- ह्यूगो बाचेगा, जॉन सिम्पसन
- बीबीसी संवाददाता, यूक्रेन के कीएव से
यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर ज़ेलेन्स्की ने कहा है कि रूस के अधिकारी ‘अपने लोगों को’ परमाणु हथियारों के संभावित इस्तेमाल को लेकर तैयार करने लगे हैं. हालांकि, उन्हें इस बात का यक़ीन नहीं कि रूस परमाणु हथियारों का इस्तेमाल करने के लिए तैयार है.
बीबीसी के साथ एक इंटरव्यू में राष्ट्रपति ज़ेलेन्स्की ने इस बात से इनकार किया कि उन्होंने रूस पर हमले का आदेश दिया है. उन्होंने कहा कि उनके बयान को ‘ग़लत ट्रांसलेट’ किया गया है.
उन्होंने प्रतिबंधों का ज़िक्र करते हुए कहा, “आपको अपनी रक्षा के लिए बचाव के कदम उठाने होते हैं, ये हमला नहीं हैं.”
हाल के हफ्तों में यूक्रेनी सेना ने तेज़ी से हमले किए हैं और रूसी कब्ज़े वाले कई इलाक़ों को आज़ाद कराया है. रूसी सेना को तमाम ऐसी जगहों से पीछे हटना पड़ा है जिन पर वो कई सप्ताह से कब्ज़ा कर चुकी थीं.
यूक्रेन का कहना है कि रूस ने उसके चार इलाक़ों के कुछ हिस्सों पर कब्ज़ा कर लिया था जिसके बाद उसकी सेना ने रूस पर हमले तेज़ किए हैं.
यूक्रेन देश के हिस्सों को रूस में शामिल करने को ‘अवैध’ बताते हुए खारिज कर चुका है. जिसके बाद सात महीनों से जारी इस युद्ध के और खिंचने की संभावना बढ़ गई है.
राष्ट्रपति पुतिन और रूस के दूसरे वरिष्ठ अधिकारियों का कहना है कि इन इलाक़ों के बचाव के लिए वो छोटे आकार के ‘टैक्टिकल हथियारों’ यानी परमाणु हथियारों का इस्तेमाल कर सकते हैं. हालांकि पश्चिमी देशों के अधिकारियों ने कहा है कि ऐसे कोई सबूत नहीं मिले हैं कि रूस ऐसा करने की तैयारी कर रहा है.
कीएव स्थित राष्ट्रपति दफ्तर में दिए इंटरव्यू में राष्ट्रपति ज़ेलेन्स्की ने कहा, “उन्होंने अपने समाज को तैयार करना शुरू कर दिया है. ये बेहद ख़तरनाक है.”
“वो इन हथियारों का इस्तेमाल करने के लिए तैयार नहीं हैं लेकिन वो इस बारे में सूचनाएं ले-दे रहे हैं. उन्हें अभी ये नहीं पता कि वो इनका इस्तेमाल करेंगे या नहीं. मुझे लगता है कि इसके बारे में बात करना भी ख़तरनाक है.”
उन्होंने कहा, “हमें जो पता है वो ये कि रूस में जो लोग ताकतवर हैं उन्हें ज़िंदगी से प्यार है और इसलिए मुझे लगता है कि जैसा कि कुछ जानकार कहते हैं, परमाणु हथियारों के इस्तेमाल की संभावना अभी उतनी पुख्ता नहीं है. वो समझते हैं कि इनका इस्तेमाल करने के बाद फिर राह बदलना मुश्किल होगा, केवल उनका इतिहास ही नहीं बल्कि वो खुद और उनकी पहचान भी दांव पर है.”
ज़ेलेंस्की ने गुरुवार को आयोजित एक ऑनलाइन कार्यक्रम में इस बात को सिरे से ख़ारिज किया कि उन्होंने रूस पर हमलों की अपील की है. यूक्रेन के राष्ट्रपति ने दावा किया कि उन्होंने इसके लिए यूक्रेनी भाषा में जो शब्द कहा उसका ‘ग़लत अनुवाद किया गया.’
इस मामले में रूसी राष्ट्रपति के कार्यालय के प्रवक्ता दिमित्री पेस्कोव ने कहा, “ये एक और विश्वयुद्ध शुरू करने की अपील थी.”
वहीं रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लैवरॉफ़ ने कहा कि ये बयान बताता है कि यूक्रेन के ख़िलाफ़ अभियान शुरू करना रूस का सही फ़ैसला था.
