इटवा8 दिन पहले
सिद्धर्थनगर जिले के इटवा में बच्चों के मनोरंजन का कोई साधन नहीं है। ऐसा कोई स्थान नहीं है जहां सुबह-शाम बच्चे अथवा छात्र-छात्राएं वहां बैठकर कुछ सुकून का पल बिता सकें। ले-देकर वन विभाग का एक पार्क है, जो उपेक्षा के कारण उजड़े चमन के रूप में बदल रहा है। जिम्मेदार बजट का रोना रो रहे हैं। मनोरंजन की सामग्री कबाड़ होती जा रही है। ऐसी भी सामग्री है, जिस पर खेलने से बच्चे चुटहिल हो सकते हैं।
कभी रौनक बिखेर रहा था, अब बहा रहा बेबसी के आंसू
इटवा-बिस्कोहर मार्ग पर वन विभाग का कार्यालय है। जहां नर्सरी स्थल के अलावा पार्क की भी व्यवस्था है। कभी यह पार्क अपनी रौनक बिखेर रहा था। झूला, स्विलंग क्रासेस सहित कई मनोरंजन के साधन थे। बैठने की भी अच्छी व्यवस्था थी। स्कूली छात्र-छात्राओं के अलावा के युवा यहां जाते और कुछ पल सुकून से गुजारते।
कई परिवार भी बच्चों के साथ यहां आते थे। बच्चे खेलों में मस्त हो जाते थे। वर्तमान में खेल की सामग्री या तो गायब हो गई है, या फिर टूटकर कबाड़ हो रही है। पूरा पार्क बेबसी पर आंसू बहा रहा। अब भी बहुत सारे युवा व बच्चे यहां आते हैं, मगर उन्हें खेलने के संसाधन क्या, बैठने की सुचारू जगह नहीं मिल रही है।
वीआइपी क्षेत्र रहा है इटवा फिर भी उपेक्षा
इटवा वीआइपी क्षेत्र के रूप में जाना जाता है। वर्तमान विधायक माता प्रसाद पाण्डेय दो-दो बार विधानसभा अध्यक्ष के साथ सरकार में कैबिनेट मंत्री भी रह चुके हैं। पूर्व विधायक डा. सतीश द्विवेदी पिछली योगी सरकार में बेसिक शिक्षा मंत्री थे। पूर्व सांसद मुहम्मद मुकीम की बसपा की पूर्व सरकार में तूती बोलती थी, पर अफसोस पार्क की दशा और दिशा बदलने के लिए किसी ने रुचि नहीं दिखाई।
किसी अन्य पार्क की बात कौन कहे, वन विभाग के पार्क को भी रौनक वापस नहीं करा सके। वन क्षेत्राधिकारी इटवा नंदलाल ने कहा पार्क की स्थिति वास्तव में ठीक नहीं है। बजट अभाव के कारण इसकी स्थिति नहीं सुधर रही है। बजट आने पर ही कुछ किया जा सकता है।
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