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- 15 Women Played An Important Role In Making The Constitution, Our Constitution Is More Humane Than Other Constitutions Of The World
एक घंटा पहलेलेखक: संचित श्रीवास्तव
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15 अगस्त 1947 को भारत एक आजाद देश बना। उस दिन करोड़ों भारतीयों का आज़ादी का सपना साकार हुआ। आजादी तो मिल गई…पर देश को संवैधानिक ढांचे के रूप में खड़ा करना नई चुनौती थी। 2 साल और 11 महीने के अथक परिश्रम के बाद आखिरकार 26 नवंबर 1949 को भारतीय संविधान तैयार हुआ। लिखित रूप में यह दुनिया का सबसे लंबा संविधान था। संविधान दिवस के मौके पर आज जानिए भारतीय संविधान की वो 5 विशेषताएं जो दुनियाभर में भारतीयों का गौरव बढ़ाती हैं।
पहली विशेषता वुमन एम्पावरमेंट : अमेरिका की संविधान सभा में एक भी महिला नहीं थी, यहां 15 महिलाओं ने अहम भूमिका निभाई
संविधान सभा में हिस्सा लेने वाली महिलाएं
भारतीय संविधान जिस समय बना उस दौर में वुमन एम्पावरमेंट एक सपने की तरह था। लेकिन हमारी संविधान सभा में 15 महिलाओं को भी जगह दी गई। जिनमें से कई सरकार में बड़े पदों पर रहीं जैसे- राजकुमारी अमृत कौर। वहीं पाकिस्तान की संविधान सभा में शुरूआत में सिर्फ दो महिलाओं को ही मौका मिला। वहीं अगर दुनिया के सबसे पुराने संविधान अमेरिकी संविधान की बात करें तो वहां एक भी महिला ऐसी नहीं थी…जिसे संविधान सभा में प्रतिनिधित्व मिला हो।
आइए, आगे बढ़ने से पहले भारत का संविधान बनाने में अहम भूमिका निभाने वाली इन 15 महिलाओं के बारे में जान लें :
1. राजकुमारी अमृत कौर जो देश की पहली स्वास्थ्य मंत्री बनीं
राजकुमारी अमृत कौर संविधान सभा का अभिन्न हिस्सा थीं। वे भारत की पहली स्वास्थ्य मंत्री भी बनीं थी। ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस यानी एम्स की स्थापना का श्रेय भी इन्हीं को जाता है।
2.सरोजिनी नायडू जो भारत की कोकिला कहलाईं
सरोजिनी नायडू संविधान सभा का हिस्सा रहीं। आजादी के बाद उन्हें उत्तरप्रदेश का राज्यपाल बनाया गया। यानी देश की पहली महिला गवर्नर। सरोजिनी कांग्रेस की पहली महिला अध्यक्ष भी रहीं। सरोजिनी नायडू कवियित्री भी थीं…इन्हें भारत की कोकिला भी कहा जाता है।
3. सुचेता कृपलानी, जिन्होंने कांग्रेस में महिला विंग बनाई
सुचेता कृपलानी ने भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान अपनी अहम भूमिका निभाई थी। उन्होंने कांग्रेस में महिला विंग की भी स्थापना की थी। बाद में उन्होंने उत्तर प्रदेश राज्य में केबिनेट मिनिस्टर का पद संभाला।
4. विजयलक्ष्मी पंडित, जो अंग्रेज राज में पहली महिला मंत्री थीं
विजयलक्ष्मी पंडित पहली ऐसी महिला थी जिन्हें भारत में कैबिनेट मंत्री बनाया गया था। वे भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू की बहन थी। आजादी से पहले भी वे कैबिनेट मंत्री रह चुकी थीं।
5. लीला रॉय, संविधान सभा में बंगाल से अकेली महिला
लीला रॉय 1937 में कांग्रेस में शामिल हुई थी, 1920 के दशक में लीला अन्य बंगाली महिलाओं को बम बनाना सिखाती थी। लेकिन बाद में उन्होंने इस रास्ते को छोड़ 1939 में कांग्रेस जॉइन कर ली। बाद में वे सुभाष चंद्र बोस की आजाद हिन्द फौज के फॉरवर्ड ब्लॉक की सदस्य भी रहीं । लीला रॉय संविधान सभा में बंगाल राज्य से इकलौती महिला थी।
6. कमला चौधरी, महिलाओं को स्वतंत्रता संग्राम से जोड़ा, 6 बार जेल गई थीं
