हाइलाइट्स
करीब तीन हजार वर्ष पूर्व इंडोनेशिया में लौंग पैदा हुई.
ईस्ट इंडिया कंपनी ने 1800 में लौंग का उत्पादन शुरू किया था.
लौंग का तेल एंटिसेप्टिक और दर्द निवारक का काम करता है.
लौंग के सेवन से ब्लड शुगर लेवल नियंत्रित रहता है.
Clove Benefits and History: भोजन में प्रयोग किए जाने वाले मसालों में लौंग का नाम भी प्रमुख है. यह भोजन में अलग तरह का स्वाद और सुगंध भरती है. शरीर के लिए भी लौंग को लाभकारी माना जाता है. यह लिवर को सुरक्षित तो रखती ही है, साथ ही पाचन सिस्टम को भी दुरुस्त बनाए रखती है. दांत या मसूड़े के दर्द से निजात पाने के लिए तो लौंग को बेहद कारगर समझा जाता है. यह औषधि भी है और विभिन्न रूपों में हजारों वर्षों से इसका इस्तेमाल किया जा रहा है. भारत में लौंग का विशेष महत्व है, लेकिन कहा जाता है कि ईस्ट इंडिया कंपनी ने जब भारत में कारोबार शुरू किया तो उन्होंने दक्षिण भारत में लौंग को उगाया और उसका उत्पादन किया.
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प्राचीन युग में कारोबारी सम्मान पाती रही है लौंग
दुनिया भर में खास मसाले हमेशा से प्रसिद्धि पाते रहे हैं. इनमें काली मिर्च, जायफल, जावित्री के अलावा लौंग (Clove) भी शामिल है. इसकी अलग प्रकार की गंध ने ही इसे विशेष बनाया है. मध्य युग में जहां पर लौंग उगाई जाती थी, वहां पर इसका उपयोग भोजन को संरक्षित करने और कुछ विशेष प्रकार की डिशेज को गार्निश करने के लिए किया जाता था. ऐसा भी कहा जाता है पुराने समय में अदालत में उच्च अधिकारी चर्चा के दौरान अपने मुंह को सुगंधित बनाए रखने के लिए लौंग रखते थे. उस दौर में भोजन में उपयोग करने के साथ-साथ लौंग का उपयोग औषधि के रूप में भी किया जाता था. इसे शरीर को गर्म करने के लिए उपयोगी बूटी माना जाता था. प्राचीन समय से ही जिस तरह काली मिर्च को एक कारोबारी सम्मान मिला है, लौंग ने भी यही सम्मान प्राप्त किया है. जिन इलाकों में यह पल्लवित-पुष्पित हुई, वहां समृद्धि भी चली आई.
पुराने समय में अदालत में उच्च अधिकारी चर्चा के दौरान अपने मुंह को सुगंधित बनाए रखने के लिए लौंग रखते थे.
इंडोनेशिया को इसका मूल उत्पत्ति स्थल माना जाता है
ऐसा माना जाता है कि करीब तीन हजार वर्ष पूर्व इंडोनेशिया में लौंग पैदा हुई. वहां के उत्तरी मोलुकास द्वीप समूह इसका उत्पत्ति स्थल है. लिखित तौर पर लौंग का वर्णन ईसा पूर्व तीसरी शताब्दी में चीनी साहित्य में पाया जाता है. भारतीय अमेरिकी वनस्पति विज्ञानी सुषमा नैथानी ने लौंग का उत्पत्ति केंद्र सियाम-मलय-जावा उपकेंद्र को माना है. इनमें भारत और चीन के सीमावर्ती क्षेत्र और दक्षिण एशिया के मलय द्वीप समूह शामिल हैं. लौंग को पूरी दुनिया में पहुंचाने में पुर्तगाली व डच सौदागरों ने विशेष भूमिका निभाई है. विश्वकोष ब्रिटानिका (Britannica) के अनुसार, शुरुआती काल में लौंग की खेती लगभग पूरी तरह से इंडोनेशिया तक ही सीमित थी. कोष ने एक रोचक जानकारी दी है, जिसके अनुसार 17वीं शताब्दी की शुरुआत में डचों ने लौंग की उच्च कीमतों को बनाए रखने के लिए अंबोइना और टर्नेट (इंडोनेशिया) को छोड़कर सभी द्वीपों पर लौंग को मिटा दिया, लेकिन 18वीं शताब्दी के उत्तरार्ध में फ्रांसीसी सौदागरों ने उनका वर्चस्व खत्म कर दिया था.
ऐसा माना जाता है कि करीब तीन हजार वर्ष पूर्व इंडोनेशिया में लौंग पैदा हुई.
