IIT जोधपुर के शोधकतार्ओं ने एक नई पद्धति विकसित करते हुए सूरज की रोशनी से पानी को हाइड्रोजन और ऑक्सीजन में बदला है। यहां नैनोकम्पोजिट कैटेलिटिक मटीरियल्स का विकास किया गया है जो आर्टिफिशियल फोटोसिंथेसिस से अधिक शुद्ध हाइड्रोजन के उत्पादन में सहायक हैं। इस पद्धति में एक सस्ता, सरल ट्रांजिशन मेटल पर आधारित रीसाइक्लिबल कैटेलिस्ट का उपयोग किया गया।
कितनी खास है ये रिसर्च
IIT जोधपुर के मुताबिक ग्रीन और सस्टेनेबल ऊर्जा का एकमात्र भावी स्रोत हाइड्रोजन आधारित ऊर्जा है। लेकिन चूंकि 90 प्रतिशत से अधिक हाइड्रोजन का स्रोत पेट्रोलियम फीडस्टॉक है, इसलिए यह महंगा पड़ता है और आम आदमी की पहुंच से बाहर है। IIT जोधपुर की शोध टीम हाइड्रोजन के उत्पादन के लिए एक व्यावहारिक स्रोत की खोज में लगी रही है। अब IIT जोधपुर की टीम द्वारा विकसित टेक्नोलॉजी के परिणाम स्वरूप सूरज की रोशनी के अलावा किसी बाहरी ऊर्जा स्रोत की जरूरत नहीं होगी।
शोध की अहमियत बताते हुए प्रोजेक्ट के मुख्य परीक्षक IIT जोधपुर में रसायन विज्ञान विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. राकेश के. शर्मा ने कहा, हमने ग्रीन हाइड्रोजन के उत्पादन के लिए स्वदेशी सस्टेनेबल कैटलिस्ट का विकास किया है। यह हमारी अगली पीढ़ी की खुशहाली के लिए इनोवेशन का नया मानक है।
कैटलिस्ट के पांच सेट विकसित किए
शोध टीम ने सूरज की रोशनी में अधिक हाइड्रोजन उत्पादन को बढ़ावा देने वाले 100 से अधिक कैटलिस्ट कम्बिनेशन का परीक्षण कर कैटलिस्ट के पांच सेट विकसित किए। ये कैटलिस्ट कचरा जल, खारा जल और ब्रैकिश पानी के साथ अपना काम करते हैं। ये रीसाइक्लिबल हैं और कई बार उपयोग किए जा सकते हैं। इस शोध की कुछ मुख्य विशेषताएं हैं। इनमें से एक यह है कि यह 7.5 घंटे लगातार शुद्ध हाइड्रोजन का उत्पादन करता है।
डॉ. राकेश के शर्मा के अलावा इस शोध टीम के अन्य सदस्य हैं IIT जोधपुर की डॉ. किरण शेजले (PHD छात्रा), डॉ. देविका लैशराम (PHD छात्रा), भागीरथ सैनी (PHD छात्र) और डॉ. कृष्णप्रिया (पोस्टडॉक्टोरल शोधकर्ता)। टीम ने कैटलिस्टों की एक सीरीज विकसित की है जिससे सामान्य परिवेश में हाइड्रोजन उत्पादन करने में सक्षमता मिलेगी। इस शोध का व्यावहारिक लाभ उद्योग जगत, ऑटोमोबाइल और ऊर्जा क्षेत्रों को मिलेगा।
कम होगा प्रदूषण
IIT जोधपुर के मुताबिक यह प्रक्रिया सरल है और सूरज की रोशनी के वाइड स्पेक्ट्रम पर सफलतापूर्वक काम करती है। इसमें हाइड्रोजन के उत्पादन के लिए किसी ऊर्जा स्रोत की जरूरत नहीं है। इस तरह तैयार हाइड्रोजन अधिक सस्ता और शुद्ध होने से वाहनों में सीधे ईंधन के रूप में इसका उपयोग बढ़ेगा। परिणामस्वरूप जीवाश्म ईंधन का उपयोग और फिर प्रदूषण भी कम होगा।
IIT ने बताया कि इस अभिनव अनुसंधान में विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग तथा IIT जोधपुर का आर्थिक योगदान रहा है। इसके साथ ही, शोधकर्ता एक प्रोटोटाइप विकसित करने के बाद उपभोक्ताओं के लिए बड़े स्तर पर हाइड्रोजन उत्पादन सुनिश्चित करने का लक्ष्य रखते हैं।
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