कमला चौधरी भी संविधान सभा सदस्य थी। एक प्रसिद्ध लेखिका होने के साथ वे महात्मा गांधी के साथ जुड़ी हुई थी, वे अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की सदस्य थी, और लोकसभा की सदस्य भी चुनी गई थी, अपनी कहानियों के जरिए उन्होंने महिलाओं को समाज में आगे लाने का काम किया था। उन्होंने महिलाओं को देश की आजदी के संघर्ष से जोडऩे में भी भूमिका निभाई। स्वतंत्रता संग्राम के दौरान उन्हें 6 बार जेल जाना पड़ा था।
7. हंसा मेहता, संसद में उठाया था महिलाओं के तलाक का अधिकार
हंसा मेहता पत्रकारिता के क्षेत्र से जुड़ी हुई थी। वे 1945-46 में अखिल भारतीय महिला सम्मेलन की अध्यक्ष बनीं। बाद में उन्हें संविधान सभा का सदस्य बनाया गया। संविधान सभा में हंसा ने महिलाओं के अधिकार की बात उठाई थी। 1948 में संसद में जब हिन्दू कोड बिल पर बहस हो रही थी तब उन्होंने ही महिलाओं को तलाक लेने के अधिकार पर बल दिया था।
8. रेणुका रे- संविधान सभा की वो महिला जिनके नाम पर ही पिछड़े वर्ग के लिए कमेटी बनी
रेणुका रे पश्चिम बंगाल विधानसभा की सदस्य और मंत्री रहीं। उन्होंने ही बंगाल में अखिल बंगाल महिला संघ और महिला समन्वयक परिषद का गठन किया था। रेणुका संविधान सभा की सदस्य होने के साथ-साथ सामाजिक कार्यकर्ता, दूसरी और तीसरी लोकसभा की सक्रिय सांसद भी रहीं। बाद रेणुका रे की अगुवाई में ही 1959 में समाज कल्याण और पिछड़ा वर्ग कल्याण के लिए एक समिति का निमार्ण हुआ था जिसको रेणुका रे कमेटी के नाम से जाना जाता है
9. दुर्गाबाई देशमुख- 12 की उम्र में ही देश के स्वतंत्रता संग्राम का हिस्सा बनी थी
दुर्गाबाई देशमुख 12 साल की उम्र में ही असहियोग आंदोलन से जुड़ गई थी। वे महात्मा गांधी के नमक सत्याग्रह का हिस्सा थी। उन्होंने महिलाओं की आवाज उठाने के लिए आंध्र महिला सभा की स्थापना की थी। साथ ही उन्होंने ब्लाइंड रिलीफ एसोसियेशन की भी शुरुआत की थी।
10. अम्मू स्वामीनाथन, भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान 1 साल जेल में बंद रहीं
अम्मू स्वामीनाथन ने 1917 में मद्रास में महिला भारत संघ का गठन किया। 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन में सक्रिय भागीदार होने की वजह से उन्हें एक साल के लिए वेल्लोर जेल भी जाना पड़ा था। वह 1946 में मद्रास निर्वाचन क्षेत्र से संविधान सभा का हिस्सा बनीं।
11. दकश्यानी वेलयुद्ध भारत की इकलौती दलित महिला रहीं जिन्होंने संविधान बनाने में भूमिका निभाई
दकश्यानी वेलयुद्धन संविधान सभा के सदस्यों में अनुसूचित जातिवर्ग से आने वाली एक मात्र महिला सदस्य थी। वे कोचीन विधान परिषद की सदस्य भी रही थी। दकश्यानी विज्ञान में स्नातक करने वाली भारत की पहली दलित महिला थीं। वे 1946 से 1952 तक प्रोविजनल पार्लियामेंट की मेंबर रहीं।
12. पूर्णिमा बनर्जी, सत्याग्रह आंदोलन में अहम भूमिका निभाई थी
पूर्णिमा बनर्जी इलाहाबाद में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस कमेटी की सचिव थीं। वे सत्याग्रह और भारत छोड़ो आंदोलन से जुड़ी थी। पूर्णिमा बनर्जी उत्तर प्रदेश में आजादी की लड़ाई के लिए बने महिलाओं के समूह की सदस्य थी।
13. एनी मसकैरिनी, केरल से चुनी जाने वाली पहली महिला सांसद
एनी मसकैरिनी त्रावणकोर राज्य में चल रहे स्वतंत्रता संग्राम में शामिल थी। राजनीतिज्ञ गतिविधियों के चलते उन्हें जेल में बंद कर दिया गया था। 1951 के आम चुनावों में वे लोकसभा सदस्य के रुप में चुनी गई थी। एनी केरल से चुनी जाने वाली पहली महिला सांसद थी।
14. बेगम एजाज रसूल, संविधान सभा की अकेली मुस्लिम महिला
