New Delhi : राष्ट्रीय आदिवासी समाज सरना धर्म रक्षा अभियान एवं दिल्ली सरना समाज के संयुक्त तत्वावधान में जंतर मंतर पर शनिवार को सरना धर्म कोड की मांग को लेकर महाधरना दिया गया. इसमें झारखंड सहित मध्यप्रदेश, असम, उत्तर प्रदेश, गुजरात, प बंगाल, ओड़िशा, छत्तीसगढ़, बिहार के आदिवासी संगठनों ने हिस्सा लिया. जल्द से जल्द सरना धर्म कोड लागू करने की मांग की गयी. कार्यक्रम की अध्यक्षता धर्मगुरु बंधन तिग्गा और दिल्ली सरना समाज के अध्यक्ष अनिल कुमार भगत ने की.
जनगणना परिपत्र में सरना धर्म कोड जल्द करे अधिसूचित
महाधरना के माध्यम से राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, गृह मंत्री, रजिस्ट्रार जनरल ऑफ इंडिया (सेंसस) को स्मार पत्र समर्पित किया गया. स्मार पत्र में केंद्र सरकार से मांग की गई है कि जितना जल्दी हो सके जनगणना परिपत्र में सरना धर्म कोड अधिसूचित की जाए, जिस तरह से हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, ईसाई, इस्लाम के लिए अधिसूचित किया गया है.
सरना धर्म पर हो रहा है अतिक्रमण एवं हमला- बंधन तिग्गा
महाधरना के अध्यक्ष धर्मगुरु बंधन तिग्गा ने कहा कि सरना धर्म उतना ही सच्चा है, जितना सूरज और चांद. भारत के आदिवासियों का जीना-मरना, धार्मिक व अलौकिक दुनिया और पुरखों की संस्कृति का अनुभव सरना धर्म की प्रकृति है. सरना धर्म, जो शाश्वत है, उसको दूसरे धर्म के लोग गलत तरीके से परिभाषित न करें. सरना धर्म की पहचान और उसको एहसास केवल आदिवासी ही भलीभांति कर सकता है, दूसरे के लिए संभव नहीं है. आज आदिवासियों के सरना धर्म पर जिस तरह का अतिक्रमण एवं हमला हुआ है, यह मानव जीवन एवं मानवता के लिए अभिशाप है. भारत के आदिवासी को अपनी रक्षा और धार्मिक अस्तित्व के लिए सचेत और गंभीर होना पड़ेगा.
सरकार ने आदिवासी जीवन संस्कृति पर किया कुठाराघात- डॉ करमा उरांव
शिक्षाविद डॉ करमा उरांव सरना धर्म कोड आंदोलन की रूपरेखा भावी राजनीति पर रणनीति का खुलासा किया. कहा कि आजाद भारत में सबसे ज्यादा उनके अधिकारों और उनके जीवन संस्कृति पर कुठाराघात हुआ है. इसके लिए केंद्र सरकार और राज्य सरकार, जहां आदिवासी बहुल जनसंख्या है, जिम्मेदार हैं. क्योंकि उनके प्राकृतिक अधिकार सरना धर्म कोड एवं संवैधानिक अधिकारों का अब तक सकारात्मक रूप प्रकट नहीं किया है. यह भारत के आदिवासियों के लिए दुर्भाग्यपूर्ण अवस्था है. महाधरना के सह अध्यक्ष अनिल कुमार भगत ने कहा कि दिल्ली से अपना समाज सरना धर्म कोड मांग के साथ सक्रिय रूप से खड़ा है और जब कभी भी कार्यक्रम दिल्ली में होगा, हम सहयोग देने से पीछे नहीं हटेंगे.
आदिवासी बहुल राज्यों में चक्का जाम होगा: सालखन मूर्मू
सेंगेल अभियान के अध्यक्ष पूर्व सांसद सालखन मूर्मू ने कहा कि यदि अलग सरना धर्म कोड आवंटित नहीं हुआ, तो आदिवासी बहुल राज्यों में चक्का जाम होगा. देश के आर्थिक संरचना को बाधित किया जाएगा. वहीं मध्यप्रदेश के विधायक हीरालाल अलवा ने कहा कि अपने अस्तित्व, अस्मिता एवं धार्मिक स्वतंत्रता को बनाए रखने के लिए देश के आदिवासियों को एकजुट होना होगा. विधायक राजेश कच्छप ने कहा कि सरना धर्म कोड के विषय में राजनीतिक पार्टी के नेता असमंजस की स्थिति में हैं, यह अच्छी बात नहीं है. उन्हें जनप्रतिनिधि होने के नाते सरना धर्म कोड जैसी मांग का समर्थन करना चाहिए.
महाधरना में ये रहे शामिल
महाधरना को शिवा कच्छप, निर्मला भगत, रवि तिग्गा, मथुरा कंड़ीर, मणिलाल केरकेट्टा, नारायण उरांव, बिरसा कंडीर, संगम उरांव, सुभाष मुंडा, विधासागर केरकेट्टा, डॉ गोमती बोदरा, डॉ आयशा उरांव, दुर्गावती ओड़ेया, अनूप टोप्पो, प्रदीप भगत, राम किशोर केरकेट्टा, भगवान दास मुंडा, अजीत टेटे आदि ने संबोधित किया.
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