2 घंटे पहलेलेखक: अनुराग आनंद
25 अक्टूबर 2022 को पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद में साजिया (बदला हुआ नाम) अपनी दोस्त रेशमा (बदला हुआ नाम) के कमरे पर रूकी थी। रात के करीब 11 बजे पीड़िता के दो रिश्तेदार समेत 3 लोग जबरन कमरे में घुस गए। दोनों लड़कियों के एक ही बेड पर सोने की वजह से उन्होंने समलैंगिक कहकर उन्हें बुरी तरह पीटना शुरू कर दिया। साथ ही गर्म लोहे की छड़ों से उनके प्राइवेट पार्ट जला दिए। इस दर्दनाक घटना के बाद होमोसेक्शुअलिटी को लेकर चर्चा हो रही है।
ऐसे में आज भास्कर एक्सप्लेनर में जानते हैं कि पूरा मामला क्या है, समलैंगिकों को कलंक क्यों माना जाता है और अलग-अलग धर्मों में होमोसेक्शुअलिटी को लेकर क्या कहा गया है?
सबसे पहले पूरा मामला जानते हैं…
मुर्शिदाबाद के सागरदिघी थाना क्षेत्र की रहने वाली साजियाऔर रेशमा बचपन से ही एक-दूसरे की दोस्त हैं। साजिया का कहना है, ‘मैं और मेरी दोस्त हर दिन मिलते थे और साथ बैठकर बीड़ी बांधते थे, लेकिन वो 25 अक्टूबर को मेरे घर नहीं आई। रात में उसने मुझे कॉल कर बताया कि उसके पेट में दर्द हो रहा है। उसकी खराब तबीयत की वजह से मैंने रात को उसी के घर रुकने का फैसला किया।’
साजिया के मुताबिक, दो रिश्तेदार समेत 3 लोग उसके कमरे में रात के 11 बजे जबरन घुस गए। उन्होंने समलैंगिक बताकर दोनों से मारपीट करना शुरू कर दिया। विरोध करने पर लोहे की गर्म छड़ से दोनों लड़कियों के प्राइवेट पार्ट जला दिए। उनके कपड़े उतरवाकर रेप की भी कोशिश की गई।
करीब 5 दिन बाद सागरदिघी थाने में केस दर्ज होने के बाद ये मामला सबों के सामने आया। इस मामले में ताजा अपडेट ये है कि पुलिस ने एक आरोपी साहेबुल शेख को गिरफ्तार कर लिया है जबकि कदम मोल्ला, और समजेर शेख नाम के आरोपी रिश्तेदार को पकड़ने के लिए पुलिस लगातार छापा मार रही है।
‘धर्म के खिलाफ बताकर पहले भी लोगों ने किया था विरोध’
साजिया की मां का कहना है कि दोनों लड़कियों को साथ रहना पसंद है और वो एक-दूसरे को हर चीज में सपोर्ट करती हैं। लड़की की मां ने कहा कि दोनों की नजदीकी धर्म और रिवाजों के खिलाफ बताकर पहले भी कई बार स्थानीय लोगों ने उनकी शिकायत परिवार से की थी।
हालांकि, रेशमा ने दोनों के बीच समलैंगिक संबंध होने की बात स्वीकार ली है। उसने कहा कि हम दोनों अभी रिलेशनशिप में हैं। अगर हमें रोका गया होता तो हम ऐसा नहीं करते।
मुस्लिम धर्म में समलैंगिकता को लेकर क्या कहा गया है?
समलैंगिकता को लेकर मुस्लिम धर्म कई तरह की मान्यताएं हैं। इनमें से कुछ यहां हैं…
जमीयत उलेमा-ए-हिन्द के अध्यक्ष अरशद मदनी का कहना है कि पराई औरत को देखना भी गुनाह है, तो फिर समलैंगिक संबंध तो बहुत बड़ी बात है।
इस विषय पर उन्होंने कहा कि व्यक्ति को ताउम्र अपनी पत्नी से ही प्रेम करना चाहिए और उसी से संबंध रखने चाहिए। खुदा ने महिला-परूष को इस प्रकार बनाया है कि वह औलाद का सुख पा सके, लेकिन समलैंगिक संबंध के मामले में ये बात कहीं भी फिट नहीं होती है।
वहीं, अफ्रीकी मूल के अमेरिकी इमाम दायी अब्दुल्ला ने कहा है कि पूरी दुनिया में कम से कम 12 ऐसे इमाम हैं, जो समलैंगिक (गे) हैं। दायी अब्दुल्ला ने कहा कि कुरान-शरीफ समलैंगिकता की अनुमति देता है, क्योंकि इसमें इसके खिलाफ कुछ भी नहीं लिखा है।
अब्दुल्ला के मुताबिक, सूरा 24 की आयत 31 और 32 में कहा गया है कि अपने बीच के गैर-शादीशुदा से शादी कर लो, चाहे वो गुलाम मर्द हो या फिर औरत। कुरान में शादी के लिए स्त्री या पुरुष के बारे में नहीं बताया गया है।
हिंदू धर्म में समलैंगिकता का इतिहास
