नगर निगम रीवा में चल रही परिषद की बैठक तमाशबीन बनी है। एजेंडे को लेकर चर्चा करने के बजाय भाजपा और कांग्रेस पार्षदों के बीच नोक-झोंक का सिलसिला चल रहा है। जो परिषद कक्ष से बाहर निकल कर शहर की गलियों में चर्चा का विषय बना हुआ है। जिस तरह से शुक्रवार को परिषद में हंगामा हुआ उससे यह बात निकल कर सामने आती है कि महापौर अजय मिश्रा बाबा जनता से किये गये अपने वादों से भटक गये। कांग्रेस पार्टी से बतौर महापौर प्रत्याशी होने के दरम्यान शहर की जनता से वादा किया था कि यदि वह जीत कर महापौर बने तो टैक्स में छूट दी जायेगी। साथ ही शहरवासियों को पानी फ्री दिया जायेगा। इतना ही नहीं जनता को बोट हासिल करने के लिए बतौर प्रत्याशी रहे अजय मिश्रा बाबा ने कई सुहाने सब्ज बाग दिखाये थे। महापौर का असली चेहरा तब सामने आया जब नगर निगम की परिषद शुरू हुई जो एक दिन के बजाय तीन दिन चली लेकिन अभी समाप्त नहीं हुई। हर बैठक में महापौर सहित कांग्रेसी पार्षद विवाद कर परिषद की बैठक को ही भंग कर देते है। परिषद की बैठक में ऐसा नजारा दिखाई देता है जैसे विधानसभा, लोकसभा की बैठक में सत्ता और विपक्ष के बीच दिखाई देता है। शुक्रवार को परिषद की बैठक का तीसरा चरण था।
परिषद की सारी गरिमा तार-तार हो गई
तीसरे चरण में ऐसा कुछ हुआ कि परिषद की सारी गरिमा तार-तार हो गई। वार्ड क्रमांक 10 से लगातार पार्षद बन रहे वीरेंद्र पटेल ने महापौर अजय मिश्रा बाबा सहित उनके पार्षदों पर गंभीर आरोप लगाये। यहां तक कहा कि महापौर ने उनको जाति सूचक गालियां बकी। इतना ही महापौर अपने साथियों के साथ उन पर हमला करने के उद्देश्य से उनकी टेबिल तक जा पहुंचे थे। भाजपा पार्षद वीरेंद्र पटेल ने बताया कि 31 अक्टूबर को परिषद की बैठक शुरु हुई जो विवादों की वजह से स्थगित हो गई। दूसरी बैठक 9 नवबंर को हुई उसमें भी सवालों का जबाब देने के बजाय महापौर बिना जवाब दिये अपने पार्षदों के साथ उठकर चले गये। शुक्रवार को जब तीसरे चरण में परिषद की बैठक हुई तो एजेंडे के अनुसार चार बातों पर तो सब की सहमति रही। लेकिन पांचवे एजेंडे में महापौर ने 15 प्रतिशत मनोरंज टैक्स बढ़ाने की प्रस्ताव रखा। जिसका भाजपा पार्षदों ने विरोध कर दिया। कहा कि एक तो जनता वैसे ही मंहगाई के बोझ तले दबी है। उस पर मनोरंज टैक्स बढ़ा कर उन पर मंहगाई का और बोझ डालना उचित नहीं होगा। जैसे ही भाजपाईयों ने मनोरंजन टैक्स बढ़ाने का विरोध किया तो महापौर सहित उनके पार्षद बिफर गये। और भाजपा पार्षद वीरेंद्र पटेल के साथ गाली-गलौज करते हुये मारपीट पर आमदा हो गये।
विधायक प्रतिनिधि ने भी किया विरोध, तो महापौर बोले शांत रहो
शहर में विकास को लेकर नगर निगम के साथ ही विधायक की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। विधायक द्वारा अपनी ओर से एक प्रतिनिधि नगर निगम में नियुक्त करता है जो परिषद की बैठक के साथ ही नगर निगम द्वारा किये जाने वाले हर कार्य में विधायक की ओर से भूमिका निभाता है। भाजपा पार्षद वीरेंद्र पटेल ने बताया कि शुक्रवार को परिषद की बैठक में विधायक प्रतिनिधि विवेक दुबे उपस्थित रहे। जैसे ही महापौर ने मनोरंजन टैक्स बढ़ाने का प्रस्ताव परिषद में रखा तो भाजपा की ओर से नियुक्त नेता प्रतिपक्ष दीनानाथ वर्मा सहित विधायक प्रतिनिधि विवेक दुबे ने भी अन्य भाजपा पार्षदों के साथ मिल कर टैक्स बढ़ाये जाने का विरोध किया तो महापौर ने विधायक प्रतिनिधि को धमकाते हुये चुप रहने को कहा। ऐसा भाजपा पार्षद वीरेंद्र पटेल ने चर्चा के दौरान बताया। चर्चा तो इस बात को भी लेकर है कि बैठक के दौरान हो रहे हंगामे पर नगर निगम अध्यक्ष व्यंकटेश पांडेय ने सभी को शांत रहने का संदेश देते हुये कहा कि कम से कम अध्यक्ष की गरिमा का ख्याल करें तो महापौर ने उनको भी आड़े हाथों लेते हुये अपमान जनक शब्दों का इस्तेमाल किया।
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…तो क्या थम जायेगा शहर का विकास?
मुद्दत बाद नगर निगम में महापौर की कुर्सी पर भाजपा के स्थान पर कांग्रेस का कब्जा हुआ है। जनता ने अपने चहेते नेता अजय मिश्रा बाबा को महापौर की कुर्सी पर बैठाया। इस उम्मीद पर कि लगातार पार्षद रहने के दौरान वार्ड की जनता को किसी बात की कमी का एहसास नहीं हुआ। लेकिन भाजपा पार्षदों ने जीत हासिल कर अपनी बहुमत बना ली और महापौर को कमजोर कर दिया। परिषद में जनता के हित को लेकर प्रस्ताव रखा जाता है। परंतु परिषद की हुई तीन बैठकों से जो निकल कर सामने आया उससे इस बात को लेकर जनता के माथें पर चिंता की लकीरें उभरने लगी कि क्या शहर का विकास थम गया?
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