Publish Date: | Tue, 11 Oct 2022 01:42 AM (IST)
रायपुर (नईदुनिया प्रतिनिधि)। जो लोग पुलिस की कार्यशैली को जानते हैं, उन्हें अच्छे से पता है कि पुलिस की प्राथमिकताएं कभी भी स्थिर नहीं रह पातीं। एक अभियान शुरू हुआ नहीं कि दूसरे के निर्देश मिल जाते हैं। यहां बात करने के लिए विषय तो बहुत हैं। वर्तमान में नशा प्रासंगिक है। मुख्यमंत्री ने समीक्षा बैठक में पुलिस अधिकारियों को नशे की आवक पर प्रहार करने को कहा है।
कुछ माह पूर्व रायपुर के तत्कालीन आइजी ने भी सूखे नशे को अपराध की प्रमुख जड़ मानते हुए कार्रवाई के लिए कहा था। तब पुलिस ने धरपकड़ के लिए अभियान चलाया। छत्तीसगढ़ सहित ओडिशा, महाराष्ट्र, बिहार, उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों से जुड़े नेटवर्क तोड़े गए। पुलिस जिस तरह से कार्रवाई कर रही थी, उसे देखते हुए लग रहा था कि अब रायपुर नशामुक्त हो जाएगा। दुर्भाग्य से पुलिस की प्राथमिकता बदल गई। सारा खेल इसी प्राथमिकता का ही है। अब देखिए, क्या होता है?
हाय-हलो छोड़ बच्चे बोले- जय श्रीराम
रायपुर के डीडी नगर में विजयादशमी के दिन सीता स्वयंवर के साथ रावण दहन का आयोजन किया गया। इसमें राम-सीता, लक्ष्मणजी, हनुमानजी और वानर सेना की भूमिका सात से नौ वर्ष के बालक-बालिकाओं ने निभाई। लगभग चार घंटों तक ये बच्चे एकाग्र भाव से अपनी भूमिका निभाते रहे। इन बच्चों ने चार घंटे अध्यात्म की शरण ली, जिसका तात्कालिक प्रभाव इनके चरित्र में दिखने भी लगा है।
इनके अभिभावकों ने बताया कि समारोह के पश्चात इनके चरित्र में अद्भुत परिवर्तन देखने को मिला है। अब ये हाय-हलो के स्थान पर जय श्रीराम कह रहे हैं। इनके चरित्र में अब एकाग्रता भी दिख रही है। अब ये स्वयं ही पढ़ाई कर रहे हैं और मोबाइल छोड़कर खेलने भी जा रहे हैं। स्पष्ट है कि बच्चों और स्वयं को सही दिशा में रखने के लिए बहुत जतन करने होंगे, अन्यथा परिस्थितियां तो धर्म के भाव को खाने के लिए तैयार बैठी हैं।
आनलाइन सट्टे ने बढ़ाई पुलिस की परेशानी
जब से आनलाइन सट्टा शुरू हुआ है, तब से पुलिस परेशान है। घर बैठे सट्टा खिलाया जा रहा है। कार में घूमकर सट्टा खिला रहे हैं। और तो और थाने के पास सड़क के किनारे कार खड़ी करके उसमें भी सट्टा खिलाया जा चुका है। स्टेशन के पास से ऐसे कुछ लोगों को पुलिस ने पकड़ा भी था।
चलिए, आगे बढ़ते हैं। परंपरागत सट्टे में होता यह था कि सटोरियों के पास से मोटा माल मिलता था। पुलिस इस मोटे माल को किनारे करके करोड़ों का सट्टा-पट्टी घोषित करके प्रशंसा बटोर लेती थी। अब आनलाइन सट्टे में मोटे माल की सुविधा नहीं मिल पाती। सब कुछ आनलाइन जो होता है। विवशता में पुलिस को मोबाइल, लैपटाप, कंप्यूटर इत्यादि की जब्ती दिखानी पड़ जाती है। हाथ कुछ नहीं आता, उल्टे खर्चा और हो जाता है। नए कोतवाल को एक रैंक ऊपर के अधिकारी ने समझाया- आनलाइन ट्रांसफर की सुविधा है न!
गड्ढों से जुड़ीं अधिकारियों की आशाएं
छत्तीसगढ़ में सड़क बनाने वाले सभी विभाग सड़कों के गड्ढे गिनने का ही काम कर रहे हैं। रायपुर निगम के पीडब्ल्यूडी के अधिकारी भी इसी काम में लगे हैं। अधिकारी रोज सुबह निकलते हैं। गड्ढे देखते हैं। उनकी गहराई नापते हैं। फिर फाइल बनाकर विभाग प्रमुख के पास प्रस्तुत करते हैं। जोन कार्यालयों में भी यही काम हो रहा है।
अब देखिए, मुख्यालय ने तीन हजार गड्ढे चिन्हित किए, जबकि जोनों से आई रिपोर्ट में छह सौ गड्ढे गिने गए। मुख्यालय ने छोटे-छोटे गड्ढे ढूंढ़े, जबकि जोन ने आठ इंच तक के गड्ढों की गिनती की। मुख्यालय ने चिन्हांकित गड्ढों के लिए टेंडर भी कर दिया, जबकि जोन के लिए प्रस्ताव ही तैयार नहीं हो पाया है। पैसा भी दूसरे मद का लिया जा रहा है। लगभग 150 किमी लंबी निगम की सड़कों के गड्ढों को भरने का खर्चा करोड़ों में जाएगा, इसीलिए हड़बड़ी में टेंडर किया जा रहा है।
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