संत पापा फ्राँसिस ने विश्व खाद्य दिवस पर संयुक्त राष्ट्र के खाद्य एवं कृषि संगठन (एफ ए ओ) के निदेशक क्यू दोंग्यू को एक संदेश भेजा है। जिसमें उन्होंने भुखमरी को दूर किये जाने का संकेत दिया है। इस बात को याद करते हुए कि लोग आंकड़े नहीं हैं, उन्होंने अंतरराष्ट्रीय संबंधों को मानवीय तथा एकात्मक बनाने का आह्वान किया है।
उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी
इस वर्ष विश्व खाद्य दिवस 16 अक्टूबर को मनाया जाएगा,जिसकी विषयवस्तु है, “किसी को पीछे न छोड़ें”।
संयुक्त राष्ट्र के खाद्य एवं कृषि संगठन के निदेशक को प्रेषित संदेश में संत पापा फ्राँसिस ने कहा कि विषयवस्तु, जिसमें कई चुनौतियाँ हैं, विशेषकर, आज, “दुर्भाग्य से, हम भी युद्ध की पृष्टभूमि में जी रहे हैं, जिसे हम ‘तीसरा विश्व युद्ध’ कह सकते हैं।”
संत पापा ने याद किया कि द्वितीय विश्व युद्ध के समय में अभाव और भूख से पीड़ित बहुत सारे लोगों की जरूरतों का जवाब देने के लिए स्थापित संयुक्त राष्ट्र एजेंसी की स्थापना के 77 साल पूरे हो चुके हैं।
किसी को पूछे नहीं छोड़ने के लिए एक साथ कार्य करें
वर्तमान परिस्थिति के संदर्भ में संत पापा फ्राँसिस ने गौर किया कि विश्व दिवस “बेहतर उत्पादन, बेहतर पोषण, बेहतर पर्यावरण और सभी के लिए एक बेहतर जीवन का आह्वान करता है। किन्तु मानव को प्रभावित करनेवाले कई संकटों का सामना करना तब तक संभव नहीं होगा जब तक कि किसी को पीछे नहीं छोड़ते हुए, एक साथ काम न किया जाए।!
“इसके लिए जरूरी है कि हम दूसरों को हमारे भाई और बहन के रूप में देखें, हमारे ही परिवार के सदस्यों के रूप में, जिसकी पीड़ा एवं आवश्यकताएँ हमें प्रभावित करें।
सुसमाचार का हवाला देते हुए संत पापा ने कहा कि “यदि शरीर का कोई एक अंग पीड़ित होता तो इससे सभी अंग पीड़ित महसूस करते हैं।”
न्यायपूर्ण एवं स्थायी समाधान की रणनीति
संत पापा ने संगठन की रणनीति के महत्व का जिक्र करते हुए कहा कि यह आनेवाले दशक के लिए एक ढांचा है जिसका उद्देश्य भूख और कुपोषण के पूर्ण उन्मूलन में योगदान देना है।
उन्होंने कहा कि परियोजनाएँ एवं हस्ताक्षेप न केवल परिस्थितिजन्य कमियों का जवाब हों अथवा आपातकालीन स्थिति में अपील हों किन्तु न्यायसंगत और स्थायी समाधान के लिए लक्ष्य भी हो।
“गरीबी की समस्या से निपटने की तात्कालिकता को दोहराना आवश्यक है, जो एक साथ और सभी स्तरों पर पर्याप्त पोषण की कमी से निकटता से जुड़ी हुई है।”
संत पापा ने अंतर्राष्ट्रीय सहयोग में लगे सभी लोगों को इस तथ्य को कभी न भूलने के लिए आमंत्रित किया कि “किसी भी रणनीति की धुरी ठोस कहानियों और चेहरों के साथ एक निश्चित स्थान पर रहनेवाले लोग हैं; संख्या, डेटा या अंतहीन आँकड़े नहीं।”
प्रेम
उन्होंने कहा, “अंतर्राष्ट्रीय सहयोग की भाषा में ‘प्रेम की श्रेणी’ का परिचय दें, “मानवता और एकजुटता के साथ अंतरराष्ट्रीय संबंधों को तैयार करें, आमहित से प्रेरित होकर कार्य करें।”
संत पापा फ्राँसिस ने कहा, “हम अपनी निगाहों को आवश्यकता की ओर पुनर्निर्देशित करने के लिए बुलाये गये हैं,” जो हमें मुफ्त में मिला है, अतः हमें अपने कार्यों को दूसरों और सृष्टि की देखभाल को ध्यान में रखते हुए करना है।”
काथलिक कलीसिया की प्रतिबद्धता
फाओ के निदेशक को प्रेषित संदेश में संत पापा ने परमधर्मपीठ एवं कलीसिया की फाओ एवं अन्य सरकारी संगठनों के साथ चलने की प्रतिबद्धता दोहरायी जो गरीबों के लिए कार्य कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि “हम ऐसा, भाईचारा, सहमति और आपसी सहयोग को पहले रखते हुए कर सकते हैं, उस क्षितिज की खोज में, जो न केवल आज के लिए, बल्कि आनेवाली पीढ़ियों के लिए भी दुनिया का वास्तविक लाभ प्रदान करेगा।” अंततः संत पापा ने इस मतलब के लिए ईश्वर से प्रार्थना की।
“यह जानते हुए उन्होंने प्रार्थना की कि सभी प्राणी उनके हाथों से भोजन प्राप्त करते और जो भूखों के साथ रोटी तोड़ते हैं उन्हें वे प्रचुर आशीष प्रदान करते हैं।”
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