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- Modi Got Emotional On Shipra Beach, Talked About Religion, Spirituality, History And Geography In 20 Minutes
भोपाल6 मिनट पहले
पिछले सिंहस्थ में महाकाल का बुलावा आया तो यह बेटा आए बिना कैसे रह सकता है…। उस समय कुंभ की हजारों साल की पुरानी परंपरा, उस समय जो मन-मस्तिष्क में मंथन चल रहा था। मां शिप्रा के तट पर अनेक विचारों से मैं घिर हुआ था। उसी में से मन कर गया। कुछ शब्द चल पड़े। पता नहीं कहां से आए, कैसे आए। जो भाव पैदा हुआ था, वह संकल्प बन गया। आज वह सृष्टि के रूप में नजर आ रहा है। उस समय के भाव को चरितार्थ करके जिस साथियों ने दिखाया उन्हें बधाई देता हूं। यह बातें PM मोदी ने ‘महाकाल लोक’ के लोकार्पण के बाद अपने भाषण में कही।
मोदी का 29 मिनट का भाषण। हर–हर महादेव से शुरू और हर–हर महादेव से खत्म हुआ । ‘महाकाल लोक’ के लोकार्पण के बाद भाषण में उनका अलग अंदाज नजर आया। उन्होंने अध्यात्म से लेेकर, दर्शन और इतिहास से लेकर भूगोल तक की बातें की। महाकाल की महिमा और उज्जैन के एतिहासिक महत्व को बताया। शिप्रा के तट पर मोदी इमोशनल भी हो गए।
जानिए, 29 मिनट के भाषण में क्या बोले मोदी…
हर-हर महादेव…जय श्री महाकाल उज्जैन की पवित्र पुण्यभूमि को नमन करता हूं। उज्जैन की यह ऊर्जा उत्साह, अवंतिका की यह आभा, आनंद, महाकाल की यह महिमा… महाकाल लोक में अलौकिक कुछ भी नहीं, शंकर के धाम में सब कुछ असाधारण है, अविस्मरणीय है। हमारी तपस्या और आस्था से महाकाल प्रसन्न होते हैं तो उनके आशीर्वाद से ऐसे ही भव्य स्वरूप के दर्शन होते हैं।
महाकाल लोक की यह भव्यता और अद्भुत अवसर पर महाकाल के चरणों में नमन करता हूं। मैं आप सभी को देश और दुनिया महाकाल के सभी भक्तों को हृदय से बधाई देता हूं। विशेष रूप से शिवराज सिंह चौहान और उनकी सरकार की तारीफ करता हूं। मंदिर ट्रस्ट से जुड़े सभी लोगों का धन्यवाद करता हूं।
महाकाल लोक में नंदी द्वार के नीचे कलावा से 15 फीट ऊंचा शिवलिंग बनाया गया था। इसी का अनावरण कर पीएम मोदी ने महाकाल लोक का लोकार्पण किया।
जब संस्कृत में बोले मोदी
प्रयलो न बादते, तत्र महाकल पुरी, जानिए इसका अर्थ
महाकाल की नगरी उज्जैन के बारे में कहा गया है कि प्रयलो न बादते, तत्र महाकाल पुरी… अर्थात महाकाल की नगरी प्रलय के प्रहार से भी मुक्त है। हजारों वर्ष पूर्व, जब भारत का भौगोलिक स्वरूप अलग रहा होगा, तब से यह माना जाता रहा है कि उज्जैन भारत के केंद्र में है। इसे सात पुरियों में से एक गिना जाता है। यहां श्रीकृष्ण ने भी शिक्षा ग्रहण की। महाकाल की इस धरती से भारतीय काल गणना का अध्याय शुरू हुआ था।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रिमोट का बटन दबाकर कलावा से बने शिवलिंग का अनावरण किया। और शिव भक्तों को महाकाल लोक की सौगात दी।
मोदी ने बताई उज्जैन की महिमा
यहां के कण-कण में अध्यात्म समाया हुआ है
उज्जैन के क्षण-क्षण में पल-पल में इतिहास सिमटा हुआ है। कण-कण में अध्यात्म समाया हुआ है। कोने-कोने में ईश्वरीय ऊर्जा संचारित हो रही है। यहां काल चक्र का 84 कल्पों का प्रतिनिधित्व करते 84 शिवलिंग हैं। यहां चार महावीर हैं। छह विनायक हैं। आठ भैरव हैं। इन सबके केंद्र में राजाधिराज, कालाधिराज महाकाल विराजमान है। यानी एक तरह से हमारे पूरे ब्रह्मांड की ऊर्जा को हमारे ऋषियों ने उज्जैन में प्रत्येक स्वरूप में स्थापित किया है। इसलिए उज्जैन ने हजारों वर्षों तक भारत की संपन्नता और समृद्धि का, ज्ञान और गरिमा का, सभ्यता और साहित्य का नेतृत्व किया है। इस नगरी का वास्तु कैसा था, वैभव कैसा था, शिल्प कैसा था, सौंदर्य कैसा था, इसके दर्शन हमें महाकवि कालिदास के मेघदूतम में होते हैं।