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ईस्ट इंडिया कंपनी ने देश में लौंग का उत्पादन शुरू किया
अगर भारतीय संदर्भ में लौंग का इतिहास देखें तो कुछ प्राचीन विवरणों में भारतीय लौंग की जानकारी दी गई, लेकिन उसमें निरंतरता की कमी है, जैसे ‘नेचुरलिस हिस्टोरिया’ नाम से विश्वकोष लिखने वाले रोमन प्राकृतिक दार्शनिक, वैज्ञानिक व इतिहासकार प्लिनी द एल्डर (पहली शताब्दी) ने लिखा है कि भारत में काली मिर्च के समान एक अनाज भी है, लेकिन बड़ा और अधिक नाजुक. इसकी गंध के लिए इसे यहां आयात किया जाता है. दूसरी ओर भारत के प्राचीन ग्रंथों में लौंग की पुष्ट जानकारी नहीं है. मसाला प्रोद्योगिकी के क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय पहचान बनाने वाले व भारत की एग्मार्क लैब के संस्थापक निदेशक जीवन सिंह प्रुथी ने अपनी पुस्तक ‘Spices And Condiments’ में जानकारी दी है कि ईस्ट इंडिया कंपनी ने 1800 में लौंग का उत्पादन शुरू किया. भारत से पहले उन्होंने इसकी खेती श्रीलंका में शुरू कर दी थी. भारत में इसकी खेती मुख्य तौर पर दक्षिण भारत में होती है. इस तथ्य से यह बात तो स्पष्ट होती है कि भारत का मौसम लौंग उगाने के अनुकूल था. पूरे विश्व में अब लौंग की खेती जाजीबार (तंजानिया का द्वीप समूह) श्रीलंका, मेडागास्कर, मलेशिया और भारत में सबसे अधिक होती है.
अब लौंग की खेती जाजीबार (तंजानिया का द्वीप समूह) श्रीलंका, मेडागास्कर, मलेशिया और भारत में सबसे अधिक होती है.
एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर लौंग सेहत के लिए है फायदेमंद
भोजन को विशेष गंध और स्वाद देने के अलावा, शरीर के लिए भी बेहद गुणकारी है लौंग. इसे प्रभावी रूप से एंटीऑक्सिडेंट (शरीर को रोगों से बचाना और कोशिकाओं को क्षति होने से बचाना) माना जाता है. यह लिवर को सुरक्षित रखने में बेहद कारगर है. एक रिसर्च रिपोर्ट में कहा गया है कि लौंग के सेवन से शरीर में इंसुलिन का निर्माण होता है और ब्लड शुगर लेवल नियंत्रित रहता है. लौंग का सेवन जठराग्नि (भोजन पचाने का सिस्टम) को स्वस्थ रखता है. अगर यह सिस्टम ठीक है तो जी मिचलाना, उल्टी, अपच, आंतों की गैस, पेट दर्द, कब्ज आदि की समस्या नहीं होती. सीधी सी बात यह है कि पेट का पाचन सिस्टम ठीक-ठाक रखती है लौंगे. रिपोर्ट यह भी बताती है कि लौंग की कली शरीर की श्वेत रक्त कोशिकाओं की संख्या को बढ़ाने के मदद करती है, जिससे इम्युनिटी बूस्ट होती है.
लौंग के अधिक सेवन से हो सकती है एलर्जी
जानी-मानी डाइटिशियन डॉ. अनीता लांबा का कहना है कि लौंग का तेल भी एंटिसेप्टिक व दर्द निवारक का काम करता है. इसके प्रयोग से दांत और मसूड़ों के दर्द में आराम मिलता है. इसके तेल को अगर माथे और नाक के चारों ओर लगा लिया जाए तो सिर-दर्द से छुटकारा मिल जाता है. लौंग इतनी गुणी है कि दर्द वाले दांत में इसको कुछ देर के लिए दबा कर रख लिया जाए तो दर्द से तुरंत आराम मिल जाता है. लौंग में कई तरह के यौगिक-तत्व पाए जाते हैं, जो हड्डियों को मजबूत करने में मदद करते हैं. वैसे मूड को तरोताजा बनाए रखने के लिए लौंग वाली चाय भी पी जा सकती है. लौंग अपनी विशेष गंध के कारण सांसों की दुर्गंध को दूर करने में प्रभावी है. अत्यधिक लौंग का सेवन एलर्जी की समस्या पैदा कर सकता है. मसूड़ों को दर्द से बचाने के लिए इसके तेल का लगातार सेवन करने से बचना चाहिए वरना यह मसूड़ों की मशल्स को कमजोर कर सकती है.
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Tags: Food, Lifestyle
FIRST PUBLISHED : October 11, 2022, 07:00 IST
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