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- Dharm Sensor Board : Religion Censor Board’s Scissor Will Run On Films, Avimukteshwaranand’s Keen Eye On OTT Platform Too, Sanatan Dharma culture Will Not Be Tampered With, Guide Line Issued
प्रयागराजएक घंटा पहले
स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद जी महाराज के नेतृत्मेंव में गुरुवार को माघ मेले में धर्म संसद में कई महत्वपूर्ण फैसले किए गए।
फिल्म निर्माता-निर्देशक सनातन धर्म और संस्कृति के साथ फिल्म OTT प्लेटफॉर्म के माध्यम से छेड़छाड़ नहीं कर पाएंगे। इसको लेकर ज्योतिष्पीठाधीश्वर जगदगुरु शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानन्द सरस्वती जी महाराज के नेतृत्व में धर्म सेंसर बोर्ड की बैठक में कई महत्वपूर्ण फैसले लिए गए हैं। फिल्मों और ओटीटी प्लेटफार्म को लेकर विस्तृत गाइडलाइन जारी की गई है। इसकी जानकारी स्वामी अविमुक्तेश्वरा नंद ने माघ मेले में आयोजित प्रेस वार्ता में दी।
धर्म सेंसर बोर्ड की बैठक में कई महत्वपूर्ण फैसले लिए गए हैं।
ये है धर्म सेंसर बोर्ड की गाइडलाइन
- ऐसी किसी भी फ़िल्म या चलचित्र को प्रदर्शन करने पर रोक लगाई जाएगी जिसके किसी भाग में भी कोई दृश्य, शब्दावली, संवाद, गीत, हाव -भाव, भावार्थ कुछ भी सनातन धर्म और भारतीय संस्कृति का अपमान करे। उसपर सन्देह व्यक्त करता हो, आलोचना, अनादर अथवा उपहास करता हो।
- फ़िल्म अथवा चलचित्र धर्म, संस्कृति एवं समाज के मूल्यों और मानकों के प्रति उत्तरदायी और संवेदनशील होनी चाहिए।
- फ़िल्म अथवा चलचित्र जिसमें धर्म, संस्कृति, राष्ट्रीय मानबिन्दुओं का हनन या उपहास होता हो उसके प्रमाणन अथवा प्रदर्शन पर सम्यक् रूप से रोक लगाई जाए।
- फ़िल्म अथवा चलचित्र प्रमाणन व्यवस्था धार्मिक समरसता, धार्मिक आस्था का यथातथा मान रखने वाली, सामाजिक परिवर्तन के प्रति उत्तरदायी हों।
- फ़िल्म अथवा चलचित्र माध्यम ऐसा सन्तुलित, स्वच्छ और स्वस्थ मनोरंजन प्रदान करें जो किसी धर्म या सांस्कृतिक परम्परा का उपहास या उसे विकृत रूप में प्रदर्शित करने वाला न हो और यथासम्भव फिल्म सौन्दर्य की दृष्टि से महत्वपूर्ण और चलचित्र की दृष्टि से अच्छे स्तर की हो।
- माघ मेले में धर्म सेंसर बोर्ड की बैठक में लिए गए फैसलों की जानकारी देतीं महिला बोर्ड की सदस्य।
धर्म सेंसर बोर्ड ये करेगा कार्य
- फ़िल्म अथवा चलचित्र के माध्यम से धर्म, संस्कृति विरोधी प्रवृत्तियों, क्रियाओं, विकृतियों को न्यायोचित या उत्कृष्ट न ठहराया जाए।
- फ़िल्म अथवा चलचित्र के माध्यम से अपराधियों की कार्यप्रणाली, अन्य दृश्य या शब्द जिनसे कोई अपराध का या पाप अथवा धर्मविरुद्ध आचरण करना उद्दीप्त होने की सम्भावना हो, चित्रित न की जाए।
- फ़िल्म अथवा चलचित्र के माध्यम से धर्म के प्रति विरोध, धार्मिक प्रवृत्तियों को कुकृत्य, धर्म या संस्कृति के साथ छेड़छाड़ या अवमानना या उपहास अथवा उसके प्रति हीनता प्रेरक वचन, उद्गार, शब्द, उक्ति या भाव को न्यायोचित ठहराने या गौरवान्वित करने वाले दृश्य या कथावस्तु न दिखाई जाए।