बाणभट्ट जैसे कवियों के काव्यों में आज भी हमें यहां की संस्कृति का चित्रण मिलता है। मध्य काल के लेखकों ने भी यहां के स्थापत्य और वैभव का गुणगान किया है। किसी राष्ट्र का वैभव तभी होता है, जब उसकी सफलता का परचम विश्व पटल पर लहरा रहा होता है और सफलता के शिखर तक पहुंचने के लिए यह जरूरी है कि राष्ट्र अपने सांस्कृतिक उत्कर्ष को छुए और अपनी पहचान के साथ गौरव के साथ सिर उठाकर खड़ा हो जाए।
महाकाल मंदिर परिसर को रंगीन रोशनी से सजाया गया। महाकाल के मुख्य मंदिर समेत मंदिर परिसर में बने दूसरे मंदिरों पर विद्युत साज-सज्जा की गई।
काशी, अयोध्या का किया जिक्र
महाकाल लोक भविष्य के स्वागत के लिए तैयार
आजादी के अमृत काल में भारत ने गुलामी की मानसिकता से मुक्ति और अपनी विरासत पर गर्व जैसे पंच प्राण का आह्वान किया है। इस वजह से अयोध्या में भव्य राम मंदिर का निर्माण पूरी गति से हो रहा है। काशी में विश्वनाथ धाम भारत की सांस्कृतिक आध्यात्मिक राजधानी का केंद्र बन रहा है। चार धाम प्रोजेक्ट के जरिए हमारे चारों धाम आल वेदर रोड से जुड़ रहे हैं। इतना ही नहीं, पहली बार करतारपुर साहिब कॉरिडोर खुला है। हेमकुंड साहिब रोपवे से जुड़ने जा रहा है। स्वदेश दर्शन और प्रसाद योजना से हमारी आध्यात्मिक चेतना के ऐसे कितने ही केंद्रों का गौरव पुनः स्थापित हो रहा है। इसी कड़ी में महाकाल लोक भी अतीत के गौरव के साथ भविष्य के स्वागत के लिए तैयार हो चुका है।
महाकाल मंदिर में आज दिवाली जैसा माहौल नजर आया।
संत-महंत के रूप में बोले मोदी
जब न भूतो न भविष्यती का दिया उदाहरण
आज जब हम उत्तर से दक्षिण तक, पूर्व से पश्चिम तक हमारे प्राचीन मंदिरों को देखते हैं तो उनका वास्तु, विशालता हमें आश्चर्य से भर देता है। कोणार्क का सूर्य मंदिर हो या एलोरा का कैलाश मंदिर… गुजरात का मोढेरा सूर्य मंदिर भी है। जहां सूर्य की किरणें सीधे गर्भ गृह में प्रवेश करती हैं। तंजावुर में ब्रह्मदेवेश्वर मंदिर, कांचीपुरम में वरदराजा मंदिर, बेलुर का चन्नकेशवा मंदिर, मदुरै का मीनाक्षी मंदिर, तेलंगाना का रामपप्पा मंदिर, श्रीनगर में शंकराचार्य मंदिर… यह मंदिर बेजोड़ है। न भूतो न भविष्यती के उदाहरण हैं। जब हम देखते हैं तो सोचने को मजबूर हो जाते हैं कि उस युग में, उस दौर में किस तकनीक से यह मंदिर बने होंगे। हमारे प्रश्नों के उत्तर भले ही न मिलते हों, पर इसके आध्यात्मिक संदेश हमें आज भी सुनाई देते हैं। यहां ष्टमातृकाएं हैं। नवग्रह हैं। दस विष्णु हैं। ग्यारह रुद्र हैं। बारह आदित्य हैं। 24 देवियां हैं। 88 तीर्थ हैं।
लोकार्पण के बाद महाकाल कॉरिडोर का दृश्य। रोशनी के जगमगा उठा महाकाल लोक
महाकाल की महिमा बखानी
महाकाल एकमात्र ऐसे ज्योतिर्लिंग हैं, जो दक्षिणमुखी हैं
भगवान महाकाल एकमात्र ऐसे ज्योतिर्लिंग हैं जो दक्षिणमुखी हैं। यह शिव के ऐसे स्वरूप हैं, जिनकी भस्म आरती विश्व में प्रसिद्ध है। यहां की भस्मारती के हर भक्त दर्शन करना चाहता है। इस परंपरा में भारत की जीवटता और अपराजेय अस्तित्व को भी देखता हूं। हमारे ज्योतिर्लिंग का विकास भारत का आध्यात्मिक विकास है। भारत का आध्यात्मिक दर्शन एक बार फिर शिखर पर पहुंचकर विश्व के मार्गदर्शन के लिए तैयार हो रहा है।
