डा. जयंतीलाल भंडारी : अंतरराष्ट्रीय निवेश बैंक मार्गन स्टैनली की हालिया ‘व्हाई दिस इज इंडियाज डिकेड’ शीर्षक से प्रकाशित रिपोर्ट को गंभीरतापूर्वक पढ़ा जा रहा है। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत विश्व अर्थव्यवस्था में नए मुकाम हासिल कर रहा है। चार वैश्विक रुझान जनसांख्यिकी, डिजिटलीकरण, डीकार्बोनाइजेशन और डीग्लोबलाइजेशन नए भारत के पक्ष में हैं। ऐसे में भारत में दुनिया के निवेशकों के लिए निवेश का एक बड़ा अवसर है। यहां निवेश किया जाना हर प्रकार से लाभप्रद है। प्रधानमंत्री मोदी कह भी चुके हैं कि भारत में निवेश का मतलब लोकतंत्र और विश्व के लिए निवेश है।
यह कोई छोटी बात नहीं है कि पिछले वित्त वर्ष 2021-22 में भारत को रिकार्ड स्तर पर 84 अरब डालर का विदेशी निवेश मिला था। जब पूरी दुनिया में आर्थिक और वित्तीय मंदी का माहौल है, विश्व की अर्थव्यवस्था में बड़ी गिरावट है, इसके बावजूद विदेशी निवेशकों द्वारा भारत को प्राथमिकता दी जी रही है तो इसकी वजह देश में विदेशी निवेश के लिए पारदर्शी एवं स्थायी नीति का होना है। इसके साथ भारत में मजबूत राजनीतिक नेतृत्व है।
भारतीय बाजार बढ़ती मांग वाला बाजार है। देश में प्रतिभाशाली नई पीढ़ी की कौशल दक्षता, आउटसोर्सिंग और बढ़ते हुए मध्यम वर्ग की क्रयशक्ति के कारण विदेशी निवेश भारत की ओर तेजी से बढ़ने लगा है। वैश्विक क्रेडिट रेटिंग एजेंसी फिच ने वर्तमान वैश्विक मंदी के बीच भारत की रेटिंग नकारात्मक से उन्नत करके स्थिर की है, जो विदेशी निवेश के लिए उपयुक्त है।
वस्तुतः भारतीय घरेलू बाजार और अर्थव्यवस्था की बुनियाद मजबूत है। इस समय जहां भारत दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाला देश है, वहीं सबसे तेज डिजिटलीकरण वाला देश भी है। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के मुताबिक वित्त वर्ष 2022-23 में भारत की विकास दर करीब 6.8 प्रतिशत होगी, जो दुनिया की सबसे ऊंची विकास दर होगी। करीब 531 अरब डालर से अधिक का विदेशी मुद्रा भंडार है। शेयर बाजार बढ़त बनाए हुए है। खाद्यान्न का भी रिकार्ड उत्पादन हो रहा है। कृषि विकास और कृषि निर्यात से भारत की नई पहचान बनी है। वित्त वर्ष 2021-22 में भारत से 50 अरब डालर मूल्य का कृषि निर्यात किया गया है। देश में खाद्य प्रसंस्कृत उद्योगों के तेज विकास ने इस क्षेत्र में विदेशी निवेश बढ़ाए हैं।
देश में उद्योग-कारोबार को आसान बनाने के लिए भी कई ऐतिहासिक सुधार किए गए हैं। विगत आठ वर्षों में करीब 1,500 पुराने कानून और हजारों अनावश्यक अनुपालन समाप्त किए गए हैं। जीएसटी और दिवालिया कानून लाए गए हैं। बैंकिंग क्षेत्र में जोरदार सुधार करके अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाया गया है। आज परिचालन वाले हवाई अड्डों की संख्या दोगुनी हो गई है और 20 से अधिक शहरों में मेट्रो रेल का विस्तार हुआ है। कारपोरेट