इस्लामिक देश संयुक्त अरब अमीरात में एक ऐसा ईसाई मठ मिला है, जो संभवतया तब बनाया गया था, जबकि इस्लाम का प्रसार अरब प्रायद्वीप में नहीं हुआ था. यूएई के तट से दूर सिनिया द्वीप पर यह मठ मिला है, जो कि उम्म अल-कुवेन अमीरात का हिस्सा है.
विशेषज्ञ इस खोज को लेकर उत्साहित हैं क्योंकि यह फारस की खाड़ी के इर्द-गिर्द ईसाई धर्म के प्रचार-प्रसार को लेकर नए रास्ते खोल सकता है. इस क्षेत्र में अपनी तरह का यह दूसरा मठ मिला है. इस पर 1,400 वर्ष से पहले के निशान मिलते हैं, जो बताते हैं कि इस्लाम के इस इलाके में प्रसार से पहले यहां ईसाई धर्म के लोग मौजूद थे.
विशेषज्ञ कहते हैं कि ये मठ वक्त की रेत तले दब गए क्योंकि धीरे-धीरे यहां के लोगों ने इस्लाम अपना लिया. आज मध्य पूर्व में ईसाई धर्म एक छोटे से अल्पसंख्यक समुदाय के रूप में ही मौजूद है. मठ खोजने वाले दल का हिस्सा रहे पुरातत्ववेत्ता यूएई यूनिवर्सिटी के एसोशिएट प्रोफेसर टिमोथी पावर कहते हैं कि यूएई अब विभिन्न राष्ट्रों का संगम स्थल बन चुका है.
पावर बताते हैं, “यह तथ्य अपने आप में अद्भुत है कि एक हजार साल पहले भी ऐसा ही कुछ हो रहा था और यह कहानी सुनाई जानी चाहिए.”
कैसा है यह मठ
नया मिला ईसाई मठ सिनिया द्वीप पर है, दुबई के उत्तर पूर्व में करीब 50 किलोमीटर दूर फारस की खाड़ी में स्थित है. इस द्वीप के नाम का अर्थ है ‘टिमटिमाती रोशनियां‘. संभवतया यह नाम इसलिए पड़ा होगा क्योंकि यहां के रेत पर धूप पड़ने से गजब का नजारा बनता है. द्वीप का आकार मुड़ी हुई उंगलियों जैसा लगता है. उन्हीं उंगलियों में से एक पर पुरातत्वविदों को यह मठ मिला है.
जॉर्जिया में खोजा गया 18 लाख साल पुराना मानव दांत
मठ की नींव से लिए गए नमूनों की जब कार्बन डेटिंग की गई तो पता चला कि इसका निर्माण 534 से 656 ईसवी में हुआ होगा. इस्लाम के पैगंबर मोहम्मद का जन्म 570 ईसवी के आसपास हुआ था और 632 ईसवी में उनकी मृत्यु हुई.
आसमान से देखने पर सिनिया द्वीप के मठ का नक्शा दिखाता है शुरुआती ईसाई श्रद्धालु एक गलियारेनुमा चर्च में प्रार्थना किया करते होंगे. कमरों में ब्रेडन या वेफर बनाने के लिए चूल्हा और बैप्टिज्म के लिए कुंड भी है. मठ के बगल में एक और इमारत है जिसमें चार कमरे हैं. संभव है कि यह पादरी का या किसी अन्य धर्मगुरू का घर रहा होगा.
यूएई के लिए अहमियत
3 नवंबर को यूएई के संस्कृति और युवा मामलों के मंत्री नूरा बिन मोहम्मद अल काबी ने इस मठ का दौरा किया. उनके साथ उम्म अल-कुवेन के पर्यटन और पुरातत्व विभाग के अध्यक्ष शेख माजिद बिन सऊद अल मुल्ला और अमीरत के शासक का एक बेटा भी था.
यह द्वीप अमीरत के शासकों पारिवारिक संपत्ति है और यहां सालों से ऐतिहासिक इमारतों की खुदाई का काम चल रहा है. यूएई की संस्कृति मंत्रालय ने इस खुदाई के लिए धन भी दिया है. चर्च से कुछ सौ मीटर की दूरी पर कई ऐसी इमारतें मिली हैं, जिनके बारे में विशेषज्ञ मानते हैं कि यह इस्लाम के आने से पहले का कोई गांव रहा होगा.
बगल में एक और गांव है जिसे अंग्रेजों ने 1820 में ध्वस्त कर दिया था. उसके बाद यह इलाका ट्रूशियल स्टेट्स का हिस्सा बन गया था और उम्म अल-कुवेन अमीर रहने के लिए मुख्य द्वीप पर चले गए थे.
ब्रिटेन में कुएं से निकले 17 कंकालों का यहूदी कनेक्शन
इतिहासकारों का कहना है कि फारस की खाड़ी के तटों पर प्राचीन चर्च और मठ बड़ी तादाद में मौजूद हैं. ओमान से लेकर भारत तक इनकी मौजूदगी है. पुरातत्वविदों को ऐसे ही चर्च और मठ बहरीन, इराक, ईरान, कुवैत और सऊदी अरब में भी मिले हैं.
1990 में यूएई का पहला ईसाई मठ मिला था, जो सर बानी यास द्वीप पर था. आबू धाबी के करीब यह मठ आज एक संरक्षित स्थान है जहां बड़ी संख्या में पर्यटक आते हैं. उसकी आयु भी कुछ वैसी ही है, जो नए मिले मठ की है.
वीके/एए (एपी)
श्रेय: स्रोत लिंक
इस बारे में चर्चा post