पीएम मोदी ने महाकाल लोक को देखा। इस दौरान कलाकारों ने उनके सामने प्रस्तुति दी। पीएम मोदी के साथ सीएम शिवराज सिंह और राज्यपाल मंगूभाई पटेल भी मौजूद रहे।
मोदी ने भारत के लिए धर्म का अर्थ बताया
महाकाल शिव की शरण में मृत्यु भी हमारा क्या करेगी
भारत के लिए धर्म का अर्थ है, हमारे कर्तव्यों का सामूहिक संकल्प। हमारे संकल्पों का ध्येय है विश्व का कल्याण। मानव मात्र की सेवा। हमारी आस्था के केंद्र जागृत है। अतीत हमने देखा है। प्रयास हुए, सत्ताएं बदली, भारत का शोषण भी हुआ, आजादी भी गई। आक्रमणकारियों ने उज्जैन की ऊर्जा को कलुषित करने का प्रयास किया, लेकिन हमारे ऋषियों ने कहा- महाकाल शिव की शरण में मृत्यु भी हमारा क्या करेगी। इसलिए यह नगरी अपनी आस्था के केंद्र अपनी ऊर्जा से फिर जीवंत हो उठा। हमने फिर काल के कपाल पर कालातीत अस्तित्व का लेख लिख दिया। उज्जैन जो हजारों वर्षों से भारतीय काल गणना का केंद्र बिंदु रहा है वो आज एक बार फिर भारत की भव्यता के एक नए कालखंड का उद्घोष कर रहा है।
पीएम मोदी ने सीएम शिवराज सिंह और राज्यपाल मंगूभाई पटेल के साथ इलेक्ट्रॉनिक कार में बैठकर महाकाल लोक का अवलोकन किया।
मोदी बोले-यह देखकर दुनिया चकित हो जाएगी
महाकाल लोक अतीत के गौरव के साथ भविष्य का कर रहा स्वागत
सोमनाथ, केदारनाथ, बदरीनाथ धाम में नवनिर्माण, अयोध्या में श्री राम मंदिर निर्माण तथा चारधाम निर्माण प्रोजेक्ट में ऑल वेदर रोड बन रही। भारत अपनी सांस्कृतिक व आध्यात्मिक चेतना के स्थलों का पुनर्निर्माण कर रहा है। जब हम उत्तर से दक्षिण तक, पूर्व से पश्चिम तक अपने प्राचीन मंदिरों को देखते हैं, तो उनका सांस्कृतिक वैभव, उनकी विशालता व वैज्ञानिकता हमें आश्चर्य से भर देती है। महाकाल लोक अतीत के गौरव के साथ भविष्य के स्वागत के लिए तैयार हो गया है। हम उत्तर से दक्षिण, पूर्व से पश्चिम तक अपने प्राचीन मंदिर को देखते हैं तो उनकी विशालता, उनका वास्तु हमें आश्चर्य से भर देता है। यह भारत का अमृत महोत्सव का हाल है। इस अमृत काल में यह राष्ट्र अपनी सांस्कृतिक चेतना का पुनः आह्वान कर रहा है। हमारे ऋषि-मुनियों, विद्वानों ने प्राचीन काल में बिना तकनीक और आधुनिकता के ही ऐसे विराट निर्माण कैसे किए होंगे, यह देखकर दुनिया चकित होती है।
महाकाल लोक के लोकार्पण के दौरान बड़ी संख्या में साधु-संत भी मौजूद रहे। पीएम मोदी ने साधु-संतों के पास पहुंचकर हाथ जोड़कर उनका अभिवादन किया और आशीर्वाद लिया।
उज्जैन में भारत की भव्यता
महाकाल का बुलावा आया तो चला आया ये बेटा
उज्जैन हजारों वर्षों से भारतीय काल गणना का केंद्र बिंदू रहा है। वह भारत की भव्यता का उद्घोष कर रहा है। यहां महाकाल मंदिर में पूरे देश-दुनिया से लोग आते हैं। सिंहस्थ में लाखों लोग जुड़ते हैं। अनगिनत विविधताएं भी, एक मंत्र, संकल्प लेकर जुड़ सकती हैं, इससे अच्छा उदाहरण क्या हो सकता है। हम जानते हैं कि हजारों साल से हमारे कुंभ मेले की परंपरा सामूहिक मंथन के बाद जो निकलता है, उसे संकल्प लेकर क्रियान्वित करने की परंपरा रही है। फिर एक बार अमृत मंथन होता था। फिर 12 साल के लिए चल पड़ते हैं। पिछले सिंहस्थ में महाकाल का बुलावा आया तो यह बेटा आए बिना कैसे रह सकता है…