- फ़िल्म अथवा चलचित्र के माध्यम से मूलतः मनोरंजन प्रदान करने के लिए धर्म को विकृत रूप से मन्त्र, श्लोक छन्द, शास्त्रीय वचनों को निरर्थक या वर्जनीय दृश्य के साथ या सन्दर्भ में न फिल्माया जाए और ऐसे दृश्य न दिखाए जाए जिनसे वर्तमान या आगामी पीढ़ियों के लोग धर्म के प्रति संवेदनहीन होने अथवा अधार्मिक होने हेतु प्रेरित हों।
- फ़िल्म अथवा चलचित्र के माध्यम से अशिष्टता, अश्लीलता और दुराचारिता को गौरवान्वित करके मानवीय संवेदनाओं तथा धर्म, संस्कृति, परम्परा को चोट न पहुंचाई जाए।
- फ़िल्म अथवा चलचित्र में महिला एवं पुरुष कलाकारों के फिल्माए वस्त्र दृश्य भारतीय मर्यादा को ध्यान में रखते हुए अश्लीलता को बढ़ावा देने वाले न हों तथा शिष्ट संवादों वाले हों। दो अर्थों वाले शब्द न रखे जाएं जिनसे नीच प्रवृत्तियों को बढ़ावा मिलता हो।
- फ़िल्म अथवा चलचित्र में महिलाओं के साथ लैंगिक हिंसा जैसे बलात्संग की कोशिश, बलात्संग अथवा किसी अन्य प्रकार का उत्पीड़न या इसी किस्म के दृश्यों से बचा जाना चाहिए तथा यदि कोई ऐसी घटना विषय के लिए प्रासंगिक हो तो भी ऐसे दृश्यों को कम से कम रखा जाना चाहिए और उन्हें न ही विस्तार से दिखाना चाहिए और न ही ऐसे दृश्य के फिल्मांकन के समय कोई धार्मिक स्तोत्र, श्लोक, छन्द, वाक्य उपयोग करना चाहिए.
- फ़िल्म अथवा चलचित्र में धार्मिक परिसर, उपलक्ष, चिह्न, आदि का उपयोग कामविकृति, कामोत्तेजना, कामाचार के दृश्य में नहीं होना चाहिए।
- फ़िल्म अथवा चलचित्र में जातिगत, धार्मिक या अन्य समूहों के लिए अवमानना पूर्ण दृश्य प्रदर्शित या शब्द प्रयुक्त नहीं किए जाने चाहिए।
- धार्मिक अथवा साम्प्रदायिक फ़िल्म अथवा चलचित्र में वर्ण, आश्रम, जाति, रूढ़ि, प्रथा या परंपरा के विषय में धार्मिक एवं साम्प्रदायिक विशेषज्ञों से संपृक्त धर्म अभिवेचन सेवालय ही प्रकाश डाल सकता है अतः इस विषय में फ़िल्म सेन्सर बोर्ड को धर्म अभिवेचन सेवालय की विशेषज्ञता का लाभ उठाने हेतु उससे परामर्श करना चाहिए।
- फ़िल्म अथवा चलचित्र में ऐसे दृश्य या शब्द नहीं प्रस्तुत किए जाने चाहिए जिससे किसी व्यष्टि या समाज या धर्म, संस्कृति या परम्परा की मानहानि या अवमानना होती हो।
- धर्म सेंसर बोर्ड की बैठक करते अविमुक्तेश्वरानंद ।
हमारी कार्यशैली होगी झोंको, टोको, रोको
स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा कि हमारी कार्यशैली झोंकना, टोकना और रोकना की होगी। झोंकने का अर्थ है कि हम पहले अपनी बात उन तक पहुंचाएंगे। यदि इससे बात नहीं बनी तो टोकेंगे और इसके बाद उन्हें रोकने का हर सम्भव प्रयास किया जाएगा। धर्म सेंसर बोर्ड का काम केवल फिल्म, चलचित्र, धारावाहिकों तक ही सीमित नहीं रहेगा बल्कि स्कूल कॉलेज और विश्वविद्यालयों में होने वाले नाट्य मंचन अब ध्यान से और धर्म की मर्यादा को विचार कर सम्पादित करने होंगे।
स्कूल- कॉलेज और विश्वविद्यालयों में ऐसे कोई भी पाठ्यक्रम होंगे तो उनको हटवाए जायेंगे । ऐसी कोई भी चीज जो भारतीय संस्कृति और भारतीय धर्म परम्परा को खंडित करने का कार्य करेगी उस पर कार्यवाही की जाएगी। वेब सिरीज़, ऑनलाइन प्लेटफार्म , OTT मंच आदि पर धर्म संस्कृति विरोधी विषयवस्तु न आने दें। यदि कोई विषय वस्तु उक्त प्लेटफार्म पर आती है, तो प्रस्तुतकर्ता, स्टेक होल्डर के विरुद्ध भी धर्म अभिवेचन सेवालय अपनी कार्यवाही सुनिश्चित करेगी।
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