- धार्मिक मामलों के जानकार देवदत्त पटनायक के मुताबिक छठी शताब्दी से हिन्दू मंदिरों और मूर्तियों का निर्माण शुरू हो गया था। 950 ईस्वी के करीब जब खजुराहो मंदिर बना तो यहां ऐसी नक्काशी बनाई गई, जिनमें औरतें समूह में या पुरुषों के साथ सेक्स करती दिखाई देती है।
- मनुस्मृति के आठवें अध्याय के श्लोक नंबर 367 से 372 तक में समलैंगिकता का जिक्र है। इसको लेकर अलग-अलग सजा का प्रावधान है। मसलन एक लड़की अगर दूसरी लड़की से सेक्स करती है तो दौ सौ सिक्कों का जुर्माना और 10 कोड़े मारे जाने की सजा है।
- इसके अलावा कामसूत्र में भी ओरल सेक्स और समलैंगिकता का जिक्र है। हालांकि, ये किताब समलैंगिकता का समर्थन नहीं करती है।
ये तस्वीर खजुराहो मंदिर की दीवारों पर बनाई गई कलाकृति की है। इसमें कुछ महिलाओं आपस में संबंध बनाते नजर आ रही हैं। सोर्स: mptourism.com
ईसाई धर्म का उभार और समलैंगिकता
- ईसाई धर्म की रोमन कैथोलिक चर्चों के अनुसार समलैंगिकता एक विकृत सोच है। समलैंगिक लोगों को पापी बताया गया है। बाइबल में सोडोम शहर का जिक्र है, जिसे भगवान ने खुद तबाह किया।
- यहां के पुरुष देवदूतों तक का बलात्कार करना चाहते थे। रोमन कॉन्सटैंटिन ने जब ईसाई धर्म स्वीकार किया और इसे स्टेट रिलिजन बना दिया तो समलैंगिकों का शोषण बढ़ गया।
- ईसाई और मुस्लिम धर्म के बढ़ने के साथ ही समलैंगिकों पर अत्याचार भी दुनियाभर में बढ़ने लगे और 2 हजार से ज्यादा समय तक इसे कलंक की तरह देखा गया।
- हालांकि, 20वीं सदी के आखिरी दशकों में समलैंगिकों ने अपने अधिकारों के लिए प्रदर्शन शुरू किए। धीरे-धीरे अब इसे दुनिया के कई देशों में स्वीकार्यता मिल रही है।
अब अगले ग्राफिक्स में कुछ उदाहरणों से समझते हैं कि क्या समलैंगिकता एक नेचुरल फिनॉमिना है…
अलग-अलग कल्चर में होमोसेक्शुअलिटी को लेकर क्या कहा गया है?
मेसोपोटामिया
– इस सभ्यता से जुड़े साहित्य और आर्टवर्क दिखाते हैं कि यहां समलैंगिक संबंध नॉर्मल थे। स्कॉलर ब्रूस एल गेरिग के मुताबिक ‘इस सभ्यता के लोगों का मानना था कि प्यार करना नेचुरल एक्टिविटी है।’
– मेसोपोटामिया में समलैंगिक कपल्स को भगवान का आशीर्वाद भी दिया जाता था। देवी इनान्ना के प्रीस्ट बाईसेक्शुअल और ट्रांसजेंडर होते थे।
चीन
– चीन में सेम सेक्स कपल्स के शुरुआती रिकॉर्ड्स करीब 600 ईसा पूर्व के मिलते हैं। हन राजवंश (202 ईसा पूर्व से 220 ईस्वी तक) अपने समलैंगिक संबंधों के लिए फेमस था।
– उस दौर में रईस अपने प्रेमियों को लोवर क्लास से उठाते थे और उन्हें भी बराबरी का दर्जा देते थे। ऐसे रिश्तों को समाज में सम्मान मिलता था।
दुनिया में समलैंगिकों की मौजूदा स्थिति क्या है?
– PEW रिसर्च सेंटर ने LGBTQ+ समुदाय पर रिसर्च करने के बाद बताया कि कनाडा में सबसे ज्यादा 85% और US में 72% लोग LGBTQ+ को स्वीकार करते हैं।
– लंबी लड़ाई के बाद आज फ्रांस, जर्मनी, बेल्जियम, अमेरिका समेत दुनिया के 31 देशों के संविधान में सेम सेक्स के बीच शादी लीगल है।
– भारत में 2018 तक सेम सेक्स के बीच शादी अपराध थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद देश में IPC की धारा 377 के तहत समलैंगिकों के बीच सेक्स अपराध की श्रेणी से बाहर कर दिया गया।
– मूड ऑफ द नेशन के सर्वे के मुताबिक भारत में 62% लोग सेम सेक्स के बीच शादी को मानने के लिए तैयार नहीं हैं। इससे जाहिर होता है समाज अब भी LGBTQ+ को पूरी तरह स्वीकार नहीं करना चाहता।
– यमन, इरान, ब्रुनेई, नाइजीरिया, कतर समेत दुनिया के 13 देशों में आज भी सेम सेक्स रिलेशन वाले जोड़ों को मौत की सजा दी जाती है।
आपने पूरी खबर पढ़ ली है तो अब इस पोल में हिस्सा लीजिए…
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