूगल जो इन कामों में सबसे आगे रहा है, अब कई एंटीट्रस्ट लॉसूट और फाइनेंशियल पेनल्टी से घिर गया है। भारत में हाल ही में कॉम्पिटिशन कमीशन ऑफ इंडिया (CCI) ने एंड्रॉइड OS और एंड्रॉइड मोबाइल ऐप स्टोर स्पेस में अपनी स्थिति का कथित रूप से दुरुपयोग करने के लिए अल्फाबेट के स्वामित्व वाली कंपनी पर कुल 2,274 करोड़ रुपये के दो जुर्माने लगाए हैं। CCI तीसरे मामले में Google की जांच कर रहा है।
CCI कर रहा गूगल की जांच
CCI बीते कुछ समय में इंडियन न्यूज पेपर एसोसिएशन (INA), न्यूज ब्रॉडकास्टर्स एंड डिजिटल एसोसिएशन (NBDA) और डिजिटल न्यूज पब्लिशर्स एसोसिएशन (DNPA) की दर्ज शिकायतों के आधार पर भी गूगल की जांच कर रहा है। उनकी शिकायतें गूगल न्यूज फीड पर उनके पब्लिश्ड कंटेंट को डिस्प्ले करने के बावजूद भारत की डोमेस्टिक न्यूज मीडिया कंपनियों के साथ रेवेन्यू शेयर नहीं करने को लेकर है।
पब्लिशर्स के साथ सही रेवेन्यू शेयर नहीं किया
DNPA के एक सूत्र ने कहा, ‘देश के प्रमुख समाचार संगठनों के साथ उनके प्रकाशित समाचारों के लिए गूगल ने कभी भी सही रेवेन्यू शेयर नहीं किया। वह दिन दूर नहीं जब देश के नियम बिग टेक प्लेयर्स को अपने एकाधिकार के दुरुपयोग करने की अनुमति नहीं देंगे, जैसा कि उन्होंने अतीत में किया है।’ DNPA भारतीय मीडिया हाउसेज के डिजिटल आर्म का अधिकार समूह है।
भारत बना रहा नया कानून
IT राज्य मंत्री राजीव चंद्रशेखर का कहना है कि बिग टेक दिग्गजों की ऐसी प्रैक्टिसेस को रोकने के भारत के फैसले के मद्देनजर कानून और नियम बनाने की जरूरत होगी। चंद्रशेखर के नेतृत्व में, मंत्रालय बुलेटप्रूफ डिजिटल लैंडस्केप बनाने के लिए कम से कम 20 देशों के IT नियमों का अध्ययन कर रहा है।
ये भारत के नेटिज़न्स, डिजिटल न्यूज मीडिया और अन्य हितधारकों के अधिकारों की रक्षा करेगा। ऐसा कहा जा रहा है कि IT अधिनियम 2000 को जल्द ही डिजिटल इंडिया एक्ट से बदला जाएगा। इसका ड्राफ्ट फ्रेमवर्क 2023 में रोलआउट हो सकता है।
अमेरिका में दो बिलों को लाने की तैयारी
अमेरिका में ‘द अमेरिकन इनोवेशन एंड चॉइस ऑनलाइन एक्ट’ और ‘ओपन ऐप मार्केट्स एक्ट’ जैसे दो बिलों को लाने की तैयारी चल रही है। टेक दिग्गजों को उनकी शक्तियों के गलत इस्तेमाल को रोकने के प्रयास में ये बिल लाए जा रहे हैं।
अगर ये बिल पास हो जाते हैं तो अमेरिका में बिग टेक के वर्चस्व को लक्षित करने वाला अब तक का सबसे मजबूत कानून बन जाएगा। इससे पहले अगस्त में सांसदों ने एक ऐतिहासिक बिल पेश किया था जो न्यूज मीडिया संस्थाओं को गूगल और फेसबुक जैसे टेक दिग्गजों के साथ रेवेन्यू शेयरिंग मॉडल पर बातचीत करने में सक्षम बनाता है।
EU में 40 एक्सपर्ट की टीम मिशन पर
यूरोपीय संघ ने भी घोषणा की है कि वह 40 एक्सपर्ट की एक क्रैक टीम बनाने के मिशन पर है जो बिग टेक फर्मों को अपनी शक्तियों का दुरुपयोग करने से रोकने के लिए मजबूत डिजिटल मार्केट एक्ट (DMA) के नियमों को लागू करने में मदद करेगा।
अल्फाबेट, मेटा समेत अन्य टेक दिग्गज
टेक दिग्गजों की लिस्ट में अल्फाबेट (गूगल, यूट्यूब, एंड्रॉइड OS, आदि के मालिक), मेटा प्लेटफॉर्म (फेसबुक, व्हाट्सएप, इंस्टाग्राम, मैसेंजर, आदि के मालिक), एपल (आईफोन, मैक, ऐप स्टोर, आदि के मालिक), अमेजन (एक शॉपिंग प्लेटफॉर्म, AWS, ट्विच, प्राइम, आदि के मालिक), माइक्रोसॉफ्ट (विंडोज, ऑफिस, स्काइप, एक्सबॉक्स, आदि के मालिक), ट्विटर, और कुछ अन्य शामिल हैं।
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