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- CM Said Will Include Dr. Gaur In The Course, Will Also Talk About The Biography Of Bharat Ratna
सागरएक घंटा पहले
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शिक्षा के क्षेत्र के लिए गौर बब्बा ने जो योगदान दिया है, उसके लिए पाठ्य पुस्तक में निश्चित स्थान पर उन्हें पढ़ाया जाएगा।
शिक्षा के क्षेत्र के लिए गौर बब्बा ने जो योगदान दिया है, उसके लिए पाठ्य पुस्तक में निश्चित स्थान पर उन्हें पढ़ाया जाएगा। सागर सपूत महान दानवीर डॉ. हरीसिंह गौर को भारत रत्न दिलाने की मांग को लेकर सागर के लोगों के हृदय की भावनाओं को उचित स्थान पर पहुंचाएंगे। यह घोषणा मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने शनिवार शाम 7 बजे तीन बत्ती पर डॉ. हरीसिंह गौर की 153वीं जयंती पर पहली बार आयोजित सागर गौरव दिवस के कार्यक्रम में की।
मुख्यमंत्री ने कहा राजघाट बांध की ऊंचाई बढ़ाने की मांग हमारे सभी जनप्रतिनिधि लगातार करते रहे हैं। सबकी मांग पर हमने तय किया है कि राजघाट बांध की ऊंचाई 2 मीटर बढ़ाई जाएगी। इसके लिए 125 करोड़ या 200 करोड़ जितनी भी राशि की जरूरत होगी, अगला जो बजट आ रहा है, उसमें व्यवस्था कर दी जाएगी। सागर प्यासा नहीं रहेगा।
उन्होंने कहा आप सब लोग संकल्प लीजिए कि हर साल डॉ. गौर की जयंती पर सागर गौरव दिवस मनाया जाएगा। हम अपने महापुरुषों को कैसे भूल सकते हैं। उन्होंने कहा हमने हाल ही में पेसा एक्ट लागू किया है। मैं कई जनजातीय क्षेत्रों में गया। बैंक के दरवाजे पर गरीब जा नहीं पाता तो दूसरों से कर्ज लेकर चक्रव्यूह में फंसकर संपत्ति से हाथ धो बैठता है। गरीबों के लिए हम माइक्रो फाइनेंसिंग की व्यवस्था बनाएंगे। गरीब को इससे 5 हजार रुपए तक तत्काल दिए जाएंगे। वे उतनी ही राशि बिना ब्याज के वापस कर सकेंगे।
10 कोर्स में पढ़ा रहे गौर की गाथा
डॉ. हरीसिंह गौर विश्वविद्यालय में डॉ. गौर की जीवनी सत्र 2016-17 से पढ़ाई जा रही है। इसका निर्णय 25 अगस्त 2015 को भोपाल में तत्कालीन कुलपति प्रो. आरपी तिवारी की अध्यक्षता में लिया गया था। इसके बाद 9 और कोर्स डॉ. गौर का जीवन शामिल किया गया है।
इतिहास में इलेक्टिव सब्जेक्ट के रूप में, हिंदी में आधुनिक भारतीय भाषा में अनिवार्य पाठ्यक्रम के रूप में, विधि में एलएलबी ऑनर्स, एलएलबी तीन वर्ष में निबंध के रूप में, अंग्रेजी, दर्शनशास्त्र, संस्कृत सहित 10 पाठ्यक्रमों में डॉ. गौर की जीवनी, उनसे जुड़े संस्मरण के रूप में गौर साहब को पढ़ाया जा रहा है। खास बात यह भी है कि जहां यहां कुछ जगह अनिवार्य रूप से पढ़ाई जा रही है तो कहीं पर इलेक्टिव सब्जेक्ट के रूप में भी है।
यानी किसी भी संकाय का विद्यार्थी इसका चयन कर पढ़ाई कर सकता है। यानी अभी तक सिर्फ संस्थापक के विश्वविद्यालय में ही उन्हें पढ़ाया जा रहा है। हालांकि यह मांग भी 6 साल पहले ही पूरी हुई है। परंतु खास बात यह है कि इसे निरंतर रूप से लागू किया गया है।
2016 में आया था जीवनी का प्रस्ताव
डॉ. गौर की जीवनी प्रदेश के प्राथमिक से लेकर उच्च शिक्षा के पाठ्यक्रम में शामिल करने के लिए मप्र पाठ्य पुस्तक स्थाई समिति में साल 2016 में प्रस्ताव आ चुका है। तब विधायक शैलेंद्र जैन द्वारा डॉ. गौर की जीवनी पाठ्यक्रम में शामिल करने के लिए मुख्यमंत्री को दिए पत्र को मुख्यमंत्री कार्यालय ने राज्य शिक्षा केंद्र को भेजा था।
इसमें उल्लेख था कि सागर जिले में जन्में शिक्षाविद् डॉ. हरी सिंह गौर की जीवनी प्रदेश के प्राथमिक, माध्यमिक तथा उच्च शिक्षा के पाठ्यक्रम में शामिल की जाए। प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा के पाठ्यक्रम में शामिल किए जाने के संबंध में शासन स्तर से मध्यप्रदेश पाठ्य पुस्तक स्थायी समिति गठित की गई है।
यह प्रस्ताव मध्यप्रदेश पाठ्य पुस्तक स्थायी समिति की 108वीं बैठक में रखा गया। बैठक में डॉ. गौर की जीवनी को पाठ्यक्रम में शामिल किए जाने समिति ने सुझाव दिया कि प्रकरण को नवीन पाठ्यपुस्तक लेखन लेखक समूह में रखा जाए। हालांकि तब से अब तक कुछ नहीं हुआ।
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