उदयपुर (Udaipur) . वेदांता समूह की जस्ता-सीसा-चांदी (Silver) उत्पादक कंपनी हिंदुस्तान जिंक में, तकनीक के माध्यम से इसके खनन क्षेत्रो में उत्पादन क्षमता और पर्यावरण सरंक्षण को बढ़ावा देना प्रमुख है. इस मूल सिद्धांत के अनुरूप, कंपनी ने अपनी जावरमाला खदान में एक सफल ड्रोन सर्वेक्षण पूरा कर तकनीकी और सफल संचालन की दिशा में एक कदम और आगे बढ़ाया है.
उद्योग 4.0 के युग में, डिजिटल परिवर्तन समय की आवश्यकता है और इसे दैनिक खनन कार्यों में एकीकृत करने के लिए बहुत अधिक विशेषज्ञता की आवश्यकता होती है क्योंकि यह दक्षता और सुरक्षा सहित कई कारणों से महत्वपूर्ण है. हिंदुस्तान जिंक द्वारा जावरमाला में किए गए सफल ड्रोन परीक्षणों ने भूमिगत स्टॉप संरचना की खोज करने और खदान में सीमित स्थानों जानकारी हासिल करने में सफलता अर्जित की है जो दुर्गम थे. ड्रोन परीक्षण एक बड़ी उपलब्धि है, क्योंकि यह न केवल खदान में बेहतर सुरक्षा और उत्पादकता को सक्षम करने में सहायता करता है, बल्कि उपकरण को होने वाले नुकसान को कम करते हुए भूमिगत खदान में असुरक्षित क्षेत्रों के मैन्युअल निरीक्षण की आवश्यकता को खत्म करने में भी सहायक है.
निगरानी परीक्षणों को हाई-टेक नाइट विजन कैमरों और थर्मल सेंसर द्वारा संचालित किया गया, जो आगे चलकर बुद्धिमत्ता, बहुमुखी प्रतिभा और स्थिरता के एक अद्वितीय संयोजन को प्रस्तुत करता है, जिससे डेटा को डिजिटल जानकारी में बिना किसी कठिनाई के परिवर्तित किया जा सकता है. हिंदुस्तान जिंक ने 2019 में रामपुरा आगुचा खदानों में लाइन-ऑफ-विजन ड्रोन ट्रेल्स का उपयोग किया है और अब निगरानी कार्यों में नए और अधिक उन्नत ड्रोन के एकीकरण के साथ इसे आगे बढ़ाया जा रहा है.
हिंदुस्तान जिंक ऑटोमेशन और एनालिटिक्स द्वारा समर्थित सर्वश्रेष्ठ-इन-क्लास तकनीकों का लाभ उठा रहा है, ताकि व्यवसाय के विकास के लिए एक सक्षम वातावरण तैयार किया जा सके. उत्पादन की कम लागत के साथ डिजिटलीकरण, स्वचालन क्षमताओं और परिचालन परिसंपत्तियों के एक मजबूत पोर्टफोलियो ने कंपनी को आगे रहने में मदद की है. उद्योगों में अग्रणी कंपनी के रूप में हिन्दुस्तान ज़िंक ने डिजिटलीकरण और नवाचार को अपनाया है.
न्यूज अच्छी लगी हो तो कृपया शेयर जरूर करें
श्रेय: स्रोत लिंक
इस बारे में चर्चा post