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झांसी। बबीना फील्ड फायरिंग रेंज में हादसे का शिकार हुआ टी 90 भीष्म टैंक दुनिया के बेहतरीन युद्ध हथियारों में से एक है। जमीन पर छह किमी और आसमान में दो किमी दूर के टारगेट पर भी यह आसानी से निशाना साध सकता है। इतना ही नहीं, मिट्टी, दलदल और पानी की सतह पर भी इसकी रफ्तार बरकरार रहती है।
टी 90 टैंक का निर्माण रूस ने किया था। साल 2001 में इसकी 310 यूनिट भारत लाई गईं थीं। इनमें से 124 यूनिट रूस से पूरी तरह से बनकर आई थीं। बाकी का निर्माण तमिलनाडु में किया गया था। इसके लिए रूस ने इस टैंक की तकनीकी भारत से साझा की थी। 46 टन वजनी टी 90 भीष्म टैंक अधिकतम 65 किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार से दौड़ सकता है। रेगिस्तान, मिट्टी, दलदल के साथ-साथ यह पानी की पांच मीटर की सतह पर भी चलने में सक्षम है। इसका सिस्टम बेहद एडवांस है। इसमें टारगेट को लॉक करने की व्यवस्था है। टारगेट लॉक होने के बाद यह चलते-चलते, जंप करते हुए तथा घूमते हुए भी सही निशाने पर वार करने में सक्षम है। इससे अलग-अलग प्रकार के बम व राकेट फायर किए जा सकते हैं।
इसके अलावा इसका फ्यूल टैंक 1600 लीटर का है और एक बार फ्यूल टैंक पूरा भरने पर यह 540 किमी तक चल सकता है। आमतौर पर टैंक को चलाने में चार से पांच लोगों की आवश्यकता होती है, परंतु टी 90 भीष्म टैंक महज तीन लोग ही चला सकते हैं। इनमें एक कमांडर, दूसरा गनर व तीसरा ड्राइवर होता है। इसकी इन्हीं खूबियों की वजह से इसे दुनिया के शानदार युद्ध हथियारों में से एक माना जाता है।
झांसी। बबीना फील्ड फायरिंग रेंज में हादसे का शिकार हुआ टी 90 भीष्म टैंक दुनिया के बेहतरीन युद्ध हथियारों में से एक है। जमीन पर छह किमी और आसमान में दो किमी दूर के टारगेट पर भी यह आसानी से निशाना साध सकता है। इतना ही नहीं, मिट्टी, दलदल और पानी की सतह पर भी इसकी रफ्तार बरकरार रहती है।
टी 90 टैंक का निर्माण रूस ने किया था। साल 2001 में इसकी 310 यूनिट भारत लाई गईं थीं। इनमें से 124 यूनिट रूस से पूरी तरह से बनकर आई थीं। बाकी का निर्माण तमिलनाडु में किया गया था। इसके लिए रूस ने इस टैंक की तकनीकी भारत से साझा की थी। 46 टन वजनी टी 90 भीष्म टैंक अधिकतम 65 किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार से दौड़ सकता है। रेगिस्तान, मिट्टी, दलदल के साथ-साथ यह पानी की पांच मीटर की सतह पर भी चलने में सक्षम है। इसका सिस्टम बेहद एडवांस है। इसमें टारगेट को लॉक करने की व्यवस्था है। टारगेट लॉक होने के बाद यह चलते-चलते, जंप करते हुए तथा घूमते हुए भी सही निशाने पर वार करने में सक्षम है। इससे अलग-अलग प्रकार के बम व राकेट फायर किए जा सकते हैं।
इसके अलावा इसका फ्यूल टैंक 1600 लीटर का है और एक बार फ्यूल टैंक पूरा भरने पर यह 540 किमी तक चल सकता है। आमतौर पर टैंक को चलाने में चार से पांच लोगों की आवश्यकता होती है, परंतु टी 90 भीष्म टैंक महज तीन लोग ही चला सकते हैं। इनमें एक कमांडर, दूसरा गनर व तीसरा ड्राइवर होता है। इसकी इन्हीं खूबियों की वजह से इसे दुनिया के शानदार युद्ध हथियारों में से एक माना जाता है।
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