- शहबाज़ अनवर
- बीबीसी हिंदी के लिए
उत्तर प्रदेश के ज़िला मेरठ का मंगतपुरम इलाक़ा इन दिनों काफ़ी सुर्ख़ियों में है. यहां 400 हिंदू परिवारों के ईसाई धर्म में कथित धर्मांतरण की शिकायत मेरठ पुलिस से की गई है. इसके बाद पुलिस ने तीन महिलाओं सहित नौ लोगों के ख़िलाफ़ मुक़दमा दर्ज किया है.
क्या है पूरा मामला
दरअसल, कथित धर्मांतरण का ये मामला उस समय प्रकाश में आया जब भाजपा के महानगर मंत्री दीपक शर्मा और हिंदू जागरण मंच से जुड़े एक पूर्व नेता सचिन सिरोही ने मेरठ पुलिस से क़रीब 400 हिंदुओं के कथित धर्मांतरण की शिकायत क़रीब पांच दिन पहले की.
इस दौरान उनके साथ कई और लोग भी थे जिनके बारे में दावा किया गया है कि इनमें कई लोगों का जबरन ईसाई धर्म में धर्मांतरण कराया गया है.
दीपक शर्मा ने बीबीसी से कहा, “मंगतपुरम कॉलोनी के कई लोग मेरे पास शिकायत करने पहुंचे थे. उन लोगों का कहना था कि यहां पर हम लोगों का धर्मांतरण कराया जा रहा है, लेकिन हम लोग अपना धर्म नहीं छोड़ना चाहते हैं. दीपावली मनाने से रोक रहे हैं, कह रहे हैं कि परमेश्वर को मानो और ईसाइयत को मानो.”
दीपक ने आगे कहा, “इन बातों का कुछ लोगों ने विरोध किया और वे मेरे पास आए. फिर हमने पुलिस में उन्हें लेकर ये शिकायत की. पुलिस ने उचित क़दम उठाया और मामले में रिपोर्ट दर्ज कर ली है.”
दीपक शर्मा ने बीबीसी को कुछ वीडियो और फ़ोटो भी दिखाए. उनमें कई लोग एक कथित चर्च के भीतर सत्संग और प्रार्थना सभाओं में शामिल होते दिखाई दे रहे हैं. दीपक शर्मा ने दावा किया कि इन वीडियो को कुछ समय पहले ही बनाया गया है.
इस मामले में सक्रिय अन्य हिंदूवादी नेता सचिन सिरोही ने बीबीसी से कहा कि झुग्गी-झोपड़ी में चल रहे कथित चर्च में से कुछ सामग्रियां और आलेख बरामद हुए हैं.
उनका आरोप है कि जो लोग अपना धर्म परिवर्तित कर चुके हैं, वे इस राज़ को खोलने के लिए तैयार नहीं हैं कि यहां पर चर्च है. पुलिस ने अब इस मामले में रिपोर्ट दर्ज की है.
मेरठ की ब्रह्मपुरी पुलिस ने स्थानीय झुग्गी-झोपड़ी में रहने वाले विक्रांत नाम के व्यक्ति की शिकायत के बाद नौ महिला-पुरुषों को नामज़द करते हुए रिपोर्ट दर्ज की.
पुलिस उपाधीक्षक (ब्रह्मपुरी) ब्रजेश सिंह ने बीबीसी से कहा, “28 अक्तूबर को विक्रांत नाम के व्यक्ति की तहरीर पर नौ लोगों के ख़िलाफ़ रिपोर्ट दर्ज कर ली गई है.
इन सभी के ख़िलाफ़ उत्तर प्रदेश विधि विरूद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध अधिनियम 2021 की धारा 3 तथा धारा 5 (1) में रिपोर्ट दर्ज की गई है.
इनमें तीन महलाएं और छह पुरुष शामिल हैं. आठ लोगों की गिरफ़्तारी हो गई है, कुछ और लोगों के नाम अभी इसमें शामिल हो सकते हैं.”
पुलिस के अनुसार, एक व्यक्ति अभी फ़रार है.
उन्होंने बताया कि तहरीर में झोपड़ियों में रहने वाले कुछ अन्य लोगों के हस्ताक्षर और अंगूठे के निशान भी शिकायत पत्र में हैं.
परिजनों का धर्म परिवर्तन में शामिल होने के आरोप से इनकार
इस पूरे मामले को समझने के लिए बीबीसी ने मंगतपुरी इलाक़े का दौरा किया.
मंगतपुरी इलाक़े में भी कोई व्यक्ति धर्मांतरण की बात स्वीकार नहीं कर रहा है.
कथित धर्मांतरण के मामले में जिन लोगों के ख़िलाफ़ पुलिस में रिपोर्ट दर्ज की गई है, उनके परिजनों का कहना कुछ और ही है.
