अमरोहा3 दिन पहले
अमरोहा में गंगा किनारे लगा श्रद्धालुओं का तंबू।
अमरोहा के तिगरी गंगा धाम पर मोक्षदायिनी, पतित पावनी और देवनदी मां गंगा के तट पर तंबू की सुन्दर नगरी बसने लगी है। जहां पर श्रद्धालु कार्तिक पूर्णिमा तक प्रवास करेंगे। आस्था के साथ-साथ तिगरी मेला उमंग, उल्लास और अनूठी संस्कृति का भी परिचायक है। यही कारण है कि इस मेले में हर वर्ष लाखों की संख्या में श्रद्धालु जुटते हैं। लाखों की तादाद में श्रद्धालुओं के आगमन को लेकर पुलिस-प्रशासन ही नही खुफिया एजेंसियां भी अलर्ट मोड पर है।
मेले में एसडीआरएफ और पीएसी ने डेरा डाल लिया है। मेले का शुभारंभ चार नवंबर को होगा। जबकि आठ नवंबर यानी कार्तिक पूर्णिमा के दिन मुख्य स्नान होगा। इस बार 25 लाख श्रद्धालुओं का गंगा में आस्था की डुबकी लगाने का अनुमान लगाया जा रहा है।
तिगरी गंगा मेले में सुबह से ही ट्रैक्टर ट्रालियों व अन्य निजी वाहनों में सवार श्रद्धालुओं का सैलाब तिगरी गंगा तट की ओर उमड़ना शुरू हो गया। श्रद्धालुओं के सैलाब के चलते गजरौला के इंदिरा चौक व चौपला चौराहे पर सड़कों पर भारी भीड़ रही। कई बार आंशिक जाम के हालात भी बने। यातायात पुलिस समेत स्थानीय पुलिस ने यातायात व्यवस्था को दुरुस्त रखने का काम किया। श्रद्धालुओं ने तिगरी धाम पहुंचकर अपने-अपने तंबुओं को सुन्दर तरीके से सजाकर उनमें प्रवास भी शुरू कर दिया है।
अमरोहा के तिगरी गंगा धाम की तैयारियां।
तम्बू में सुख-सुविधा के होंगे इंतजाम
यहां की सबसे पंसदीदा खिचड़ी की तारीफ तो हर कोई खाने वाला करता है। यह तिगरी मेले का प्रसिद्द व्यंजन है,हालांकि अब तो श्रद्धालुओं द्वारा अपने अपने तम्बू में सुख, सुविधाओं के सभी इंतजाम शुरू कर दिए हैं। इसलिए तरह तरह के पकवान भी श्रद्धालु बनाते हैं। उधर स्वास्थ्य विभाग ने भी मेले पर डेरा डाल दिया है। मेले पर राजकीय अस्पताल के साथ-साथ आठ एंबुलेंस को तैनात किया गया है। ये एंबुलेंस मेले से मरीजों को अस्पताल ले जाने का काम करेगी।
अमरोहा के तिगरी गंगा धाम में लगे तंबू
मेले में मनोरंजन की होगी सुविधा
मेले में झूले, सर्कस, मौत के कुएं समेत तमाम मनोरंजन की चीजें पहुंची है। श्रद्धालुओं के तंबू में मनोरंजन के साधन जैसे-टीवी, म्यूजिक सिस्टम की भी व्यवस्था होती है। सुबह को तंबू से निकले श्रद्धालु नहाकर, खाकर और मेले में घूमकर वापस लौटते हैं। जब खाली वक्त बचता है तो वे टीवी, मोबाइल और म्यूजिक का सहारा लेते हैं। कैरम बोर्ड, ताश, कबड्डी, बैडमिंटन का खेल भी खेला जाता है।
कुल मिलाकर तिगरी मेले की अपनी एक अनूठी संस्कृति, अनूठा अपनत्व और अनूठा ही उल्लास है। जिसे श्रद्धालु बार बार हर साल यहां आकर पाना चाहते हैं, और यह सिलसिला पुरातन से लेकर वर्तमान तक अनवरत जारी है। उधर मेले में भी झूले, सर्कस, मौत का कुआं समेत तमाम मनोरंजन की चीजे आ चुकी है। जो अपनी अपनी तैयारी पूरी करने में जुटे हुए है।
अमरोहा का तिगरी गंगा धाम।
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