Publish Date: | Sat, 05 Nov 2022 09:56 PM (IST)
जबलपुर,नईदुनिया प्रतिनिधि।मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रवि मलिमठ ने कहा कि नेशनल क्राइम डाटा ब्यूरो के आकंड़ों के अनुसार बच्चों के विरुद्ध निरंतर बढ़ रहे अपराध अत्यंत चिंताजनक हैं। इस स्थिति पर ठोस अंकुश सुनिश्चित करने के लिए पाक्सो एक्ट के प्रभावी क्रियान्वयन की दिशा में ठोस प्रयास वक्त का तकाजा है। वे हाई कोर्ट की किशोर न्याय समिति, पाक्सो समिति, ज्यूडिशियल अकादमी व विधिक सेवा प्राधिकरण के संयुक्त तत्वावधान में मध्य प्रदेश स्टेट ज्यूडिशियल अकादमी के सभागार में स्टेट कंसल्टेशन ‘मंथन‘ के शुभारंभ अवसर पर बोल रहे थे।
इस दौरान हाई कोर्ट के प्रशासनिक न्यायाधीश शील नागू, किशोर न्याय समिति के अध्यक्ष न्यायमूर्ति सुजय पाल, पाक्सो समिति के अध्यक्ष न्यायमूर्ति सुश्रुत अरविंद धर्माधिकारी, अशोक शाह, अतिरिक्त मुख्य सचिव, महिला एवं बाल विकास विभाग, मारग्रेट ग्वाडा, चीफ आफ फील्ड आफिस, यूनिसेफ, रामकुमार चौबे, रजिस्ट्रार जनरल, बी. के. द्विवेदी, प्रमुख सचिव, विधि एवं विधायी कार्य विभाग व राजीव कर्महे, सदस्य सचिव, राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण मंचासीन रहे।
बच्चे अपराध करने के लिये आसान लक्ष्य :
मुख्य न्यायाधीश मलिमठ ने कहा कि अधिकतर मामलों में अपराधी बच्चों के रिश्तेदार अथवा परिचित ही होते हैं। बच्चें अपराध करने के लिये आसान लक्ष्य होते है, क्योंकि वह अपनी बात खुलकर समझा नहीं पाते है और डर के कारण भी अपराध होने के बाद आरोपित के संबंध में मौन रह जाते हैं। बच्चों के विरूद्ध हुए अपराध के संबंध में तत्काल संबंधित एजेन्सी आदि के माध्यम से कार्यवाही आवश्यक है। साथ ही हम सभी का यह दायित्व है कि समाज में ऐसा परिवेश तैयार किया जाए जो बच्चों के लिये सुरक्षित हो। हम सभी को एक कदम आगे बढ़ते हुये बच्चों के माता-पिता, शिक्षकों तथा उनसे संबंधित समस्त लोगों के माध्यम से बच्चों को शारीरिक व मानसिक शिक्षा प्रदान कर संवेदनशील बनाने की आवश्यकता है। इस उद्देश्य से स्कूल शिक्षा पाठ्यक्रम में तत्संबंध में विषय सम्मिलित किए जा सकते हैं। बच्चों की शारिरिक सुरक्षा को सुनिश्चत करने के उद्देश्य से विशेषज्ञों को पाठ्यकम विकसित करना चाहिए।
इंटरनेट के उपयोग के समय बच्चों की प्रभावी मानिटरिंग भी आवश्यक :
उन्होंने जोर देकर कहा कि हमें बच्चों को इस प्रकार से शिक्षित करना होगा कि वह अपराध या किसी अन्य गलत बात या अश्लील हरकत को समझ सके व खुलकर अपने शिक्षक माता-पिता आदि से बात कर सकें। माता-पिता द्वारा इंटरनेट के उपयोग के समय बच्चों की प्रभावी मानिटरिंग भी आवश्यक है। जागरूकता के लिये हमें विद्यालयों के साथ-साथ कार्यालयों व अन्य कार्यस्थलों पर भी कार्यरत लोगों के मध्य संवेदीकरण कार्यक्रम आयोजित करने होंगे, जिसमें बाल अपराधों से बचने के साथ-साथ बाल अपराधों के बाद अपनायी जाने वाली प्रक्रियां के प्रति भी सभी को अवगत कराना होगा और अपराधी के विरूद्ध कार्यवाही सुनिश्चित करनी होगी।
कंसल्टेशन से पूर्व में तैयार कार्य योजना की होगी समीक्षा :
मुख्य न्यायाधीश मलिमठ ने कहा कि मध्य प्रदेश राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण व अन्य संबंधित संस्थाओं को आगे आकर बच्चों के विरूद्ध अपराधों के संबंध में जानकारी देते हुए उसके संबंध में उपलब्ध कानूनी विकल्पों से अवगत कराते हुए समाज को जागरूक व संवेदनशील बनाना होगा। साथ ही समाज के प्रत्येक जरूरतमंद व्यक्ति को जागरूक करते हुए लाभ पहुंचाना होगा। मुझे पूर्ण विश्वास है कि पाक्सो एक्ट से संबंधित समस्त विभागों व संस्थानों के प्रतिनिधियों को सम्मिलित कर आयोजित कंसल्टेशन से पूर्व में तैयार कार्य योजना की समीक्षा के साथ भविष्य के लिये सकारात्मक व प्रभावी कार्ययोजना तैयार की जाएगी।
किशोर न्याय समिति की वेबसाइट लांच :
न्यायमूर्ति सुजय पाल द्वारा कार्यक्रम का परिचय व स्वागत उद्बोधन दिया गया। इसके बाद मुख्य न्यायधिपति व अतिथियों द्वारा हाई कोर्ट की किशोर न्याय समिति की वेबसाइट लांच की गई। अवगत कराया गया कि इस कार्यक्रम का उद्देश्य विगत 10 वर्षों में पाक्सों एक्ट, 2012 के क्रियान्वयन व पूर्व में तैयार किए गए बाल संरक्षण के राज्य स्तरीय कार्ययोजना 2018-22 की समीक्षा करना और वर्ष 2023-27 के लिये राज्य स्तरीय कार्ययोजना को विकसित करना है।
Posted By: Jitendra Richhariya
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