रायपुर20 मिनट पहले
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बालको मेडिकल सेंटर और अनुवा के अधिकारी।
सिंगापुर की ट्रांसलेशनल रिसर्च कंपनी अनुवा और वेदांता द्वारा संचालित बालको मेडिकल सेंटर (बीएमसी) ने संयुक्त रूप से भारत में कैंसर पर शोध के लिए कैंसर जीनोमिक्स बायोबैंक बनाने के लिए महत्वपूर्ण समझौते की घोषणा की। यह समझौता छत्तीसगढ़ के नया रायपुर में स्थित बालको मेडिकल सेंटर में हुआ। बालको मेडिकल सेंटर भारत के प्रमुख कैंसर अस्पतालों में से एक है।
समझौता ज्ञापन पर अनुवा के CEO डॉ जोनाथन पिकर और बीएमसी की चिकित्सा निदेशक डॉ भावना सिरोही ने हस्ताक्षर किए। बालको मेडिकल सेंटर की क्लीनिकल विशेषज्ञता (clinical expertise) और अनुवा की बायो बैंकिंग और जीनोमिक स्पेशलाइजेशन का फायदा दोनों ही संगठनों को मिलेगा। इस समझौते के द्वारा दोनों संगठन एक-दूसरे की विशेषज्ञता का लाभ उठा पाएंगे। अनुवा और बीएमसी का लक्ष्य इस कैंसर बायो/डेटा बैंक को क्लीनिकल रिसर्च के लिए भारत में प्रेसिशन मेडिसिन के इस्तेमाल के लिए नॉलेज (Implicit knowledge for the application) डेवलप और सर्च करना है ।
एक कैंसर केंद्रित बायो/डेटा बैंक दोनों संगठनों को कैंसर को बढ़ाने वाले महत्वपूर्ण जीन को खोजने में मदद करेगा। साथ ही जनसंख्या के स्तर पर जोखिम वाले तत्वों और जैविक कारकों (risk and biological factors) को भी एक साथ लाकर रिसर्च में तेजी लाने में सहायक होगा। इससे ये समझने में मदद मिलेगी कि जेनेटिक वेरिएशंस कैंसर को कैसे प्रभावित करते हैं। इससे निदान और इलाज की प्रभावशीलता बढ़ जाती है।
समझौते के बारे में बालको मेडिकल सेंटर की चेयरपर्सन ज्योति अग्रवाल ने कहा कि ”यह भारत का पसंदीदा कैंसर देखभाल गंतव्य बनने की दिशा में बालको मेडिकल सेंटर की यात्रा में एक और मील का पत्थर है। अनुवा के साथ हमारा सहयोग सटीक दवा और लक्षित उपचार के माध्यम से भारत के लोगों की बेहतर सेवा करने के लिए सर्वोत्तम ज्ञान, प्रौद्योगिकी और अनुसंधान को एक साथ लाएगा।”
बीएमसी की चिकित्सा निदेशक डॉ भावना सिरोही ने कहा कि “यह साझेदारी हमें “बेंच टू बेडसाइड” अनुसंधान का समर्थन करने के लिए एक सेतु प्रदान करेगी, जिससे कैंसर के इलाज में तेज़ी से प्रगति लाने के हमारे प्रयासों को बढ़ावा मिलेगा और कैंसर के रोगियों को जीवन की बेहतर गुणवत्ता के साथ लंबे समय तक जीने में मदद मिलेगी।“
अनुवा के सीईओ डॉ जोनाथन पिकर ने कहा, “मैं बालको मेडिकल सेंटर के साथ इस प्रयास को शुरू करने के लिए बेहद उत्साहित हूं।” उन्होंने आगे कहा, “सभी शोधों के बावजूद, कैंसर अभी भी मृत्यु का तीसरा प्रमुख कारण बना हुआ है। आनुवंशिक बीमारी के रूप में, अनुसंधान को प्रभावित लोगों के लिए वैयक्तिकृत करने की आवश्यकता है।”
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