पुणे: जापान की जायका कंपनी (Jayka Company) के सहयोग से नदी सुधार परियोजना के तहत 11 सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (STP Plants) का काम अक्टूबर में शुरू किया जाएगा। इसके साथ ही हरित लवाद के निर्देशानुसार पुराने एसटीपी प्लांट में भी सुधार किए जाएंगे। इसकी योजना तैयार कर ली गई है। यह जानकारी पुणे महानगरपालिका के कमिश्नर विक्रम कुमार ने दी।
कमिश्नर विक्रम कुमार ने कहा कि मुला-मुथा नदी सुधार योजना के तहत शहर में एकत्रित सीवेज को ट्रीट कर छोड़ा जाएगा। इसके लिए नदी किनारे 11 स्थानों पर एसटीपी का निर्माण किया जा रहा है। इस कार्य के लिए सात माह पूर्व टेंडर स्वीकृत हुआ है। केंद्र सरकार के माध्यम से इस परियोजना के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करने वाली जायका कंपनी के अधिकारी मंगलवार और बुधवार को पुणे के दौरे पर थे। यह टीम ने एसटीपी प्लांट जिन जिन स्थलों पर बनाए जाएंगे, उनका निरीक्षण कर एक संयुक्त बैठक भी की। इस बैठक में जायका के अधिकारियों ने परियोजना कार्यों का अपडेट दिया।
मिट्टी परीक्षण और सभी तकनीकी अध्ययन पूरा
इस बारे में कमिश्नर विक्रम कुमार ने बताया कि 11 एसटीपी प्लांट का काम अक्टूबर में शुरू होगा। इस काम के लिए जरूरी जमीन पुणे महानगरपालिका के कब्जे में आ गई है। कार्य स्थल पर मिट्टी परीक्षण और सभी तकनीकी अध्ययन पूरे कर लिए गए हैं। प्लांटस् के डिजाइन भी तैयार किए गए हैं। अगले कुछ वर्षों में यह प्लांट पूरे हो जाएंगे और उपयोग में आ जाएंगे।
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PMC में शामिल 23 गांवों में भी बनाए जाएंगे एसटीपी प्लांट
पीएमसी कमिश्नर ने कहा कि पुणे महानगरपालिका में शामिल 23 गांवों में प्रदूषित पानी की प्रक्रिया के लिए नए एसटीपी प्लांट लगाए जाएंगे। इसके लिए बड़ी राशि की आवश्यकता होगी। इन सभी कार्यों के लिए केंद्र की अमृत-2 योजना और जायका के साथ राज्य सरकार से मदद मांगी जाएगी। हरित लवाद के निर्देशानुसार पुराने एसटीपी प्लांटो के ऑडिट का जिम्मा महाप्रित को सौंपा गया है। पुराने एसटीपी प्लांट से प्रक्रियाकृत पानी को एक बार फिर से प्रक्रिया करने के लिए आवश्यक परिवर्तन करने होंगे। ऐसे निर्देश हरित लवाद ने दिए थे। इसके लिए जहां संभव होगा वहां मरम्मत किया जाएगा, वहीं कुछ प्लांटों को गिराया जाएगा। अभी यह रिपोर्ट प्राप्त नहीं हुई है, लेकिन प्रारंभिक जानकारी के अनुसार इस पर 450 करोड़ रुपए खर्च होने का अनुमान हैं।
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