विप्रो के चेयरमैन रिशद प्रेमजी ने बुधवार को खुलासा किया कि संगठन के शीर्ष 20 कर्मचारियों में से एक को अखंडता (इंटीग्रिटी) के कारण केवल 10 मिनट में नौकरी से निकाल दिया गया था. हाल ही में ‘Moonlighting’ के कारण 300 कर्मचारियों को निकालने वाले रिशद प्रेमजी ने बेंगलुरु में नैसकॉम प्रोडक्ट कॉन्क्लेव को संबोधित करते हुए कहा कि इस फैसले को लेने में सिर्फ 10 मिनट लगे थे.
उन्होंने कहा कि कर्मचारी कंपनी में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा था. लेकिन कठिन समय में कठिन फैसला लेना पड़ता है.
उन्होंने साफ किया कि इंटीग्रिटी से जुड़ी नीतियों बिल्कुल स्पष्ट हैं. इंटीग्रिटी के उल्लंघन और उत्पीड़न पर नीति साफ है. इनमें से किसी एक का भी उल्लंघन करने पर कोई कर्मचारी कंपनी में नहीं रह पाएगा.
उन्होंने एक अन्य वरिष्ठ कर्मचारी को छह साल पहले बर्खास्त किए जाने के मामले का भी हवाला दिया. उन्होंने कहा कि वह अच्छी तरह से जुड़े हुए थे और उन्होंने क्लीन रिलीविंग लेटर प्राप्त करने के लिए हर संभव प्रयास किया. उन्होंने संगठन पर बहुत दबाव डाला और हर तरह की पहुंच लगाई. लेकिन इंटीग्रिटी को लेकर कंपनी की साफ नीति के बारे में उन्होंने बता दिया गया.
रिशद प्रेमजी ने स्टार्टअप्स से कड़े फैसले लेने का भी आह्वान किया. “उन्हें मूल्यवान व्यवसाय के निर्माण पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए. टिकाऊ व्यवसाय बनाने की यात्रा लंबी और जटिल है. प्रक्रिया धीमी है.
यह देखते हुए कि कंपनियों में यूनिकॉर्न का दर्जा पाने का जुनून है, उन्होंने कहा कि फाउंडर्स को सही लोगों को चुनना चाहिए. उन्होंने कहा कि सबसे सफल लोग अधिक खतरनाक होते हैं. वे सफलता की यात्रा के रास्ते पर 1,000 शवों को छोड़कर आगे बढ़ जाते हैं.
बता दें कि, बीते 21 सितंबर को रिशद प्रेमजी (Rishad Premji) ने एक ही समय में विप्रो के अलावा कंपनी के एक कॉम्पिटीटर के साथ करने वाले अपने 300 कर्मचारियों को नौकरी से निकालने की जानकारी दी थी. प्रेमजी ने जोर देकर कहा था कि वह मूनलाइटिंग के बारे में अपनी हालिया टिप्पणियों पर कायम हैं, जो अपने सबसे गहरे रूप में ईमानदारी का पूर्ण उल्लंघन है.
हालांकि, Tata Group की कंपनी TCS द्वारा Moonlighting को गलत बताने के बावजूद कर्मचारियों को निकालने से इनकार करने बाद Wipro Ltd ने भी अपना रुख नरम कर लिया है.
श्रेय: स्रोत लिंक
इस बारे में चर्चा post