राष्ट्रपति ज़ेलेन्स्की ने कहा, “इसके बाद उन्होंने (रूस ने) इसे अपने तरीके से समझा और अपने अलग मायने निकाले.”
‘रूस पर लगाए जाएं और प्रतिबंध’
बीबीसी ने ज़ेलेन्स्की का इंटरव्यू किया उसके कुछ देर पहले अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने रूस के परमाणु ख़तरे को लेकर चेतावनी दी थी.
बाइडन ने कहा था, “शीत युद्ध दौर के क्यूबा मिसाइल संकट के बाद रूस के परमाणु हथियारों के इस्तेमाल की धमकी, दुनिया को कयामत के क़रीब ले आई है.”
राष्ट्रपति ज़ेलेन्स्की ने कहा कि अब वक्त आ गया है कि इसके ख़िलाफ़ कदम उठाए जाएं क्योंकि रूस की धमकी “पूरी पृथ्वी को जोखिम में ढाल सकती है”.
उनका दावा है कि रूस ने ज़ापोरिज़िया परमाणु प्लांट पर कब्ज़ा कर के “अपनी तरफ से पहल” की है. उनका कहना है कि ज़ापोरिज़िया परमाणु प्लांट यूरोप का सबसे बड़ा परमाणु प्लांट है और पुतिन इसे रूस की संपत्ति बना लेना चाहते हैं.
ज़ेलेन्स्की ने कहा कि इस परमाणु प्लांट का कामकाज यूक्रेन के कर्मचारी देख रहे थे लेकिन वहां रूस के क़रीब 500 सैनिक भी मौजूद थे.
उन्होंने कहा, “दुनिया को जल्द से जल्द रूस की हरकतों पर लगाम लगाने की ज़रूरत है. इस तरह के मामलों में उस पर ऐसे प्रतिबंध लगाए जाएं कि वो परमाणु प्लांट को छोड़ कर जाने के लिए मजबूर हो जाए.”
रूस के साथ इस युद्ध में यूक्रेनी सेना को पश्चिमी मुल्कों से अत्याधुनिक हथियारों की मदद मिल रही है जिसकी मदद से यूक्रेनी सेना पूर्व और दक्षिण में आगे बढ़ रही है और जिन गावों और शहरों पर रूस ने कब्ज़ा कर लिया था उन पर फिर से कब्ज़ा कर रही है.
यूक्रेन के किन हिस्सों पर रूस का कब्ज़ा है
सितंबर में आख़िरी सप्ताह में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने यूक्रेन के चार नए इलाक़ों को रूस में शामिल करने के दस्तावेज़ों पर हस्ताक्षर किए हैं. इसके बाद इन इलाक़ों को औपचारिक रूप से रूस में शामिल करने की प्रक्रिया शुरू गई है.
ये इलाक़े हैं दोनेत्स्क, लुहांस्क, ख़ेरसोन और ज़ोपोरिज़िया के कुछ इलाक़े. उसका दावा है कि इन इलाक़ों में जनमतसंग्रह कराने के बाद ये कदम उठाया गया है.
संयुक्त राष्ट्र और अंतरराष्ट्रीय जगत के अधिकतर देशों ने रूस के इस जनमतसंग्रह को अवैध माना है.
2014 में रूस ने यूक्रेन के क्राइमिया प्रायद्वीप को अपने नियंत्रण में ले लिया था. ये इलाक़ा अभी भी उसके नियंत्रण में है.
ज़ेलेन्स्की ने कहा कि रूसी सेना उन्हें “कड़ी चुनौती” दे रही है लेकिन यूक्रेन को अपने दोस्तों से हथियार मिल रहे हैं. उन्होंने कहा, “मैं ये तो नहीं कहूंगा कि ये पर्याप्त हैं” लेकिन हमारे सेना आगे बढ़ने को लेकर उत्साहित है.
यूक्रेन में कब्ज़ा की गई जगहों से पीछे हटना रूसी राष्ट्रपति पुतिन के लिए बड़ी शर्मिंदगी की बात है. इसके बाद देश के भीतर सेना की आलोचना शुरू हो गई है.
कब्ज़ा की गई जगहों से पीछे हटने के बीच पुतिन ने क़रीब तीन लाख लोगों को सेना में लामबंद करने का ऐलान किया जिसके बाद देश के भीतर युद्ध विरोधी प्रदर्शन शुरू हो गए. इसके बाद बहुत से ऐसे लोग जो इससे बचना चाहते थे वो बड़ी संख्या में देश से बाहर निकलने के लिए सीमाओं पर दिखने लगे.