बीबीसी से बातचीत के दौरान उन्होंने धर्मांतरण की बात को सिरे से नकारते हुए कहा कि यह सब उनसे ज़मीन ख़ाली करवाने के लिए किया जा रहा है.
इन्हीं लोगों में एक हैं ममता देवी.
एक बेहद गंदगी से भरे स्थान पर तमाम छोटी-छोटी झोपड़ियों और कूड़े से अटे संकरे रास्तों के बीच होते हुए हमलोग ममता के घर के पास पहुंचे.
ममता की सास तितली, ससुर सरदार और उनके पति अनिल के ख़िलाफ़ मेरठ पुलिस ने कथित धर्मांतरण कराने के आरोप में रिपोर्ट दर्ज किया है.
ज़मीन ख़ाली कराना असल उद्देश्य: झुग्गी के लोग
बीबीसी से बातचीत के दौरान ममता कहती हैं, “हम 40-50 साल से यहां रह रहे हैं, तब तो इन लोगों ने कुछ नहीं कहा और अब ये लोग हमारे ऊपर धर्मांतरण जैसे आरोप लगा रहे हैं.
हमसे कहा गया है कि अगर तुम लोग यहां से नहीं गए तो हम तुम पर धर्म परिवर्तन जैसे आरोप लगाकर फंसाएंगे. इसमें यहीं के कुछ लोग शामिल हैं. जो हमसे यह ज़मीन ख़ाली कराना चाहते हैं.”
एक सवाल के जवाब में ममता कहती हैं, “देखिये सर हम प्रभु ईसा मसीह को मानते हैं, पर धर्म हमारा हिंदू ही है. यहां सत्संग, शादी, दुआ-प्रार्थना होती है और बच्चों को पढ़ाया भी जाता है. हमें ज़मीन ख़ाली करने के लिए डराया जा रहा है, जान से मारने की धमकियां दी जा रही हैं.”
ममता अभी बोल ही रही थीं कि पास खड़े कुलवा बात करना शुरू कर देते हैं.
वह कहते हैं, “ये झूठा इल्ज़ाम है, हमारी झुग्गियां एक तरफ़ लगी थीं, वहां से भी हटा दिया. हमें यहां से हटवाने के लिए पांच-छः शराब माफ़िया, भू माफ़िया हैं जो अवैध क़ब्ज़े करवाना चाह रहे हैं.”
कुलवा कुछ और बात करते, इससे पहले ही ममता बीबीसी को उस कथित चर्च को दिखाने के लिए ले जाती हैं जिसमें कथित तौर पर धर्म परिवर्तित करने की पुलिस में शिकायत की गई है.
इसी भीड़ में खड़े एक युवा बॉबी ने बीबीसी से अपनी बात रखी.
कबाड़ का काम करने वाले बॉबी कहते हैं, “ये सब झूठ कहलवाया जा रहा है. ये सब कहने के लिए लोगों को पैसा बांटा जा रहा है जिससे कि हम लोग यहां से हट जाएं. इसमें कुछ लोग बाहर के भी हैं और कुछ स्थानीय शामिल हैं. हमें झूठे इल्ज़ाम में फंसाने की कोशिश हो रही है, मंदिर में तोड़-फोड़ का झूठा इल्ज़ाम लगाया जा रहा है.”
वहां रह रहे ज़्यादातर लोगों ने यही शिकायत की.
कई लोग मीडिया में प्रकाशित ख़बरों को लेकर भी नाराज़गी जताते दिखे.
कथित चर्च का ज़िक्र
जिस चर्च की बात कही जा रही है वो दरअसल क़रीब 20 बाइ 12 फ़िट की एक झोपड़ी है.
इस झोपड़ी के ईपर एक तरफ़ भाजपा का झंडा लगा है तो पास ही तिरंगा भी लगा है.
‘धर्म परिवर्तन नहीं प्रार्थना सभाएं करते हैं लोग’
ईसाई धर्म से जुड़े और धर्म परिवर्तन कराने में फंसे लोगों की पैरवी करने वाले एक व्यक्ति ने नाम न छापने की शर्त पर बीबीसी से कहा, “देखिये धर्म परिवर्तन नहीं कराया जाता है.
लोग प्रार्थना सभाएं करते हैं, सत्संग करते हैं जबकि वे होते हिंदू ही हैं. मेरठ के मंगतपुरम में भी झुग्गी-झोपड़ी वाले कई लोग हिंदू ही हैं, लेकिन वे प्रार्थना सभाएं करते हैं और सत्संग करते हैं.”