टैक्स को कम किया गया है। कारोबार का खुद संचालन करने के बजाय सरकार ने कारोबार करने के लिए आधार तैयार किया है। युवाओं को अपनी क्षमता बढ़ाने के नए अवसर निर्मित किए गए हैं। भारत के युवाओं ने 100 से ज्यादा यूनिकार्न बनाए हैं और पिछले आठ साल में 80 हजार से ज्यादा नए स्टार्टअप शुरू किए हैं। कानून के कई प्रविधानों को अपराध की श्रेणी से बाहर करने, आनलाइन आकलन, एफडीआइ के लिए नए रास्ते, ड्रोन नियमों को उदार बनाने जैसे कदमों से देश की ओर विदेशी निवेश का प्रवाह तेजी से बढ़ता हुआ दिखाई दे रहा है।
नि:संदेह निवेश के लिए भारत दुनिया में सबसे अच्छी जगह इसलिए भी है, क्योंकि देश में चौथी औद्योगिक क्रांति का नेतृत्व करने की क्षमता है और सरकार ने देश को वैश्विक मैन्यूफैक्चरिंग हब बनने के लिए आवश्यक सुधार किए हैं। साथ ही 3डी प्रिंटिंग, मशीन लर्निंग, डाटा एनालिटिक्स और आइटी उद्योग को बढ़ावा देने के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाए गए हैं। आत्मनिर्भर भारत अभियान में मैन्यूफैक्चरिंग के तहत 24 सेक्टरों को प्राथमिकता के साथ तेजी से आगे बढ़ाया जा रहा है। यह बात महत्वपूर्ण है कि भारत द्वारा यूएई और आस्ट्रेलिया के साथ मुक्त व्यापार समझौतों (एफटीए) को मूर्त रूप दिए जाने के बाद अब यूरोपीय संघ, ब्रिटेन, कनाडा, खाड़ी सहयोग परिषद (जीसीसी) के छह देशों, दक्षिण अफ्रीका, अमेरिका और इजरायल के साथ इसके लिए वार्ता तेजी से आगे बढ़ रही है। इससे भी भारत में विदेशी निवेश की संभावनाएं और बढ़ेंगी।
इतना ही नहीं रिजर्व बैंक द्वारा डिजिटल रुपये के प्रायोगिक इस्तेमाल की शुरुआत और वैश्विक व्यापारिक सौदों का निपटान रुपये में किए जाने संबंधी महत्वपूर्ण निर्णय से भी देश में विदेशी निवेश और तेजी से बढ़ने का परिदृश्य निर्मित हुआ है। निश्चित रूप से जिस तरह भारत की नई लाजिस्टिक नीति और गति शक्ति योजना का आगाज अभूतपूर्व रणनीतियों के साथ हुआ है, उससे भी विदेशी निवेश बढ़ेगा। इससे माल परिवहन की लागत घटेगी और सभी प्रकार के उद्योग-कारोबार को बढ़ावा मिलेगा। नई नीति ऊंचे लाजिस्टिक अंतर को पाटने और भारत को वैश्विक आपूर्ति शृंखला में प्रतिस्पर्धी बनाने में अहम भूमिका निभाएगी। ऐसे में दुनिया में प्रमुख आर्थिक प्रतिस्पर्धी देश बनकर भारत अधिक विदेशी निवेश प्राप्त करते हुए दिखाई दे सकेगा।
उम्मीद करें कि मार्गन स्टैनली की यह रिपोर्ट जल्द ही साकार होते हुए दिखाई देगी, जिसमें कहा गया है कि यह दशक तेजी से बढ़ती हुई भारतीय अर्थव्यवस्था का दशक साबित होगा। और साथ ही भारत अपनी आर्थिक अनुकूलताओं से वर्ष 2030 तक दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के रूप में उभरेगा।
(लेखक एक्रोपोलिस इंस्टीट्यूट आफ मैनेजमेंट स्टडीज एंड रिसर्च, इंदौर के निदेशक हैं)
Edited By: Praveen Prasad Singh
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