सीताराम शर्मा-बम्म
जिला बिलासपुर में महिलाओं के लिए रेशम कीट पालन व्यवसाय स्वरोजगार से आय का साधन बन गया है। बरसात में उत्पादन हुए रेशम कोकून की खरीद की गई किसानों से लगभग 200 किलो कोकून 700 से 1050 रुपए प्रति किलो के हिसाब से खरीदा गया। रेशम कीट पालन के दो सीजन होते हैं। इसके तहत मार्च व सितंबर महीनों में यह कार्य किया जाता है। लेकिन मार्च व अप्रैल के बसंत व ग्रीष्म ऋतु में बिलासपुर जिला में अधिकांश कीट पालन करते हैं। इससे महिलाओं को काम के साथ-साथ अच्छी आमदनी भी हो जाती है। रेशम कीट पालन केंद्र रांगडू, लद्दा व हटवाड़ में इस कार्य में महिलाएं बढ़-चढक़र भाग ले रही हैं। इस व्यवसाय में मराहना, घंडालवीं, हम्बोट, पंतेहड़ा, बम्म, सलाओ, कोट, हटवाड़, मैहरी काथला, लद्दा, तलवाड़ा, पटेर, कुठेड़ा व भलस्वाय आदि पंचायतों के लगभग 600 किसान इस कार्य को अपना रहे हैं।
क्षेत्र की मीना देवी, कांता देवी, सुनीता देवी, वीना देवी, मनजीत, कर्मी, कुशमलता, कमला देवी, रीना, अनारकली, जमना, रोशनी, विद्या, नीना, निर्मला देवी, ममता, बबिता, मनोरमा देवी, कमलेश, नीलम, वंदना, सरोज, मीना कुमारी, शैलजा, सीमा, शकुंतला, सरिता देवी व आशा देवी ने बताया कि रेशम कीट पालन विभाग की ओर से रेशम कीट बीज मुफ्त में उपलब्ध करवाया गया है। इसकी छोटी सी कीमत 50 से 200 रुपए बिक्री के समय ली जाती है। उन्होंने बताया कि इन्हें तैयार करने के लिए 25 दिन का समय लग जाता है तथा थोड़े से समय व लागत से उन्हें अच्छा लाभ मिलता है। रेशम विभाग की छपरोह रांगडू में 52 बीघा जमीन, लद्दा में 22 बीघा जमीन, हटवाड़ व घुमारवीं में भी कई एकड़ जमीन है, जिस पर शहतूत के लगभग 50 हजार पौधे लगाए गए हैं। एचडीएम
जल्द होगा शेड का निर्माण
इस बारे में रेशम कीट पालन केंद्र लद्दा रांगडू प्रभारी कृष्ण कुमार ने बताया कि किसानों को हर सुविधा को समय पर व घर द्वार उपलब्ध करवाने की पूरी व्यावस्था की जा रही है, ताकि सभी योजनाओं का लाभ कीट पालकों को मिल सके। रेशम कोकून समय पर खरीदने की व्यवस्था की जाएगी, ताकि किसानों को परेशानी का सामना न करना पड़े। अगले वित्त वर्ष में किसानों को शेड निर्माण सुविधा उपलब्ध करवाई जा रही है।
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