उस समय कुंभ की हजारों साल की परंपरा, मन-मस्तिष्क में मंथन चल रहा था। मां शिप्रा के तट पर अनेक विचारों से घिर गया था। उसी विचारों से मन कर गया, कुछ शब्द चल पड़े, पता नहीं कहां से आए, और जो भाव पैदा हुआ वह संकल्प बन गया। यही आज साकार हो गया है। उस समय के भाव को चरितार्थ करके दिखाया है। सबके मन में शिवत्व और शिव के लिए समर्पण, शिप्रा के लिए… कितनी प्रेरणा, यहां विश्व की भलाई के लिए निकल सकती है। काशी जैसे हमारे केंद्र धर्म के साथ-साथ दर्शन और कला की राजधानी भी रहे हैं। उज्जैन जैसे स्थान एस्ट्रोनॉमी से जुड़े शोधों के शीर्ष केंद्र रहे हैं। आज नया भारत प्राचीन मूल्यों के साथ आगे बढ़ रहा है तो आस्था के साथ-साथ विज्ञान की भी नई छवि बना रहा है। आज भारत दुनिया के कई देशों के सैटेलाइट स्थापित कर रहा है। रक्षा के क्षेत्र में पूरी ताकत से आगे बढ़ रहा है।
महाकाल लोक के लोकार्पम के बाद पीएम मोदी ने एक सभा को संबोधित किया। इससे पहले मंच से ही उन्होंने जनता का हाथ जोड़कर अभिवादन किया।
अंत में जानिए कैसे युवाओं को जोड़ा
जहां इनोवेशन है, वहीं पर रेनोवेशन
युवा स्टार्टअप बना रहे हैं। नए यूनिकॉर्न के जरिए भारत की प्रतिभा का डंका बजा रहा है। हमें भी याद रखना है कि जहां इनोवेशन है, वहीं पर रेनोवेशन भी है। हमने गुलामी के कालखंड में जो खोया, आज भारत उसे रेनोवेट कर रहा है। अपने गौरव की, अपने वैभव की पुनस्थापना हो रही है। इसका लाभ सिर्फ भारत के लोगों को नहीं, बल्कि विश्वास रखिए, साथियों महाकाल के चरणों में बैठे हैं… विश्वास के साथ कहता हूं कि इसका लाभ पूरे विश्व को मिलेगा, पूरी मानवता को मिलेगा। महाकाल के आशीर्वाद से भारत की भव्यता, दिव्यता पूरे विश्व के लिए शांति का मार्ग दिखाएगी…
भगवान महाकाल के चरणों में सिर झुकाकर प्रणाम करता हूं। जय जय महाकाल… जय-जय महाकाल…
पीएम मोदी की सभा में बड़ी संख्या में लोग मौजूद रहे। पीएम मोदी जैसे ही मंच पर आए पूरा माहौल मोदी-मोदी के नारों से गूंज उठा।
मंच पर पीएम मोदी को महाकाल लोक में बने नंदी द्वार की प्रतिकृति को भेंट स्वरूप दिया गया।
पीएम मोदी की सभा से पहले गायक कैलाश खेर की प्रस्तुति हुई। उन्होंने मंच से महाकाल स्तुति का गान किया।
महाकाल लोक में अगल-अलग लोकेशन पर एमपी समेत कई राज्यों से आए कलाकारों ने पीएम मोदी से सामने अपनी कला का प्रदर्शन किया।
प्रधानमंत्री मोदी ने महाकालेश्वर मंदिर के गर्भगृह में भगवान महाकाल की पूजा अर्चना की। मंदिर के पुजारी जी ने वैदिक मंत्रोच्चार के साथ पीएम मोदी से पूजन कराया।
प्रधानमंत्री मोदी ने गर्भगृह में ही भगवान महाकाल के सामने जाप किया साथ की करीब 3 मिनट तक ध्यान भी लगाया।
पूजा-अर्चना के बाद पीएम मोदी ने झुककर बाबा महाकाल को नमन किया।
भगवान महाकाल की पूजा-अर्चना करने से पहले पुजारी जी ने पीएम मोदी को तिलक लगाया साथ ही रुद्राक्ष की माला भी पहनाई।
पूजा-अर्चना कर पीएम मोदी ने भगवान महाकाल की आरती की।
गर्भगृह में पूजा अर्चना के बाद पीएम मोदी नंदी हाल में पहुंचे। उन्होंने यहां बैठकर ध्यान लगाया।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने महाकाल मंदिर परिसर में रखे दानपात्र में दक्षिणा भी अर्पित की।
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