उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने इस बाबत दिल्ली दुकान और प्रतिष्ठान अधिनियम के तहत छूट के प्रस्ताव को मंजूरी दी। अधिकारियों ने बताया कि दिल्ली दुकान और प्रतिष्ठान अधिनियम, 1954 की धारा 14, 15 और 16 के तहत व्यावसायिक प्रतिष्ठानों को 24 घंटे सातों दिन संचालित करने की अनुमति मिलती है। हालांकि इस पर कुछ शर्तें भी रहती हैं जो कर्मचारियों के कल्याण और सुरक्षा आदि से संबंधित हैं।
उपराज्यपाल कार्यालय के अधिकारियों ने रविवार को बताया कि सक्सेना ने 314 आवेदनों को मंजूरी दे दी है। इनमें से कुछ आवेदन 2016 से लंबित थे। अधिकारियों ने बताया कि उपराज्यपाल ने निर्देश दिया कि इस संबंध में अधिसूचना सात दिन के भीतर जारी की जाए। इस प्रस्ताव को मंजूरी देते हुए सक्सेना ने छूट के लिए विभिन्न प्रतिष्ठानों द्वारा प्रस्तुत आवेदनों के निपटान में श्रम विभाग की ओर से अत्यधिक देरी, अनियमितता और अनुचित विवेक को गंभीरता से लिया।
अगले हफ्ते से, केपीओ और बीपीओ के अलावा होटल, रेस्तरां, भोजनालय, भोजन, दवाओं और अन्य आवश्यक वस्तुओं की आनलाइन डिलीवरी समेत 300 से अधिक प्रतिष्ठान चौबीस घंटे अपने कारोबार को संचालित कर सकेंगे। इस निर्णय से रोजगार सृजन को बढ़ावा मिलने और शहर में सकारात्मक और अनुकूल कारोबारी माहौल को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है।
बदलना होगा अधिनियम
नई व्यवस्था को लागू करने के लिए दिल्ली सरकार को दुकान और संस्थान अधिनियम 1954 की धारा 14, 15 और 16 में संशोधन करना होगा। इस संशोधन के बाद सभी गतिविधियों को 24 घंटे संचालित किया जा सकेगा। माना जा रहा है कि कोरोना काल के बाद दिल्ली के उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए यह एक सार्थक पहल है।
इसकी मदद से केवल दुकानों की गतिविधियां ही नहीं बल्कि कर्मचारियों और सुरक्षा कर्मचारियों के लिए भी ऐसे संस्थानों में कामकाज के रास्ते खुलेंगे। इस योजना को काफी पहले ही लागू किया जाना था लेकिन श्रम विभाग की लापरवाही से यह योजना आज तक लागू नहीं हो पाई है।
विभाग के पास लटके आवेदन
कुल 316 आवेदन लटके हुए हैं। इनमें 18 आवेदन 2016, 26 आवेदन 2017, 83 आवेदन 2018 , 25 आवेदन 2019, 04 आवेदन 2020 और 74 आवेदन 2021 से लटके हुए हैं। भविष्य में आवेदन निपटारा प्रक्रिया में तेजी लाई जा सके इसके लिए उपराज्यपाल ने श्रम विभाग को डिजिटल आनलाइन सेवाओं का अधिक प्रयोग करने के आदेश दिए हैं।
उपराज्यपाल ने संबंधित विभाग को स्पष्ट आदेश दिए हैं कि श्रम विभाग में भविष्य में ऐसी देरी नहीं होनी चाहिए और यदि किन्हीं कारणों से इस मामले में देरी सामने आती है तो संबंधित अधिकारी के खिलाफ जवाबदेही तय होनी चाहिए।
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