Ranchi : सरना धर्म कोड की मांग को लेकर दिल्ली में आगामी 12 नवंबर को आयोजित महाधरने की तैयारी को लेकर केंद्रीय सरना संघर्ष समिति की बैठक हुई. यह बैठक समिति के प्रधान कार्यालय कांके डैम पार्क में हुई. बैठक की अध्यक्षता करते हुए समिति के केंद्रीय अध्यक्ष शिवा कच्छप ने कहा कि सरना धर्म कोड की मांग को खारिज करना और इसे राजनीति की संज्ञा देना सही नहीं है. हम विरोध के बजाए आदिवासियों के लिए अलग धर्म कोड के नाम पर आदिवासियों के लिए अलग धार्मिक मान्यता के प्रयास का स्वागत करते हैं. क्योंकि हम सबका लक्ष्य एक है. सरना से आदिवासी पूजा स्थल का बोध होता है, तो उसके नाम पर धर्म के नाम से क्या गलत है. हमें बेहिचक स्वीकारना चाहिए कि आंकड़ों में और प्रचार में सरना धर्म कोड के नाम पर वृहद झारखंड क्षेत्र में और अन्य राज्य के आदिवासियों के बीच सर्वाधिक सहमति है. वर्ष 2023 जनगणना का वर्ष है. इसलिए यदि हम निर्णायक जन आंदोलन खड़ा नहीं करेंगे तो कोई भी नाम सिर्फ हमें आत्मासंतुष्ट ही दे सकता है. सरकारी मान्यता नहीं. इसलिए केंद्रीय सरना संघर्ष समिति, राष्ट्रीय आदिवासी समाज, सरना धर्म रक्षा अभियान के सहयोग से भारत सरकार को इसपर विचार और फैसला लेने के लिए मजबूर करने के लिए 11नवंबर को संविधान क्लब दिल्ली में प्रतिनिधि सभा और 12 नवंबर को जंतर-मंतर दिल्ली में महाधरना दिया जायेगा. अगर केंद्र सरकार जल्द फैसला नहीं लेती है और वार्ता का दरवाजा नहीं खोलती है तो वृहद जनजागरण अभियान चलायेंगे.
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बैठक में मुख्य रूप से महादेव उरांव, मंगल उरांव, संगीता गाड़ी, सती तिर्की, कुईली उरांव, अनिता उरांव, मीणा देवी, बसंती कुजूर, भानू उरांव , मनोज उरांव, गुड्डू उरांव, कुलदीप उरांव, बितो तिर्की, अनिमा खड़िया, अन्नु मुंडा, शोमा तिर्की, सिटीयो उरांव आदि उपस्थित थे.
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