वह आगे कहते हैं, “झुग्गियों में कई लोग ग़लत रास्ते पर थे, शराब का कारोबार करते थे, कुछ अन्य ग़लत कार्यों में शामिल थे, जब से सत्संग और प्रार्थना सभाएं हुई हैं, तब से कई लोगों ने इन ग़लत रास्तों को छोड़ दिया है. वे सही मार्ग पर चल रहे हैं. धर्म परिवर्तन की बात सही नहीं है.”
कहां हैं शिकायतकर्ता
पुलिस ने विक्रांत नाम के व्यक्ति की शिकायत पर मामला दर्ज किया है. एफ़आईआर की कॉपी में विक्रांत का मोबाइल नंबर भी दर्ज है. बस्ती में कोई ऐसा व्यक्ति नहीं मिला जो विक्रांत को जानता हो.
विक्रांत के नंबर पर जब फ़ोन किया गया तो उनका नंबर बंद था.
भाजपा नेता दीपक शर्मा से जब मैंने कहा कि मुझे कुछ शिकायतकर्ताओं से संपर्क करवा दें तो उन्होंने शिकायत पत्र में दर्ज कुछ लोगों के नाम और नंबर दिए.
थाने को दिए गए शिकायती पत्र में जिन लोगों के नाम और मोबाइल नंबर लिखे थे बीबीसी ने उनसे बात करने की कोशिश की.
शिकायत करने वालों में इक़बाल नाम भी दर्ज था. जब उनके नंबर पर कॉल की गई तो पता चला कि यह नंबर आदित्य नाम के किसी व्यक्ति का था.
धर्मांतरण के बारे में उन्होंने कहा, “हमारे यहां 100 से 150 लोगों ने धर्म परिवर्तित किया है, लेकिन हमें उनके नाम नहीं मालूम हैं. जो लोग जेल जा चुके हैं उन्होंने ही धर्म परिवर्तन करवाया है.”
एक अन्य कथित शिकायतकर्ता (उन्होंने अपना नाम सार्वजनिक नहीं करने के लिए कहा) से जब बात की गई तो उनका कहना था, “हम हिंदू समाज में हैं. हमारी धर्म परिवर्तित कराने की कोई साज़िश नहीं थी.
हमसे कहा गया था कि धर्म प्रवचन में जो सम्मलित हैं उनके ख़िला़फ आवाज़ उठाओ, हमारी तरफ़ की गवाही दो जिससे कि वो ज़मीन से हट जाएं.”
लेकिन जब उनसे पूछा कि किसने ये बात कही थी तो उन्होंने कहा कि उन्हें उनका नाम नहीं मालूम है. उन्होंने सिर्फ़ उनसे बात करने वाले का हुलिया बताया.
एक अन्य कथित शिकायतकर्ता आकाश से बात करने पर वह कहते हैं, “ये मेरे भाई का नंबर है, मुझे इस बारे में कुछ पता नहीं है. मेरे भाई गए होंगे शिकायत करने. मैं मंडप में काम करता हूं, मैं भला कहां जाऊंगा. जिन लोगों पर धर्मांतरण का आरोप है वे जेल जा चुके हैं.”
पुलिस ने कुछ लोगों के कहने पर केस दर्ज कर लिया और आठ लोगों को गिरफ़्तार भी कर लिया है.
लेकिन ना तो कोई शिकायतकर्ता अब मीडिया से बात करना चाहता है और ना ही उन 400 लोगों में से एक व्यक्ति भी ऐसा मिला जिसने कथित तौर पर धर्म बदला है.
तो क्या यह पूरा मामला ज़मीन ख़ाली कराने से जुड़ा हो सकता है?
हिंदूवादी नेता सचिन सिरोही भी भूमि पर निगाह रखने वाले कुछ तत्वों के होने से इनकार नहीं करते हैं.
कुछ ऐसी ही शिकायत की बात क्षेत्र के पुलिस उपाधीक्षक ब्रजेश सिंह ने भी कही.
ब्रजेश सिंह ने कहा, “हम अभियोजन पक्ष के लोगों से मिले हैं. वे भूमि पर कुछ लोगों के क़ब्ज़ा करने की शिकायत कर रहे थे. हमने उनको आश्वस्त किया है कि ग़लत कुछ नहीं होने दिया जाएगा.”
स्थानीय पार्षद नवीन खटीक कहते हैं, “यहां झुग्गी झोपड़ी वालों के वोट नहीं हैं, हालांकि इनके पास आधार कार्ड हैं. किसी ने भी इनके वोट के लिए प्रयास नहीं किया.”
क्षेत्र के एक अन्य नेता भाजपा से नामित पार्षद वीर सिंह सैनी बीबीसी से कहते हैं, “मलिन बस्ती के लोग यहां 40 वर्ष से भी अधिक समय से रह रहे हैं. मेरे पास कुछ समय पहले ये लोग आए थे, वे कह रहे थे कि कुछ लोग उन्हें धमकियां दे रहे हैं, स्थान ख़ाली कराना चाह रहे हैं. मुझे ये लग रहा है कि भूमि ख़ाली कराना ही मुख्य कारण है.”
