जगदलपुर35 मिनट पहले
- कॉपी लिंक
नगरनार इस्पात संयंत्र का डीमर्जर एनएमडीसी लिमिटेड से कर दिया गया है।
नगरनार इस्पात संयंत्र का डीमर्जर एनएमडीसी लिमिटेड से कर दिया गया है। अब नगरनार इस्पात संयंत्र को अलग कंपनी बना दिया गया है और इसका नाम एनएमडीसी स्टील लिमिटेड कर दिया गया है। 11 अक्टूबर को दिल्ली में हुई कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय की बैठक में इस पर चर्चा की गई। फिर मंत्रालय ने नगरनार इस्पात संयंत्र को एनएमडीसी लिमिटेड से अलग करने पर सहमति दे दी । 30 लाख टन से शुरू कर 2025 तक इसे 3 करोड़ टन स्टील तक उत्पादन बढ़ाने की योजना भी एनएमडीसी ने तैयार की है।
पिछले साल देशभर में 11 करोड़ टन स्टील का उत्पादन हुआ था। नगरनार इस्पात संयंत्र के जीएम कम्युनिकेशन रफीक अहमद ने बताया कि नई राष्ट्रीय इस्पात नीति के तहत 2030 तक देश में स्टील उत्पादन का लक्ष्य 30 करोड़ टन करने का है। इस हिसाब से नगरनार में 2025 तक देश का करीब 10 फीसदी स्टील का उत्पादन होने लगेगा। दिल्ली में हुई बैठक में जे. सागर एंड एसोसिएट्स के पार्टनर अमर गुप्ता, गौरव अरोरा, एसोसिएट अनिकेत अग्रवाल, त्विशा श्रीवास्तव, एनएमडीसी के ईडी एस पारद सारधी मौजूद थे।
आप भी जानें… संयंत्र के डीमर्जर की प्रक्रिया
एनएमडीसी ने जनवरी 2015 में स्टेनलेस स्टील, सिलिकॉन, विशेष स्टील व अन्य संबद्ध इनपुट के निर्माण व व्यापार में शामिल होने एनएमडीसी के नगरनार इस्पात संयंत्र के लिए डीमर्जर प्रक्रिया की शुरुआत की थी। इसमें 3 मिलियन टन वार्षिक उत्पादन वाले ग्रीनफील्ड इंटीग्रेटेड स्टील प्लांट की योजना थी। इसमें 23 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा निवेश शामिल था। 3 मिलियन टन से शुरू कर 2025 तक इसे 30 मिलियन टन स्टील का उत्पादन बढ़ाने की योजना भी एनएमडीसी ने तैयार की थी।
इसके बाद अक्टूबर 2020 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडल समिति ने एनएमडीसी से स्टील व्यवसाय के डीमर्जर और एनएमडीसी स्टील में सरकार की पूरी हिस्सेदारी को बेचकर स्टील व्यवसाय के रणनीतिक विनिवेश को सैद्धांतिक रूप से मंजूरी दे दी थी। वर्तमान में एनएमडीसी में भारत सरकार की 60.79 प्रतिशत की हिस्सेदारी है। इस्पात मंत्रालय ने मार्च 2022 में एनएमडीसी स्टील को डीमर्ज करने अपनी मंजूरी दे दी। अब कंपनी को अलग कर दिया गया है।
श्रेय: स्रोत लिंक
इस बारे में चर्चा post