अमूल्य निधि की अतुल धरोहर
अमृत रस बरसाती है!
मित्र धर्म है ऐसी पुंजी
जो अमृत पान कराती है !!जाति धर्म और मजहब से
कोई लेना न देना है!
एक दूजे के दिल में रहने का
सबसे अच्छा कोना है !!ऋतु बसंत की भाती यह
जीवन को स्वर्ग बनाती है!
रूप माधुर्य को आकर्षित कर
सोलह श्रृंगार कराती है !!चंचल किरणों की चंचल नयने
नव पल्लव को दिखलाती है !
रागदेव्श मिटा के मन का
जीवन राह दिखाती है !!आदर्श रूप की यह ममता
मां की आज्ञा भी ठुकराती है!
यदी काल भी आवे मिलने को
तो उनको भी रूकवाती है!!- कृष्ण कुमार अग्रहरि सरल
मीरजापुर उत्तर प्रदेश
- हम उम्मीद करते हैं कि यह पाठक की स्वरचित रचना है। अपनी रचना भेजने के लिए यहां क्लिक करें।
10 seconds ago
श्रेय: स्रोत लिंक
इस बारे में चर्चा post