भाजपा नेता अपनी बात पर क़ायम
भाजपा नेता दीपक शर्मा इन आरोपों से इनकार करते हैं.
बीबीसी से बातचीत में वो कहते हैं, “देखिए बस्ती के लोग जहां हैं वहीं रहें, हमें इस बात से कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता है, लेकिन धर्मांतरण बिल्कुल बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. स्थानीय लोगों की ग़ुरबत और कमज़ोरी का लाभ उठाकर उनको ईसाई धर्म अपनाने पर मजबूर किया जा रहा है.”
वह आगे कहते हैं, “मेरे पास क़रीब छह माह पहले भी ऐसी शिकायत आई थी, लेकिन तब हमें इस मामले के इतना गंभीर होने की जानकारी नहीं थी. हिंदू लोगों को ईसाई बनाने के लिए उन्हें डराया धमकाया जा रहा है.
प्रलोभन दिया जा रहा है. दिल्ली से भी कुछ लोग यहां धर्म परिवर्तित कराने के लिए पहुंचे थे. इनमें कुछ विदेशी भी शामिल थे.”
एक सवाल के जवाब में दीपक शर्मा कहते हैं, “देखिये कोई शिकायतकर्ता यदि सामने नहीं आ पाया है तो हो सकता है कि सुरक्षा कारणों के चलते वो भूमिगत हो गया हो, पर हमारे साथ बड़ी संख्या में लोग एसपी मेरठ से इस बारे में शिकायत करने पहुंचे थे. उन्हीं की शिकायत के आधार पर ये कार्रवाई हुई है.”
हिंदूवादी संगठन से जुड़े रहे सचिन सिरोही कहते हैं, “मैं हिंदू जागरण मंच से जुड़ा रहा हूं. मंगतपुरम इलाक़े में बड़े स्तर पर धर्म परिवर्तन का खेल चल रहा है. मैं ख़ुद वहां बने चर्च में गया था. वहां से ईसाई धर्म से संबंधित काफ़ी सामग्री बरामद हुई थी.”
उन्होंने आगे कहा, “कुछ पुलिसवालों के सामने ही चर्च के भीतर से मैंने ख़ुद ये सामग्री निकालकर पुलिस को सौंपी थी. ग़रीब लोगों को प्रलोभन देकर और डरा धमकाकर उन्हें ईसाई धर्म अपनाने को मजबूर किया जा रहा है. हम ये बात बिल्कुल बर्दाश्त नहीं करेंगे.”
भूमि किसकी, क्या कहता है प्रशासन
मंगतपुरम के इस इलाक़े का रक़बा कितना है, कौन इस ज़मीन का मालिक है, जैसे कई सवालों को लेकर बीबीसी ने एसडीएम सदर ओजस्वी राज से बात की.
उनका कहना था,”मंगतपुरम की भूमि दो राजस्व ग्रामों में है. दोनों में सभी की मिक्स है. प्राधिकरण का भी भाग है, कुछ निजी है. हम इस सारी भूमि को अवैध नहीं कह सकते हैं. किस भूमि पर ये लोग बसे हुए हैं, ये जांच का विषय है.”
मंगतपुरम के इस इलाक़े में जितने भी लोग इन झुग्गी-झोपड़ियों में रहते हैं वे नट समुदाय, सैनी और कई अन्य पिछड़ी जातियों से संबंध रखते हैं.
अधिकांश लोग कूड़ा चुनने, ठेली लगाने, मज़दूरी करने जैसे काम करते हैं. ना तो उनके शरीर पर साफ़ कपड़े ही दिखे और ना ही घरों में साफ़ बर्तन.
बस्ती के भीतर ये लोग ऐसे स्थान पर रह रहे हैं जहां कई जगह छोटे जानवरों के शव सड़-गल रहे हैं तो कहीं शहर का कूड़ा भरा पड़ा है.
अभी बस्ती चाहे जिस हाल में हो, लेकिन यह इलाक़ा दिल्ली रोड के किनारे से सटकर ही बसा है.
सामने ही रैपिड रेल निर्माण कार्य तेज़ी से चल रहा है. बस्ती के आसपास कुछ रिहाइशी कॉलोनियों को भी डिवेलप किया जा रहा है.
ऐसे में इस इलाक़े की ज़मीनों के रेट आसमान छू रहे हैं.
एक स्थानीय व्यक्ति कनक के मुताबिक़, यहां ज़मीन की क़ीमत 80 हज़ार रुपये प्रति गज तक पहुँच गई है.
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