जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। भारत और आस्ट्रेलिया के बीच हो चुके मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) पर आगामी जनवरी से अमल शुरू होने की पूरी संभावना है। एफटीए पर अमल होते ही भारत के कई रोजगारपरक सेक्टर के निर्यात में बढ़ोतरी होगी और इससे घरेलू स्तर पर उत्पादन बढ़ेगा। एफटीए पर अमल से अमेरिका और यूरोप से कम हो रही मांग की भरपाई करने में भी मदद मिलेगी। भारत के सैकड़ों उत्पाद एफटीए पर अमल होते ही बिना शुल्क आस्ट्रेलिया के बाजार में जाने लगेंगे। अगले पांच वर्षों में दोनों देशों ने व्यापार को 50 अरब डालर तक ले जाने का लक्ष्य रखा गया है। वर्ष 2021 में दोनों देशों के बीच 27.5 अरब डालर का कारोबार किया गया था।
जल्द ही एफटीए को संसद की मंजूरी मिल जाएगी
इस वर्ष अप्रैल में दोनों देशों के बीच एफटीए पर हस्ताक्षर किए गए थे, लेकिन आस्ट्रेलिया में सरकार बदलने और संसद की मंजूरी नहीं मिलने से एफटीए पर अमल नहीं हो सका था। हाल ही में वाणिज्य व उद्योग मंत्री पीयूष गोयल और आस्ट्रेलिया के व्यापार मंत्री एच.ई. डान फर्रेल के बीच एफटीए को लागू करने को लेकर वर्चुअल बैठक की गई थी।
फर्रेल ने बताया कि एफटीए को आस्ट्रेलिया की संसद में पेश कर दिया गया है। जल्द ही एफटीए को संसद की मंजूरी मिल जाएगी। फर्रेल आगामी जनवरी में भारत के दौरे पर आ सकते हैं और तब इस एफटीए को और व्यापक बनाने पर बातचीत शुरू की जा सकती है।
वाणिज्य व उद्योग मंत्रालय सूत्रों के मुताबिक, पूरी उम्मीद है कि नवंबर में ही आस्ट्रेलिया की संसद एफटीए को मंजूरी दे देगी। उसके बाद दोनों देश के सीमा शुल्क विभाग आयात-निर्यात संबंधित शुल्क की अधिसूचना जारी करेंगे और एफटीए लागू हो जाएगा।
इन सेक्टर्स को मिलेगा लाभ
एफटीए लागू होते ही टेक्सटाइल, लेदर, जेम्स व ज्वैलरी, इंजीनिय¨रग गुड्स हैंडीक्राफ्ट्स जैसे रोजगारपरक सेक्टर का निर्यात तुरंत बढ़ जाएगा क्योंकि इन सेक्टर की वस्तुएं आस्ट्रेलिया में बिना शुल्क भेजी जाएंगी। इससे आस्ट्रेलिया में अभी के मुकाबले इनकी कीमत भी कम होगी। अभी इन वस्तुओं पर चार से आठ प्रतिशत तक शुल्क लगता है। लेदर और गारमेंट निर्यातकों ने बताया कि आस्ट्रेलिया के खरीदारों की तरफ से पूछताछ शुरू हो गई है।
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भारत की तरफ से भी आस्ट्रेलिया के कई उत्पादों के लिए बाजार खोले जाएंगे। सेवा क्षेत्र में भारत के आइटी प्रोफेशनल्स को भी आस्ट्रेलिया के साथ एफटीए लागू होने से फायदा होगा। शिक्षा क्षेत्र में भी दोनों देश एक-दूसरे के साथ मिलकर कई पाठ्यक्रम लागू कर सकेंगे।
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Edited By: Shashank Mishra
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