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- Deepawali On 24th October, Solar Eclipse On 25th October, Know The Timing Of Surya Grahan Sutak, Effect On All Zodiac Signs Of Surya Grahan
2 घंटे पहले
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अक्टूबर दशहरा-दीपावली जैसे तीज-त्योहारों की वजह से बहुत खास है, लेकिन इन त्योहारों के साथ ही इस महीने में सूर्य ग्रहण भी होने वाला है। दीपावली (24 अक्टूबर) के दूसरे दिन गोवर्धन पूजा होती है, लेकिन इस बार 25 अक्टूबर को आंशिक सूर्य ग्रहण होगा, इस कारण गोवर्धन पूजा 26 अक्टूबर को की जाएगी।
अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा की वेब साइट के मुताबिक 25 अक्टूबर का सूर्य ग्रहण यूरोप, नॉर्थ-ईस्ट अफ्रीका, मीड ईस्ट, वेस्ट एशिया में दिखाई देगा। सूर्य ग्रहण के बाद 8 नवंबर को पूर्ण चंद्र ग्रहण भी होगा। ये चंद्र ग्रहण एशिया, ऑस्ट्रेलिया, प्रशांत महासागर और अमेरिका में दिखेगा।
वैसे तो ये खगोलीय घटना है, लेकिन धर्म के नजरिए से भी सूर्य और चंद्र ग्रहण का महत्व काफी अधिक है। ग्रहण से जुड़ा धार्मिक पक्ष जानने के लिए हमने बात की है उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा से। सवाल-जवाब में जानिए सूर्य ग्रहण से जुड़ी मान्यताएं-
सवाल – क्या हमारे देश में 24 अक्टूबर के सूर्य ग्रहण का सूतक रहेगा?
जवाब – जी हां, ये आंशिक सूर्य ग्रहण भारत में भी दिखेगा, इस कारण सूर्य ग्रहण का सूतक रहेगा और सूतक से जुड़ी मान्यताओं का पालन किया जाएगा।
सवाल – सूर्य ग्रहण का समय कब से कब तक रहेगा?
जवाब – 25 अक्टूबर की शाम 4.22 बजे से सूर्य ग्रहण शुरू होगा। शाम 6.25 बजे ग्रहण खत्म होगा। जिन जगहों पर ग्रहण खत्म होने से पहले सूर्य अस्त होगा, वहां सूर्यास्त के साथ ही ग्रहण खत्म हो जाएगा।
सवाल – ग्रहण का सूतक कब से शुरू होगा?
जवाब – सूर्य ग्रहण का सूतक ग्रहण शुरू होने से 12 घंटे पहले शुरू हो जाता है। सूर्य ग्रहण का सूतक 25 तारीख की सुबह 4.22 बजे से शुरू होगा। जब ग्रहण खत्म होगा, तब ग्रहण का सूतक भी खत्म हो जाएगा।
सवाल – ग्रहण के समय कौन-कौन से धर्म-कर्म करना चाहिए?
जवाब – जब ग्रहण का सूतक रहता है, तब पूजा-पाठ जैसे शुभ काम नहीं किए जाते हैं। इस वजह से सभी मंदिर बंद रहते हैं। ग्रहण खत्म होने के बाद ही पूजा-पाठ की जाती है। ग्रहण काल में बिना आवाज किए मंत्र जप किए जा सकते हैं। इस समय में दान करना चाहिए। ग्रहण खत्म होने के बाद नदियों में स्नान करने की भी परंपरा है।
सवाल – सूर्य ग्रहण क्यों होता है?
जवाब – धर्म और विज्ञान के नजरिए से इसके अलग-अलग कारण हैं। विज्ञान के मुताबिक जब पृथ्वी अपने चंद्र के साथ सूर्य की परिक्रमा करती है। चंद्र पृथ्वी की परिक्रमा करता है। जब चंद्र परिक्रमा करते हुए पृथ्वी और सूर्य के बीच आ जाता है और ये तीनों ग्रह एक सीधी लाइन में होते हैं, तब चंद्र की छाया पृथ्वी पर पड़ती है और जहां चंद्र की छाया पड़ती है, वहां सूर्य नहीं दिखता है। इस स्थिति को ही सूर्य ग्रहण कहते हैं। धर्म के नजरिए से ग्रहण की कथा राहु और केतु से जुड़ी है।
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