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- N. Raghuraman’s Column Students Need The Topic ‘Heart Attack Management’!
2 घंटे पहले
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एन. रघुरामन, मैनेजमेंट गुरु
जब दिल की बीमारियों की बात आती है तो उसमें 40 की उम्र अब 70 जैसी हो गई है। कल विश्व हृदय दिवस मनाया गया था और इस मौके पर दुनियाभर के हृदय विशेषज्ञों ने जो बातें कहीं, वे हमें चौंका देंगी। मैं सही खानपान और कसरत की बात नहीं कर रहा हूं। न ही निष्क्रिय जीवनशैली या स्मोकिंग आदि से बचने की बात कर रहा हूं। मैं हमारे दूषित पर्यावरण की ओर संकेत कर रहा हूं, क्योंकि वह भी दिल के रोगों का कारण बन सकता है।
अगर आप युवा हैं और इस बात पर गर्व करते हैं कि एक ही बार में किसी नई सीरिज का पूरा सीजन देख डालते हैं और अगले दिन दफ्तर में उसके बारे में पुरजोर तरीके से बातें कर सकते हैं तो इसके लिए आपको लगातार आठ घंटों तक उसे देखना होगा और इस दरमियान आप काउच पर अटपटे ढंग से लेटे हुए कोई हाई कैलरी फूड भी खाते रहेंगे। ऐसे में नीचे दी जाने वाली जानकारी आपके लिए बहुत महत्वपूर्ण है।
डोपेमीन को उकसावा देने वाला कोई भी एडिक्शन हमें किसी भी कारण से होने वाली मृत्युओं और विशेषकर कार्डियोवैस्क्युलर बीमारियों की तरफ ले जाता है। बेंगलुरू के जयदेव इंस्टिट्यूट ऑफ कार्डियोवैस्क्युलर साइंसेस का नया अध्ययन बताता है कि 15 से 45 आयु-वर्ग के 6500 से ज्यादा व्यक्तियों को 2017 से 2022 के बीच दिल का दौरा पड़ा था। युवा क्यों दिल की बीमारियों के शिकार होते जा रहे हैं?
इसका विश्लेषण करने पर पता चला कि हवा और मिट्टी का प्रदूषण भी दिल के दौरे का खतरा बढ़ा सकता है। प्रदूषण अब नई स्मोकिंग की तरह है! जिस तरह से स्मोकिंग खून में ऑक्सीजन पहुंचाने वाले फेफड़ों को कमजोर कर देती है और शरीर की आर्टरीज को सख्त बनाते हुए उन्हें ब्लॉक कर देती हैं, प्रदूषण भी ठीक यही करता है। सड़कों पर उड़ने वाली धूल अधिकतर जगहों पर पीएम10 प्रदूषण का मुख्य कारण हैं।
पीएम10 यानी 10 माइक्रोन्स से कम आकार वाले पदार्थ। महाराष्ट्र का उदाहरण लें। द नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ एडवांस्ड स्टडीज बेंगलुरू और उत्कल यूनिवर्सिटी भुवनेश्वर ने पाया है कि 22.4% के आंकड़े के साथ घरेलू क्षेत्र पीएम10 में योगदान देने वालों में दूसरे नम्बर पर है। ये उत्सर्जन घरों, झुग्गियों, फसलों के बचे अवशेष, गोबर के कंडे जलाना, डीजल जनरेटर्स और स्ट्रीट वेंडर्स जैसी अनेक गतिविधियों से होता है। पीएम10 में सबसे ज्यादा 29% योगदान सड़कों से उठने वाली धूल का होता है।
उद्योगों के द्वारा इसमें 14% का योगदान दिया जाता है। जयदेव इंस्टिट्यूट के निदेशक सी.एन.मंजूनाथ कहते हैं, प्रदूषण से उत्पन्न होने वाले अति-सूक्ष्म कण दिल के दौरे की स्थिति निर्मित कर सकते हैं। मिट्टी का प्रदूषण भी हार्ट अटैक का कारण बन सकता है, क्योंकि कीटनाशक के उपयोग से फल-सब्जियां विषैली हो सकती हैं। तो क्या किया जाए? कोशिश करें कि टैरेस पर अपने लिए सब्जियां उगाएं।
सोने और चहलकदमी करने के समय में नियमितता लाएं। लम्बे समय तक कोई काम करना जैसे बहुत ज्यादा टीवी देखना या दफ्तर में एक ही जगह बैठे रहना, ज्वार, बाजरा, नचनी, रागी जैसे अनाज नहीं खाना और बॉडी क्लॉक का रखरखाव नहीं करना और अपने रूटीन को लचीला रखना दिल की बीमारियों के मुख्य कारण हैं। इसमें अस्वच्छ पर्यावरण को भी जोड़ लें, क्योंकि हम अपने शरीर में भोजन, हवा, पानी को ले जाते हैं और हमें उन्हें प्रदूषित करने का कोई अधिकार नहीं है।
फंडा यह है कि कई युवाओं की जान लेने वाली दिल की बीमारियां अब चिंता का विषय बन गई हैं। समय आ गया है कि हम स्कूलों और कॉलेजों में ‘हार्ट अटैक मैनेजमेंट’ विषय भी पढ़ाएं।
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