जागरण संवाददाता, नैनीताल : Nainital news : उत्तराखंड की जेलों में आजीवन कारावास की सजा काट रही अधिकांश महिला अपराधियों ने प्रेमी के उकसाने पर हत्या जैसा गंभीर अपराध किया। अनैतिक संबंध, धन के लालच में महिलाओं ने अपने हाथ अपनाें के ही खून से रंग लिए। महिला बंदियों को लेकर समाज का व्यवहार भी बेहद खराब है। महिला बंदियों को मानवाधिकार की कोई जानकारी नहीं है, यहां तक कि उन्हें मानवाधिकार आयोग से भी कोई मदद नहीं मिलती।
अधिवक्ता पूनम ने किया शोध
यह दावा किया है कुमाऊं विश्वविद्यालय (Kumaon university) के डीएसबी परिसर (DSB campus Nainital) स्थित समाज शास्त्र विभाग की शोधार्थी पूनम ने। पूनम ने अपराधी महिलाओं का एक समाजशास्त्रीय अध्ययन (उत्तराखंड राज्य की अपराधी महिलाओं के विशेष संदर्भ में) विषय पर शोध किया है। फारेस्ट कम्पाउंड निवासी पूनम उच्च न्यायालय में अधिवक्ता है।
महिला बंदियों का लिया साक्षात्कार
पूनम ने बताया कि शोध के दौरान उन्होंने उच्च न्यायालय (High Court Nainital ) से आदेश लेकर महानिरीक्षक कारागार देहरादून से अनुमति प्राप्त की। इसके बाद पूनम ने राज्य की जेलों में बंद 248 महिला बंदियों का साक्षात्कार किया। शोध के दौरान महिलाओं को अपराध की प्रेरणा कहां से मिली, पकड़े जाने के बाद समाज व परिवार की प्रतिक्रिया और कारागार में बंदी अवस्था में उनकी समस्याओं के बारे में भी जानकारी ली गई।
शोध में कई सुझाव भी दिए
कुमाऊं विवि डीएसबी समाज शास्त्र विभाग की डाॅ. प्रियंका नीरज रुवाली के निर्देशन में पूरे हुए शोध में रोचक तथ्य उजागर हुए हैं। पूनम ने अपने शोध ग्रंथ में महिला अपराधियों की सुविधा के लिए जेल में अदालत लगाने, महिला अपराधियों के जेल सलाहकार की नियुक्ति, जेलों में भोजन की गुणवत्ता में सुधार, विचाराधीन व दोष सिद्ध कैदियों को अलग अलग रखने, महिला जेल बनाने समेत अनेक अहम सुझाव दिए हैं। पूनम के पिता स्व चंदन वन विभाग में थे तो मां पुष्पा देवी गृहिणी हैं।
Edited By: Rajesh Verma
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