Publish Date: | Sun, 06 Nov 2022 11:00 AM (IST)
DAVV Indore : इंदौर (नईदुनिया प्रतिनिधि)। कोरोनाकाल में मेडिकल क्षेत्र से जुड़े व्यवसाय में अचानक तेजी देखी गई। उसमें से एक फार्मा इंडस्ट्री भी शामिल है, जिसमें फार्मासिस्ट की डिमांड बढ़ गई है। इसी देखते हुए देवी अहिल्या विश्वविद्यालय ने दो साल बाद डी-फार्मा कोर्स शुरू किया है। मगर प्रवेश प्रक्रिया में देरी के चलते कम एडमिशन हुए हैं। डी-फार्मा की आधी सीटें खाली हैं। अब इन्हें भरने को लेकर विश्वविद्यालय की चिंताएं बढ़ने लगी हैं। फार्मेसी विभाग ने प्रवेश के लिए दोबारा विद्यार्थियों को मौका देने का विचार किया है।
स्कूल आफ फार्मेसी से पहली बार डी-फार्मा कोर्स संचालित किया जा रहा है। अभी तक यह पाठ्यक्रम निजी कालेज व निजी विश्विवद्यालय में चल रहे हैं। जहां विद्यार्थियों से दो साल वाले पाठ्यक्रम के लिए दो लाख तक वसूले जा रहे थे, वहीं विश्वविद्यालय ने कोर्स की फीस महज 62 हजार रुपये सालाना रखी है। इस लिहाज से दो साल का कोर्स एक लाख पच्चीस हजार में पूरा हो रहा है। डी-फार्मा की पहली बैच के लिए छात्र-छात्राओं से आवेदन 10 अक्टूबर तक मांगवाए थे। 60 सीटों पर प्रवेश के लिए 63 विद्यार्थियों ने पंजीयन करवाए थे। आफलाइन काउंसलिंग के माध्यम से 18 से 30 अक्टूबर तक सीट आवंटन की प्रक्रिया की गई। कई विद्यार्थियों के दस्तावेज अधूरे होने की वजह से प्रवेश प्रक्रिया से बाहर कर दिया। यही वजह है कि 33 छात्र-छात्राओं ने प्रवेश लिया है। गणित, केमिस्ट्री और बायोलाजी विषय में 12वीं करने वाले विद्यार्थियों को दाखिला दिया गया।
एक-दो दिन में होगी बैठक – विभागाध्यक्ष डा. राजेश शर्मा का कहना है कि रिक्त सीटों के लिए दोबारा प्रवेश दिए जा सकते हैं। इसके लिए विश्वविद्यालय की प्रवेश समिति से चर्चा करने के बाद फैसला लिया जाएगा। संभवत: अगले दो या तीन दिन में बैठक रखी जाएगी। शर्मा ने बताया कि वैसे समिति की राय है कि अगले साल जुलाई से प्रवेश की प्रक्रिया रखें, क्योंकि इस बार प्रक्रिया काफी लेट हुई है।
Posted By: Hemraj Yadav
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