एक अनुमान के मुताबिक़, रूस में 20 लाख ‘मिलिटरी रिज़र्विस्ट’ हैं. ये वो लोग हैं जिन्होंने अनिवार्य सैन्य सेवा के तहत मिलिट्री ट्रेनिंग ली है.
रूसी नागरिकों से ज़ेलेंस्की की अपील
राष्ट्रपति ज़ेलेन्स्की ने रूस के नागरिकों से अपील की है कि वो “अपने शरीर, अपनी जान और अपनी आत्मा के हक की लड़ाई करें”.
उन्होंने कहा, “लामबंद किए गए ये बच्चे बिना किसी अनुभव, बिना किसी बंदूक और रक्षात्मक कवच के मैदान में उतरेंगे. ये उन्हें चारे की तरह मैदान में फेंक देने जैसा है. लेकिन अगर कोई किसी का चारा ही बनना चाहता है तो हम उन्हें आने देंगे. लेकिन अगर उन्हें लगता है कि ये उनकी ज़िंदगी है तो उन्हें अपने हक़ के लिए लड़ना होगा.”
ज़ेलेन्स्की ने कहा, “पुतिन हर चीज़ से डरते हैं. ये केवल परमाणु हथियारों के हमले की बात नहीं है वो अपने समुदाय से भी डरते हैं.”
उन्होंने कहा, “पुतिन अपने ही लोगों से डरते हैं क्योंकि इन्हीं लोगों में से कोई आने वाले वक्त में उनकी जगह सत्ता संभालने में सक्षम होगा. उनके हाथों से ताकत छीन ली जानी चाहिए, ये ताकत किसी और को दे दी जानी चाहिए.”
अगर युद्ध में यूक्रेन जीत जाता है तो क्या रूसी राष्ट्रपति पुतिन क्या ये सदमा बर्दाश्त कर पाएंगे, इस सवाल पर ज़ेलेंस्की ने कहा, “मुझे इसकी परवाह नहीं.”
युद्ध से पहले रूस और यूक्रेन की सेना की स्थिति
यूक्रेन के पास कुल सैनिक – 1,096,600
सक्रिय सैनिक- 196,600, रिज़र्व सैनिक- 900,000
रूस के पास कुल सैनिक – 2,900,000
सक्रिय सैनिक- 900,000, रिज़र्व सैनिक- 2,000,000
(रिज़र्व सैनिक में वो लोग भी शामिल हैं जो बीते पांच सालों में सेना में काम कर चुके हैं.)सूत्र- मिलिटरी बैलेंस 2022
रूस-यूक्रेन युद्ध– अब तक क्या क्या हुआ
रूस ने 24 फरवरी 2022 को यूक्रेन पर हमला कर दिया था. उसने इसे विशेष सैन्य अभियान कहा. तब से दोनों देशों के बीच संघर्ष जारी है.
इस हमले से पहले यूक्रेन के पश्चिमी देशों के सैन्य संगठन नेटो में शामिल होने की चर्चा थी जिसका रूस लगातार विरोध कर रहा था.
रूस का कहना है कि उसने अपनी क्षेत्रीय सुरक्षा के लिए ये क़दम उठाया है जबकि यूक्रेन का कहना है कि रूस उस पर कब्ज़ा करना चाहता है.
हमले के बाद पश्चिमी देशों ने रूस पर कई आर्थिक प्रतिबंध लगाए हैं. इससे दुनिया में तेल और गैस की आपूर्ति पर भी असर पड़ा है.
यूरोपीय देश रूस से गैस आपूर्ति की निर्भरता को धीरे-धीरे ख़त्म करने का दावा कर रहे हैं.
दोनों देशों के बीच संघर्ष ख़त्म करने के लिए बैठकें भी हुई हैं जो बेनतीजा साबित हुई हैं. हालांकि संयुक्त राष्ट्र की मदद से तुर्की की मध्यस्थता से दोनों के बीच अहम ‘ग्रेन डील’ हुई है जिसके तहत यूक्रेन के बंदरगाहों में पड़ा अनाज दूसरे मुल्कों तक पहुंचाया जा रहा है.
हाल के दिनों में यूक्रेन ने तेज़ी से जवाबी हमले शुरू किए हैं. उसने कई इलाक़ों को रूस के कब्ज़े से छुड़ा लिया है.
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