संयुक्त राष्ट्र, तीन अक्टूबर (भाषा) भारत की आर्थिक वृद्धि दर इस साल घटकर 5.7 प्रतिशत पर रहने का अनुमान है जबकि 2021 में यह 8.2 प्रतिशत रही थी। संयुक्त राष्ट्र एजेंसी अंकटाड ने आर्थिक वृद्धि दर में कमी के लिये कर्ज की ऊंची लागत और कमजोर सार्वजनिक व्यय का हवाला दिया।
संयुक्त राष्ट्र व्यापार और विकास सम्मेलन (अंकटाड) की इस साल की रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि भारत की जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) वृद्धि दर 2023 में और घटकर 4.7 प्रतिशत पर आ जाएगी।
रिपोर्ट में कहा गया है, ‘‘भारत की आर्थिक वृद्धि दर 2021 में 8.2 प्रतिशत रही थी जो जी-20 देशों में सर्वाधिक थी। आपूर्ति व्यवस्था में जो बाधा उत्पन्न हुई थी, उसमें कमी आई है। इसके साथ घरेलू मांग ने चालू खाते में अधिशेष को घाटे में बदल दिया है और वृद्धि की दर कम हुई है।’’
इसके अनुसार सरकार की उत्पादन आधारित प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना से कंपनियां निवेश के लिये प्रोत्साहित हो रही हैं लेकिन पेट्रोल, डीजल जैसे जीवाश्म ईंधन के आयात बिल बढ़ने से व्यापार घाटा बढ़ रहा है तथा विदेशी मुद्रा विनिमय भंडार की आयात ‘कवर’ करने की क्षमता घट रही है।
अंकटाड कर रिपोर्ट में कहा गया है, ‘‘कोष की लागत बढ़ने तथा सार्वजनिक व्यय कमजोर होने से आर्थिक गतिविधियां प्रभावित हुई हैं। इसके कारण जीडीपी वृद्धि दर 2022 में घटकर 5.7 प्रतिशत रहने का अनुमान है।’’
रिपोर्ट के अनुसार, सरकार ने विशेष रूप से रेल और सड़क क्षेत्र में पूंजीगत व्यय बढ़ाने की योजना की घोषणा की है। लेकिन एक कमजोर वैश्विक अर्थव्यवस्था में नीति निर्माताओं पर राजकोषीय असंतुलन को दूर करने का दबाव होगा। इससे दूसरी जगह खर्च में कमी आ सकती है। इन चीजों को देखते हुए आर्थिक वृद्धि दर 2023 में 4.7 प्रतिशत रहने का अनुमान है।
अंकटाड ने कहा कि दक्षिण एशिया की वृद्धि दर 2022 में 4.9 प्रतिशत रह सकती है। ऊर्जा की ऊंची लागत के साथ मुद्रास्फीति के बढ़ने से भुगतान संतुलन की समस्या पैदा हो रही है जिससे कई देश (बांग्लादेश, श्रीलंका) ऊर्जा खपत को सीमित कर रहे हैं।
इसके अलावा कोविड-19 टीके संबंधित बौद्धिक संपदा अधिकारों में छूट के मामले में सीमित और धीमी प्रगति क्षेत्र को भविष्य में आने वाली महामारी के लिये नाजुक बना रही है। ऐसे में इस क्षेत्र में 2023 में आर्थिक वृद्धि दर थोड़ी कम होकर 4.1 प्रतिशत रहने का अनुमान है।
इसमें कहा गया है कि रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण ऊर्जा के मोर्चे पर समस्या बढ़ी है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि वैश्विक अर्थव्यवस्था विभिन्न संकटों से जूझ रही है। अभी भी कई बड़े देशों में आय 2019 के स्तर से कम है।
अंकटाड के अनुसार, चीन की आर्थिक वृद्धि दर 2022 में 3.9 प्रतिशत रहने का अनुमान है जबकि 2021 में 8.1 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी। वहीं 2023 में वृद्धि दर 5.3 प्रतिशत रहने की संभावना है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि अमेरिका की आर्थिक वृद्धि दर 2022 में 1.9 प्रतिशत रहने का अनुमान है जो 2021 में 5.7 प्रतिशत थी। वहीं 2023 में इसके और कम होकर 0.9 प्रतिशत रहने का अनुमान है।
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