5 अक्टूबर को दिल्ली के अंबेडकर भवन में आयोजित धम्म दीक्षा समारोह में दलित समुदाय के करीब 10,000 लोगों ने बौद्ध धर्म अपना लिया. इस आयोजन में दिल्ली सरकार के सामाजिक न्याय मंत्री राजेंद्र पाल गौतम भी शामिल हुए और उन्होंने मंच से डॉ भीमराव अंबेडकर की 22 प्रतिज्ञाओं को दोहराया. इसके बाद भाजपा ने गौतम पर हिंदू देवी-देवताओं के अपमान का आरोप लगाया, नतीजतन राजेंद्र पाल गौतम को मंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा.
दलित हिंदू धर्म छोड़कर बौद्ध धर्म क्यों अपना रहे हैं, यह जानने के लिए न्यूज़लॉन्ड्री की टीम ने दीक्षा समारोह में शामिल हुए लोगों से बात की.
बौद्ध मत अपनाने वाले अरुण कुमार कहते हैं, “पहले मैं वैष्णो देवी जाता था, मंदिरों में जाता था, लेकिन धीरे-धीरे पता चला कि हम उल्टी गंगा बहा रहे हैं. हिंदू धर्म में जो हमारा बहिष्कार किया जाता है, जगह-जगह प्रताड़ित किया जाता है, इससे दुखी होकर मैंने बौद्ध धर्म अपना लिया.”
वहीं महेंद्र सिंह कहते हैं, “हमारी बेटी का बलात्कार करते हैं और यूपी में प्रशासन लीपापोती करने के लिए रात में दो बजे लाश को जला देते हैं.”
बौद्ध धर्म अपनाने वाली कृष्णा गौतम कहती हैं, “हिंदू धर्म में हीनता महसूस होती थी क्योंकि लोग समान दृष्टि से नहीं देखते थे. वो लोग अपने लोगों को अलग देखते हैं और हमें अलग देखते हैं. जबकि बौद्ध धर्म में सबको समान दृष्टि से देखा जाता है, यहां कोई हीन भावना नहीं है.”
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