हाइलाइट्स
मंदिर में प्रवेश करने से पहले बाहर ही रख दें चमड़े की चीज़ें.
मृत पशुओं की खाल और रसायनों से तैयार की जाती है चमड़े की वस्तुएं.
मंदिर जाते समय शुद्धता और पवित्रता का रखें खास ध्यान.
हिंदू धर्म में मंदिर को सबसे पवित्र और शुद्ध जगह माना जाता है, क्योंकि यह देवी-देवताओं का स्थान होता है. आप जितनी श्रद्धा, निष्ठा और पवित्रता के साथ मंदिर में प्रवेश करेंगे, आपको उतनी ही ज्यादा पुण्य फल की प्राप्ति होगी. हिंदू धर्म में मंदिर और पूजा-पाठ से जुड़ी कई मान्यताएं, पंरपराएं और नियम है, जिनका पालन करना ज़रूरी होता है, इसलिए जाने-अनजाने में कोई भी ऐसी गलती न करें, जिससे कि आपकी पूजा व्यर्थ हो जाए. भगवान के दर्शन और पूजा के लिए हम सभी मंदिर जाते हैं, लेकिन मंदिर में कुछ चीज़ों का प्रवेश वर्जित होता है. इन्हीं में एक है चमड़े से बनी चीजें. चमड़े से निर्मित चीजों को भूलकर भी मंदिर के भीतर लेकर न जाएं. दिल्ली के आचार्य गुरमीत सिंह जी से जानते हैं चमड़े से बनी किन चीज़ों को मंदिर के भीतर नहीं लेकर जाना चाहिए और क्या है इसकी वजह.
शुद्धता के साथ करें मंदिर के भीतर प्रवेश
मंदिर को भगवान का घर कहा जाता है. सभी लोग भगवान के दर्शन और पूजन के लिए मंदिर जाते हैं. लेकिन, मंदिर जाने से पहले तन-मन को पूरी तरह पवित्र कर यानी स्नान करने और साफ कपड़े पहने के बाद ही प्रवेश करना चाहिए. वहीं, मंदिर के भीतर प्रवेश करने से पहले जूते-चप्पल, खाने-पीने की चीजें, अशुद्ध चीजें और चमड़े से बनी चीजों को बाहर रख देना चाहिए.
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क्यों मंदिर के भीतर चमड़े की वस्तुएं होती हैं वर्जित?
चमड़े से बना पर्स, बेल्ट, बैग, टोपी, जैकेट आदि जैसे सभी सामानों का मंदिर में प्रवेश वर्जित होता है. मान्यता है कि इससे मंदिर की शुद्धता और पवित्रता भंग हो जाती है, क्योंकि चमड़े का निर्माण मृत पशुओं की खाल से होता है. साथ ही इनमें कई तरह के रसायनों का भी प्रयोग किया जाता है, जिससे कि यह गंधरहित हो सकें. भले ही आप इन मंहगी चीज़ों का इस्तेमाल हाई स्टेटस, फैशन या ज़रूरत के लिए करते हों, लेकिन मंदिर में इन चीज़ों के साथ प्रवेश न करें. इसके अलावा पूजा-पाठ करते समय भी चमड़े से बनी चीज़ों को नहीं पहनना चाहिए.
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चमड़े को लेकर क्या है वैज्ञानिक दृष्टिकोण
मृत पशुओं के खाल से बने होने के कारण धार्मिक दृष्टिकोण से चमड़े की वस्तुओं को शुद्ध नहीं माना जाता है. साथ ही वैज्ञानिक दृष्टि से भी चमड़ा पहनना शरीर व त्वचा के लिए हानिकारक बताया गया है. इससे रोग और कीटाणु की संभावना काफी बढ़ जाती है, क्योंकि चमड़े को पानी से धोकर साफ नहीं किया जा सकता है. पानी के संपर्क में आते ही चमड़ा खराब हो जाता है. ऐसे में चमड़े की वस्तुओं में मौजूद पसीने, धूल-मिट्टी और गंदगी से त्वचा संबंधित रोग होने की संभावना ज्यादा बढ़ जाती है.
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Tags: Dharma Aastha, Dharma Culture
FIRST PUBLISHED : November 13, 2022, 02:35 IST
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