सीआईडी के आईजी असीम विक्रांत मिंज ने एनबीटी ऑनलाइन से विशेष बातचीत में कहा कि देश-दुनिया में साइबर अपराधी कई तरह से आपराधिक घटनाओं को अंजाम दे रहे हैं, लेकिन झारखंड में मुख्य रूप से पांच तरह से साइबर अपराध की घटनाओं को अंजाम दिया जा रहा है। जिसमें सबसे प्रमुख है साइबर ठग बैंक अधिकारी बन कर ग्राहकों ठगते है। दूसरा तरीका बिजली बिल का बकाया भुगतान के नाम पर लोगों के खाते से पैसा उड़ा लेते है। तीसरे तरह के मामले में सिम क्लोनिंग का मामला आता है। इसमें साइबर अपराधी किसी व्यक्ति के मोबाइल फोन के सिम को ब्लॉक कर उसके नाम से दूसरा सिम ले लेते हैं और उनके बैंक खातों से राशि निकाल ली जाती है। चौथे तरह का मामला यूआर स्कैम का आता है। जिसमें साइबर अपराधी लोगों को किसी तरह से बहला फुसलाकर उनसे यूआर कोड मंगा लेते है और उनके खाते में जमा राशि को खाली कर दिया जाता है। इसके अलावा हाल के दिनों में अपराधियों ने सर्च ऑप्टिमाइजेशन तकनीक का इस्तेमाल कर अपना मोबाइल नंबर ऊपर में डाल देते है, जिसके कारण वास्तविक सेवा प्रदाता कंपनियों का मोबाइल नंबर पीछे चला जाता है। इस प्रकार हेल्पलाइन नंबर देखकर कोई उन्हें फोन करता है, तो अपराधी उससे ठगी कर लेते हैं। राज्य में अब साइबर अपराधी कैश बैक का झांसा देकर भी लोगों को ठगने का प्रयास कर रहे हैं।
डकैत और गुंडार्गी करने वालों की तरह साइबर ठगों का अलग-अलग गिरोह
जिस तरह से पहले के जमाने में पुलिस डकैतों, अपराधियों, नक्सलियों और गुंडागर्दी करने वाले गिरोह का अलग-अलग पहचान एकत्रित कर रखती थी, उसी तरह से अब साइबर अपराधियों के भी अलग-अलग गिरोह की पहचान की जा रही है। सीआईडी के आईजी असीम विक्रांत मिंज ने बताया कि पहले पुलिस अपराधियों और नक्सलियों के शीर्ष से लेकर साधारण सक्रिय सदस्य तक की पहचान कर रखती थी। उसी तरह से अब साइबर अपराधियों के कई गिरोह की पहचान कर ली गई है। साइबर अपराध करने वाले अपनी विद्या में माहिर होता है, यदि कोई कैश बैक फ्रॉड करता है, तो वह उसी तरह से ठगी करेगा। जामताड़ा जिले के कुछ इलाके में साइबर अपराधी इन दिनों मुख्य रूप से कैश बैक के नाम पर लोगों को बेवकूफ बनाने की कोशिश करते है। जबकि देवघर के साइबर अपराधी विशिंग के माध्यम से इगी करते है। विशिंग अटैक में साइबर ठग फोन कॉल के जरिए व्यक्ति की निजी जानकारी जैसे बैंक यूजर आईडी, लॉगिन आईडी, ट्रांजेक्शन पासवर्ड, ओटीपी, यूपीआई पिन, डेबिट कार्ड से जुड़ी जानकारियों की मांग करते हैं। ये साइबर ठग फोन कॉल कर अपने आपको बैंक से होने का दावा करते हैं। अन्य इलाकों के साइबर अपराधी सिम क्लोनिंग और यूआर स्कैम फ्रॉड में माहिर होते हैं।
पहचान के बावजूद साक्ष्य का इंतजार
झारखंड पुलिस ऐसे कई साइबर अपराधियों की पहचान कर चुकी हैं, लेकिन उनकी गिरफ्तारी के पहले उनके खिलाफ पर्याप्त साक्ष्य एकत्रित करने के प्रयास में जुटी है, ताकि उन्हें न्यायालय के माध्यम से सजा दिलाई जा सके।
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जन जागरूकता के लिए विशेष अभियान
झारखंड साइबर पुलिस लोगों को जागरूक करने के लिए लगातार अभियान भी चला रही है। अक्टूबर महीने में विभिन्न जिलों में जागरूकता सप्ताह का आयोजन किया गया। जबकि देवघर में एक बड़ा कैंपन कर लोगों को इस तरह के ठगों से बचने के लिए विभिन्न माध्यमों से जानकारी दी गई। झारखंड ही नहीं, बल्कि उत्तराखंड और विदेशों से भी साइबर अपराध की घटना को अंजाम दिया जा रहा है। ऐसे में लोगों को विशेष सावधानी बरतने की जरूरत हैं।
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