उपराज्यपाल की ओर से दिल्ली सरकार को सलाह दी गई है कि प्रस्तावित अभियान को लागू करने के लिए रेड लाइट्स पर सिविल डिफेंस वॉलेंटियर्स को खड़ा करने की बजाय दिल्ली सरकार को तकनीकी समाधान के साथ आने की जरूरत है.
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दिल्ली के उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को “रेड लाइट ऑन गाड़ी ऑफ” अभियान से संबंधित फाइल को पुनर्विचार के लिए वापस भेज दिया है. उपराज्यपाल ने इस अभियान पर कई सवाल उठाए हैं. एलजी कार्यालय की और से कहा गया है कि भेजी गई फाइल में यह साबित करने के लिए कुछ भी नहीं बताया गया है कि ऐसा अभियान वायु प्रदूषण के खिलाफ प्रभावी है. बल्कि, यह योजना केवल सिविल डिफेंस वॉलेंटियर्स को गंभीर स्वास्थ्य और शारीरिक जोखिम में डालता है.
राज्यपाल की तरफ से यह भी कहा गया है कि दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने इस अभियान की तारीख के बारे में भी गलत जानकारी दी. अभियान के शुरू होने की प्रस्तावित तारीख 31 अक्टूबर, 2022 थी, न कि 28 अक्टूबर, 2022. अभियान के दौरान सिविल डिफेंस वॉलेंटियर्स को प्रदूषित चौराहों पर खड़ा किया जाना था. लेकिन उनका स्वास्थ्य और सुरक्षा सर्वोपरि है, उनका अमानवीय उपयोग नहीं किया जा सकता है.
‘वॉलेंटियर्स की जगह तकनीक का इस्तेमाल हो’
उपराज्यपाल की ओर से दिल्ली सरकार को सलाह दी गई है कि प्रस्तावित अभियान को लागू करने के लिए रेड लाइट्स पर सिविल डिफेंस वॉलेंटियर्स को खड़ा करने की बजाय दिल्ली सरकार को तकनीकी समाधान के साथ आने की जरूरत है. कुछ लोगों के स्वास्थ्य की रक्षा के लिए इन वॉलेंटियर्स के स्वास्थ्य को जोखिम में डालना दोषपूर्ण है. इसके अलावा, इस लंबे समय से चली आ रही समस्या के किसी भी प्रभावी और टिकाऊ समाधान में तकनीकी हस्तक्षेप शामिल होंगे, न कि तदर्थ कदम. साल दर साल और लंबे समय में ऐसे उपायों को लागू करने के लिए तकनीकी समाधान खोजने की जरूरत है, बजाय इसके कि लोगों को तैनात कर उन्हें जोखिम में डाला जाए. वायु प्रदूषण हम सभी के लिए खतरा है, समाज के गरीब और हाशिए के वर्गों में प्रदूषण का ज्यादा असर पड़ता है, जो अक्सर अच्छी तरह से संपन्न लोगों द्वारा फैलाया जाता है.
‘मूल्यांकन रिपोर्ट भी नहीं दी गई’
LG ने आगे कहा कि प्रस्तावित अभियान के तहत सिविल डिफेंस वॉलेंटियर्स की तैनाती उसी असमानता को मजबूत और कायम रखती है, जो दुर्भाग्यपूर्ण है और जीवन और समानता के मूल अधिकार का उल्लंघन है. उपराज्यपाल द्वारा इस बात पर भी जोर दिया कि इससे पहले के वायू प्रदूषण के खिलाफ चलाए गए अभियानों का परिणाम क्या रहा, उनके मूल्यांकन रिपोर्ट भी नहीं दी गई. दिल्ली के लोग जो वायु प्रदूषण के कारण सबसे ज़्यादा पीड़ित हैं, वे जागरूक और सतर्क नागरिक हैं जो अपने कर्तव्यों के प्रति सचेत हैं और इस तरह के प्रदूषण को कम करने के लिए अपने दम पर कोई भी उपाय करेंगे.
प्रस्ताव की कानूनी वैधता को रेखांकित करते हुए LG ने पर्यावरण मंत्री को नागरिक सुरक्षा अधिनियम, 1968 की धारा 2 (ए) और 2 (बी) के संदर्भ में आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 की धारा 2 (डी) के तहत प्रस्तावित अभियान के लिए सिविल डिफेंस वालंटियर्स की नियुक्ति के लिए विधि विभाग और राजस्व विभाग के परामर्श से इसकी जांच करने के निर्देश दिए हैं.
मुख्यमंत्री के पास 10 दिनों तक लंबित पड़ी रही प्रस्ताव की फाइल- LG
LG की ओर से दिल्ली सरकार के प्रस्ताव को रोक कर रखने के आरोपों का खंडन करते हुए कहा गया है कि प्रस्ताव की फाइल खुद मुख्यमंत्री के पास 10 दिनों तक 11 अक्टूबर से लेकर 21 अक्टूबर, 2022 तक लंबित रही और 21 अक्टूबर को मंजूरी के लिए उनके कार्यालय में भेजा गया. LG ने अपने ऊपर लगे आरोपों को निराधार, झूठा और राजनीति से प्रेरित बताया. उन्होंने कहा कि एक संवैधानिक पद बैठे व्यक्ति के खिलाफ केवल राजनीतिक एकाधिकार और प्रचार के लिए ऐसे आरोप लगाना अनुचित और दुर्भाग्यपूर्ण है. इस तरह के प्रचार से बचना चाहिए और मंत्री जी को सार्वजनिक महत्व के ऐसे मुद्दों में सतर्क रहने की सलाह दी जानी चाहिए.
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