संत पापा फ्राँसिस ब्रिजेटीन और कॉम्बोनी धर्मसमाज की धर्म बहनों से मुलाकात करते हुए आध्यात्मिक जीवन की महत्वपूर्णतः पर प्रकाश डाला।
दिलीप संजय एक्का-वाटिकन सिटी
वाटिकन सिटी, सोमवार, 24 अक्टूबर 2022 (रेई) संत पापा फ्राँसिस ब्रिजेटीन और कॉम्बोनी धर्मसमाज की धर्म बहनों से मुलाकात करते हुए उन्होंने येसु को प्रथम स्थान देने, निरंतर परमप्रसाद की आराधना और संत पापा जोन पौल द्वितीय की सुंदर व्यक्तिगत प्रार्थना से अपने को संयुक्त रखने का आहृवान किया।
संत पापा ने शानिवार को धर्मबहनों से हुए अपने साक्षात्कार में उन्हें दिये गये अपने संदेश में कहा कि येसु ख्रीस्त सदैव हमारे व्यक्तिगत औऱ सामुदायिक जीवन के क्रेन्द-बिन्दु हैं, उनके साथ हमारा संबंध में बने रहना अपरिहार्य है।
उन्होंने 22 अक्टूबर को संत पापा जोन पॉल द्वितीय की याद करते सन् 1370 में स्थापित हुए ब्रिजेटीन धर्मसमाज की बहनों को उनकी आध्यात्मिकता और प्रार्थनामय जीवन से अपने लिए अच्छी शिक्षा लेने तथा अपने कार्यों में ईश्वर की माहिमा और आराधना करने का आहृवान किया।
संत पापा ने उनके धर्मसमाज के द्वारा किया जा रहे कार्यों की प्रशंसा करते हुए कहा “हम ईश्वर से शुरू करते और उनमें लौट जाते हैं।” “हमारे लिए सबसे पहले आध्यात्मिक जीवन आता है जहां हम येसु ख्रीस्त के संग व्यक्तिगत संबंध स्थापित करते हैं। यदि हमारा आध्यात्मिक जीवन ठीक नहीं तो हम खत्म हो जाते, हमारा कोई अस्तित्व नहीं रह जाता है।”
ब्रिजेटीन परिवार
संत पापा ने ब्रिजेटीन मठवासी धर्मसंघी बुलाहट की ओर ध्यान आकृष्ट करते हुए कहा कि आप के व्यक्तिगत और आपके सामुदायिक जीवन के अस्तित्व की प्रधानता ईश्वर हो, आपका बुलावा इसी के लिए हुआ है। “पवित्र संस्कार के सामने मौन आराधना करना, येसु की सांत्वनापूर्ण उपस्थिति में होना और उस प्रेरितिक प्रेरणा से समुदाय, कलीसिया और दुनिया में अच्छाई, कोमलता का साधन बनना अपने में कितना सुंदर है।”
उन्होंने कहा कि दूसरों का स्वागत करना धर्मबहनों के जीवन को और फलदायक बनायेगा क्योंकि चिंतन प्रार्थना के फलस्वरुप आप अपने से बाहर और अपने जीवन को येसु ख्रीस्त में केन्द्रित करते हैं, जो अपने को आप सभों में क्रियाशील बनाते हैं। ऐसा करने के द्वारा आपकी सेवा मजबूत होती और करूणा अपने के द्वारा सर्वप्रथम समुदाय के कार्यों में परिलक्षित होती, जो छोटे कार्य द्वारा एक परिवार बनने में मदद करता है।
गुलामी के शिकार और संवेदनशीलों की सेवा
संत पापा फ्राँसिस ने कॉम्बोनी प्रेरितिक धर्मबहनों को संबोधित किया, जो “अपने आदर्श से परिवर्तित अस्तित्वगत परिधियों में प्रेरितिक शिष्यों” अपने धर्मसमाज की सामान्य संगोष्ठी हेतु चुने गये एक विषयवस्तु पर चिंतन कर रही थीं। उन्होंने अति संवेदनशील लोगों की सेवा करने हेतु उनके कामों की प्रशंसा की।
“मैं आप को संत दानियेल कॉम्बोनी, जो आज से 150 साल पहले, ईश्वर के प्रेम और सुसमाचार से प्रेरित होकर ईश्वरीय बुलाहट का अनुभव करते कर, सुडान के परित्यक्त गरीबों और दासता में पड़े हुए लोगों की सेवा के लिए धर्मसंघ की स्थापना की।” आप अपने संरक्षक संत की करूणा और प्रेम का अनुसरण करते हुए वर्तमान समय में दासता के शिकार लोगों की सेवा उचित रुप में कर सकेंगे।
संत पापा ने उन लोगों के लिए शोक व्यक्त किया जो वेश्यावृत्ति, मानव तस्करी, जबरन श्रम, अंग बिक्री, नशीली दवाओं के उपयोग, शर्मनाक रूप से बाल श्रम, प्रवासियों, स्वार्थपूर्ण हितों के कारण गुलामी के शिकार हैं। “हम इन दासताओं की समस्याओं के गहरे कारणों को समाप्त किए बिना उन्हें खत्म नहीं कर सकते, जिनमें गरीबी, असमानता और भेदभाव हैं।”
संत पापा जोन पॉल, ईश का पुत्र
संत पापा जोन पॉल द्वितीय के बारे में संत पापा फ्रांसिस ने कहा कि वह ईश्वर का एक पुत्र था, जिन्होंने सदैव प्रार्थना की, यहाँ तक की अपने प्रेरितिक कार्य के बोझिल स्थिति में भी। “उन्होंने एक ख्रीस्तीय के कार्य का साक्ष्य दिया, एक समर्पित व्यक्ति, पुरोहित, धर्माध्यक्ष होने का जिसका मुख्य कार्य प्रार्थना का परित्याग कभी नहीं करना है।”
उनके एक अन्य गुण का जिक्र करते हुए संत पापा फ्रांसिस ने कहा कि वे ईश प्रजा के निकट रहे जो उनकी प्रेरितिक यात्राओं में झलकता है। उन्होंने कहा “उनसे प्रेरित होकर, प्रभु येसु की आँखों से वास्तविकता को देखना आपके लिए अच्छा होगा और यह आपको आनंद में चलने, आत्मा के प्रति विनम्र और आपके आदर्श को एक ठोस कार्य में परिणत करने में मदद करेगा।”
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