रिपोर्ट में यह भी पाया गया कि 40-60 साल के 36 प्रतिशत भारतीयों ने अपना कोलेस्ट्रॉल लेवल असामान्य होने के बारे में बताया है. खानपान की गलत आदतें कोलेस्ट्रॉल बढ़ने का एक बड़ा कारण है.
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हेल्थ-टेक फर्म हेल्थियंस के हालिया सर्वे में पाया गया कि 10 में से छह भारतीयों में बैड कोलेस्ट्रॉल का लेवल असामान्य है. फर्म ने भारत के 250 शहरों में 20 वर्ष से अधिक आयु के 2.66 मिलियन लोगों के ब्लड टेस्ट डेटा का सर्वे किया. जिसमें 31 से 40 वर्ष की आयु के व्यक्तियों में बैड कोलेस्ट्रॉल के उच्च प्रसार के बारे में बताया गया है. सर्वे के रिपोर्ट में सामने आया है कि 63 प्रतिशत लोगों के ब्लड में उच्च एलडीएल यानी कम घनत्व वाले लिपोप्रोटीन कोलेस्ट्रॉल है.
हेल्थियंस की लैब ऑपरेशंस के प्रमुख डॉ. सोनल का मानना है कि यह रिपोर्ट इस उम्र के लोगों में उच्च तनाव के स्तर का संकेत हो सकता है. द हिंदू के मुताबिक इन दिनों कार्डियक अरेस्ट की बढ़ती संख्या के कारणों में से एक कारण ये भी है.
फोर्टिस मेमोरियल रिसर्च इंस्टीट्यूट गुड़गांव क्लिनिकल कार्डियोलॉजी के निदेशक डॉ. विनायक अग्रवाल ने बताया कि उच्च कोलेस्ट्रॉल हृदय रोग, हार्ट अटैक, स्ट्रोक, हार्ट फेलियर व हृदय से जुड़ी अन्य कई जटिल समस्याओं के कुछ सबसे आम कारणों में से एक है.
ज्यादातर 31-40 साल के उम्र के लोगों में यह समस्या
सर्वे में 10 में से तीन भारतीयों ने अपने कॉलेस्ट्रॉल का लेवल असामान्य बताया. इनमें सबसे अधिक मामला 31-40 आयु वर्ग के लोगों में देखा गया. रिपोर्ट में यह भी पाया गया कि 40-60 साल के 36 प्रतिशत भारतीयों ने अपना कोलेस्ट्रॉल लेवल असामान्य होने के बारे में बताया. वहीं, 60-70 आयु वर्ग में 30 प्रतिशत और 70-80 आयु वर्ग में 24 प्रतिशत लोगों ने अपने कोलेस्ट्रॉल के लेवल असामान्य होने की सूचना दी.
वहीं, अगर कोलेस्ट्रॉल से संबंधित मापदंडों की बात करें तो सिर्फ 36 प्रतिशत भारतीयों में एचडीएल कोलेस्ट्रॉल का लेवल असामान्य पाया गया. जिसे एक अच्छे कोलेस्ट्रॉल के रूप में भी जाना जाता है. हालांकि सर्वे में 39 प्रतिशत लोगों में ट्राइग्लिसराइड्स का असामान्य लेवल पाया गया. जिससे हृदय रोग का खतरा काफी हद तक बढ़ जाता है. वहीं, 30 प्रतिशत लोगों द्वारा सर्वे में कुल कोलेस्ट्रॉल लेवल के असामान्य होने की सूचना दी गई थी.डॉ अग्रवाल ने बताया कि उच्च कोलेस्ट्रॉल विशेष रूप से एलडीएल से कार्डियोवैस्कुलर यानी हृदय रोग या हृदय धमनियां और शिराओं को ग्रस्त करता हैं. जिससे बीमारियों का खतरा बढ़ सकता है.
सबसे कम मामले गुजरात में और सबसे बेंगलुरु सामने आ रहे
बात जब जेंडर की आती है तो पुरुषों ने एलडीएल, ट्राइग्लिसराइड्स और कुल कोलेस्ट्रॉल लेवल असामान्य होने की सूचना दी. सर्वे में पुरुषों में 64 प्रतिशत में एलडीएल, 47 प्रतिशत में ट्राइग्लिसराइड्स का लेवल और 32 प्रतिशत में कुल कोलेस्ट्रॉल का लेवल असामान्य था. जबकि महिलाओं में क्रमशः एलडीएल 63 प्रतिशत, ट्राइग्लिसराइड्स 30 प्रतिशत और कुल कोलेस्ट्रॉल लेवल 29 प्रतिशत था. हालांकि, पुरुषों की तुलना में महिलाओं में एचडीएल का लेवल अधिक पाया गया.
हेल्थ-टेक फर्म ने जिन शहरों में सर्वे किया उन्हें स्कोर भी दिया, जिन शहरों को उच्च स्कोर दिया गया वहां हृदय रोग के जोखिम कम पाए गए. गुजरात के वडोदरा ने सबसे ज्यादा 10 में से 7 अंक हासिल किए. इसके बाद लुधियाना और जालंधर को 6.8 का स्कोर मिला. वहीं, अमृतसर, अहमदाबाद, लखनऊ, पानीपत, पंचकुला, चंडीगढ़ और पटियाला जैसे शहरों ने इस रैंकिग में शीर्ष स्थान पर काबिज पाया. बता दें कि शीर्ष पांच में पंजाब के पांच शहर शामिल हैं.
वहीं, कर्नाटक के मैसूर और बेंगलुरु में एलडीएल, ट्राइग्लिसराइड्स और कोलेस्ट्रॉल लेवल के असामान्य स्तर के अधिक मामलों के कारण सबसे कम 10 में से 4.8 पर स्कोर मिला. सर्वे के मुताबिक बेंगलुरु को 4.9 स्कोर मिला. स्टडी ने इसके लिए राज्य के लोगों में खराब आहार, शराब का सेवन और उनकी गतिहीन जीवन शैली को जिम्मेदार ठहराया है.
लाइफस्टाइल में बदलाव जरूरी
डॉ. अग्रवाल ने बताया कि इन जोखिमों को अपनी जीवनशैली में बदलाव से रोका जा सकता है. जैसे सप्ताह में चार से पांच दिन कम से कम 40 मिनट नियमित व्यायाम करें. अपने आहार में कार्बोहाइड्रेट की मात्रा कम करे, जंक फूड कम करें, आजकल के बच्चों को जंक फूड में काफी पंसद हैं जो इनके वजन और स्वास्थ्य को प्रभावित करता है. वहीं, ऐसी युवा आबादी में मधुमेह और मोटापे की शुरुआत भी जल्दी होती है.
दूसरा महत्वपूर्ण पहलू जिसके बारे में डॉ. अग्रवाल ने बताया की ऐसे मामलो में बच्चों के लिए प्रारंभिक अवस्था में पहचानना ताकि हम निवारक उपाय कर सकें. इनके तले हुए भोजन में कटौती, जंक फूड पर कटौती के साथ ही देर रात के खाने में भी कटौती करें और अच्छी नींद लें. इसके अलावा इनमें नमक की मात्रा का ध्यान रखें. ऐसे मरीजों के लिए लाइफस्टाइल में बदलाव करके इन जोखिम के प्रभाव को कम किया जा सकता है. इन्हें आहार में अधिक फल, सब्जियां, सलाद शामिल करना चाहिए और निश्चित रूप से विश्राम, मेडिटेशन इस मामले में काम करता है और हृदय रोग का जोखिम कम करता है.
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