संविधान सभा के सदस्यों में बेगम एजाज रसूल एक मात्र मुस्लिम महिला थी। वे मुस्लिम लीग की सदस्य थी, बाद में जब मुस्लिम लीग भंग हुई तो वह कांग्रेस में शामिल हो गई। बेगम एजाज रसूल उत्तर प्रदेश विधानसभा की सदस्य, राज्यसभा की सदस्य रही।
15. मालती चौधरी, 16 की उम्र में शांतीनिकेतन जाकर रवींद्रनाथ टैगोर से मार्गदर्शन लिया
मालती चौधरी उड़ीसा के पूर्व मुख्यमंत्री नाबकृष्ण चौधरी की पत्नी थी। मालती चौधरी ने महात्मा गांधी द्वारा चलाए गए नमक सत्याग्रह में भाग लिया था। मालती ने 16 की उम्र में शांतीनिकेतन में रहीं थी जहां उन्हें रवींद्रनाथ टैगोर का मार्गदर्शन प्राप्त हुआ था। उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में शामिल होने के बाद कांग्रेस समाजवादी कर्म संघ की स्थापना की थी।
दूसरी विशेषता : वक्त की जरूरत के साथ बदलाव
अमेरिका के 232 साल पुराने संविधान में हुए अब तक 27 संशाेधन, भारतीय संविधान में 106 संशोधन हुए
भारतीय संविधान में बदलाव संभव है जिसकी वजह से बदलते समय के साथ कई महत्वपूर्ण बदलाव हो पाए। पहले राजे-रजवाड़ाें को सरकार की तरफ से हर महीने पेंशन दी जाती थी जिसे प्रिवी पर्स कहते थे। लेकिन संविधान में संशोधन के बाद इसे खत्म कर दिया गया। अमेरिकी संविधान में सिर्फ 27 संशोधन हुए हैं। वहीं भारतीय संविधान में 106 संशोधन हुए हैं।
तीसरी विशेषता : महिला-पुरुष बराबर
अमेरिका-फ्रांस जैसे देशों में संविधान बनने के 100 साल बाद मिला था महिलाओं को वोटिंग राइट, भारत में सब एक समान थे
भारत में पहले बहस थी कि वोटिंग राइट सिर्फ पढ़े लिखे लोगों को ही दिया जाए। संविधान बनने के दौरान भारत में सिर्फ 18 प्रतिशत ही शिक्षित लोग थे। अगर ऐसा होता तो देश की एक बड़ी आबादी अपना प्रतिनिधित्व नहीं चुन पाती। लेकिन संविधान निर्माताओं ने ऐसा नहीं होने दिया। 18 वर्ष से ऊपर के हर शख्स को वोट का अधिकार मिला। अमेरिका जैसे विकसित देश की बात करें तो भी वहां संविधान बनने के 80 साल बाद अश्वेतों को वोट देने का अधिकार मिला। वहीं महिलाओं को तो यह अधिकार पाने में 133 साल लग गए। फ्रांस में संविधान बनने के सौ साल बाद महिलाओं को वोट का हक मिला।
चौथी विशेषता : जनता सर्वोपरि
भारत के संविधान की प्रस्तावना में देश की जनता का जिक्र
भारतीय संविधान की प्रस्तावना
सविधान की प्रस्तावना के पहले चार शब्द : हम भारत के लोग…. हैं। किसी भी खास व्यक्ति का संविधान में जिक्र नहीं है चाहे वो हमारे फ्रीडम फाइटर्स ही क्यों न हों। जिससे मालूम पड़ता है कि सभी बराबर हैं। वहीं पाकिस्तान संविधान में मोहम्मद अली जिन्ना का जिक्र किया गया है। हम भारत के लोग का आईडिया अमेरिका के संविधान से लिया गया है।
पांचवीं विशेषता : भारतीयता का सबसे अद्भुत उदाहरण
संविधान की ऑरिजनल कॉपी में भगवान राम से लेकर गुरू गोविंद सिंह की तस्वीर
हमारी फंडामेंटल ड्यूटीज का वर्णन करने वाले भारतीय संविधान की ऑरिजनल कॉपी के भाग III में श्री राम, सीता जी और लक्ष्मण जी का चित्र है। क्योंकि श्री राम लोगों के अधिकारों के सच्चे संरक्षक थे। राज्य के नीति निर्देशक सिद्धांतों पर भाग युद्ध से पहले अर्जुन और कृष्ण की बातचीत के दृश्य से शुरू होता है। इसके अलावा संविधान मेें भगवान कृष्ण, अर्जुन, गुरू गोविंद सिंह से लेकर रानी लक्ष्मीबाई तक के चित्र है।
पार्ट 4 के पहले अर्जुन और श्री कृष्ण की तस्वीर
संविधान में फंडामेंटल राइट्स के पार्ट से पहले श्री राम की तस्वीर है
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