कवर्धाएक घंटा पहले
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शंकर भवनम् में शंकराचार्य ने की महालक्ष्मी की पूजा।
इस बार दीपावली पर धर्म नगरी कवर्धा में ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद का आगमन हुआ। उन्होंने दीपावली कवर्धा में ही मनाई। इस दौरान भक्तों को दर्शन व आशीर्वचन भी दिए। साथ ही शंकर भवनम् में पूरी रात महालक्ष्मी की पूजा की। कवर्धा के शंकरा भवन में 25 अक्टूबर को उन्होंने प्रेसवार्ता ली। इस दौरान शंकराचार्य ने संकरी नदी को लेकर चिंता जताई।
स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा कि नदी को सहेजने व इसके जीर्णोद्धार के लिए कार्य करेंगे। ताकि कवर्धा के लोगों को स्वच्छ जल मिल सके। उन्होंने कहा कि इसके लिए जल्द ही कवर्धा मंगलम कार्य शुरू करेंगे। संकरी नदी की वर्तमान स्थिति सही नहीं है इसे वास्तविक तौर पर नदी का रूप देने का विचार है। नदी के उद्गम से लेकर संगम तक परिक्रमा करेंगे। उन्होंने कहा कि नदी में स्वच्छ जल का प्रवाह हो। इसके लिए जो आवश्यक कार्य हैं, वे कराएंगे। ताकि कवर्धा के लोगों को स्वच्छ जल मिल सके। यही संकल्प हैं।
जल्द बच्चों के लिए गुरुकुल की होगी स्थापना: स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने बताया कि जगतगुरु महाराज के अंतिम समय में उनके मन में यही विचार प्रतिबल हो गया था कि गुरुकुल प्रणाली को पुनर्जीवित करना है। बीते माघ के शुक्ल पक्ष की सप्तमी को उन्होंने जगतगुरु कुलम नाम से एक संस्था की शुरुआत की। आदेश दिया कि 10 हजार बच्चों का एक गुरुकुल खड़ा करें। एक ही परिसर में उन बच्चों को निशुल्क भोजन, चिकित्सा, आवास व अध्यापन सुलभ करा कर उन्हें भारतीय संस्कृति की शिक्षा दें।
गांधी मैदान में बनेगा शंकराचार्य ब्रह्मानंद का कीर्ति स्तंभ
कवर्धा स्थित गांधी मैदान में शंकराचार्य ब्रह्मानंद सरस्वती का कीर्ति स्तंभ बनेगा। शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद ने इसकी घोषणा की थी। बुधवार को पादुका पूजन के दौरान नपाध्यक्ष ऋषि शर्मा के आग्रह पर शंकराचार्य ने कीर्ति स्तंभ के लिए गांधी मैदान में स्थल निरीक्षण किया। नपाध्यक्ष श्री शर्मा ने कहा कि कवर्धा की पावन धरती पर पूर्व में ब्रह्मलीन शंकराचार्य ब्रह्मानंद सरस्वती पधारे थे और उन्होंने इस स्थल पर कवर्धा वासियों को अपना आशीर्वचन दिया था। शंकराचार्य से आग्रह किया कि महाराज जी का जो स्थल है, उसका जीर्णोद्धार कराने तैयार हैं।
हिंदू नहीं बल्कि धर्म राज्य से सुखी होगी प्रजा
शंकरायार्च ने कहा कि हिंदू राज्य नहीं, धर्म राज्य से प्रजा सुखी होगी। बताया कि हिंदू राज्य तो रावण और कंस का भी था। वह लोग हिंदू थे। कोई ब्राह्मण था, कोई क्षत्रिय था, लेकिन उनके राज्य में प्रजा दुखी थी। उन्होंने कहा कि श्रीराम का जो राज्य है, वह धर्म राज्य माना जाता है। क्योंकि धर्म नियमों के अनुसार श्रीराम ने शासन किया। अगर रामराज्य लाया जाए, तो प्रजा सुखी हो सकती है। अन्यथा हिंदू राष्ट्र होने से कोई प्रजा सुखी नहीं हो सकती।
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