झाबुआ2 घंटे पहले
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बाल संस्कार शिविर में अभिषेक करते हुए।
यदि जीव में आत्मा का तत्व प्रकट हो जाए तो जीवन में कितनी भी आधि, व्याधि या मुसीबत आए तो उसे कभी भी भय का वातावरण नहीं व्याप्त होगा, लेकिन जीव को मोहनिय कर्म ने इतना बांध के रखा है कि उसका ध्यान तत्व ज्ञान की ओर जाता ही नहीं है। उपरोक्त उद्बोधन आचार्य नित्यसेन सूरीश्वरजी की निश्रा में चल रहे आत्मानंदी चातुर्मास के दौरान बुधवार को मुनि निपुण रत्न विजयजी ने बावन जिनालय के पौषध भवन में योग सार ग्रंथ की गाथाओं को समझाते हुए दिया।
उन्होंने कहा कि वास्तविक धर्म का आधार तत्व ज्ञान होना चाहिए। कषाय जिसमें राग द्वेष महत्वपूर्ण है ने हमारी आत्मा पर विजय प्राप्त कर ली है। इसलिए जीव दुखी है, होना यह चाहिए कि जीव को राग द्वेष को नियंत्रण में रखे। जिससे हमारी आत्मा सुख का अनुभव कर सकती है। आपने कहा कि ममत्व भाव को सदा के लिए दूर करने के प्रयास जीव को करते रहना चाहिए। जिससे समता भाव प्रकट होगा, जो हमें अनंत सुख प्रदाय करेगा।
मुनि प्रशमसेन विजय ने कहा कि जीव को परिणाम लक्षित धर्म क्रिया से जुड़ना चाहिए। जीव यह सोचे की इस लोक में हमने क्या अच्छा किया। जिससे हमारा पर -लोक सुधर सकता है, नहीं तो श्रेष्ठ मानव जीवन का लाभ आत्मा को श्रेष्ठ बनाने में मिल सके।
शिविर में बच्चों को धर्म, ज्ञान, संस्कार दिए जा रहे हैं
आचार्य नित्यसेन सूरिजी की निश्रा में विशेष बाल संस्कार शिविर बुधवार से शुरू हुआ। पहले दिन 20 से अधिक बच्चों ने सामूहिक प्रभु अभिषेक विधि मुनि मंडल की निश्रा में की। 5 दिवसीय शिविर में बच्चों को धर्म, ज्ञान, धर्म संस्कार प्रतिदिन दिए जा रहे है। अध्यक्ष मुकेश जैन और मनोहर भंडारी ने बताया कि बुधवार को 70 वर्षीय मुमुक्षु शारदा बेन गुणवंत भाई डोशी का झाबुआ आगमन हुआ। जो कि 26 जनवरी को आचार्य श्रीमद विजय रत्न सुंदरजी से दीक्षा अंगीकार कर रही हैं।
उनके बहुमान कार्यक्रम में बहुमान लाभार्थी परिवार रुचि जैन, मुकेश जैन नाकोडा, किरण भंडारी, मनोहर भंडारी और परिषद परिवार की ओर से भारत बाबेल, परिषद अध्यक्ष प्रमोद भंडारी, अनिल रूनवाल, निखिल भंडारी, मुकेश लोढ़ा, प्रदीप भंडारी, प्रदीप कटारिया, पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष आशा कटारिया, स्थानीय अध्यक्ष मंजू जैन, सरोज सेठिया आदि ने बहुमान किया। इसके बाद बहुमान लाभार्थी परिवार ने तपस्वी और केशलोच तप करने वालों का शाॅल, श्रीफल तिलक से बहुमान किया। संचालन डाॅ. प्रदीप संघवी ने किया। आभार मुकेश जैन ने माना।
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