पिथौरागढ़ महाविद्यालय में आयोजित राष्ट्रीय सेमीनार में जानकारी देती कार्यक्रम संयोजक डॉ. सरोज ?
– फोटो : PITHORAGARH
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पिथौरागढ़। राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय में आयोजित ‘स्वतंत्रता संग्राम में कुमाऊं-गढ़वाल के जननायकों का सामाजिक एवं सांस्कृतिक योगदान’ विषय पर दो दिनी राष्ट्रीय सेमिनार का समापन हो गया है। इस दौरान देश के विभिन्न राज्यों से आए प्राध्यापकों और शोधकर्ताओं के शोधपत्रों का प्रस्तुतीकरण हुआ।
अंतिम दिन तकनीकी सत्र का शुभारंभ मुख्य अतिथि प्रो. प्राचार्य पीएस बिष्ट, प्रो. प्रेमलता पंत और विशिष्ट अतिथि डॉ. डीके मौर्या, डॉ. दीपक तिवारी ने किया। सल्ट कॉलेज के प्राचार्य प्रो. विश्वमोहन पांडेय ने कहा कि उत्तराखंड में लोगों की सोच एवं व्यवहार में अंतर दृष्टिगोचर हो रहा है। गरुड़ाबाज कॉलेज के प्राचार्य डॉ. आरए सिंह ने शोध पत्रों को संकलित कर पुस्तक का रूप देने की वकालत की।
डॉ. दीप चौधरी ने गुमनाम नायकों के योगदान को याद किया। डॉ. नीलम नेगी ने गढ़वाल और कुली बेगार आंदोलन में केसर सिंह के योगदान, रवि आनंद सिंह ने लोकगीत एवं साहित्य का राष्ट्रीय चेतना संग्राम में योगदान, बेड़ीनाग कॉलेज के प्राचार्य प्रो. सीडी सूंठा ने उत्तराखंड के जननायकों और समाचार पत्र पत्रिकाओं के समाज में योगदान पर प्रकाश डाला।
कार्यक्रम संयोजक डॉ.सरोज वर्मा ने सभी का आभार जताया। तकनीकी सत्र की रिपोर्टिंग डॉ. हेम पांडे ने की। इस मौके पर डॉ. नरेंद्र सिंह धारियाल, डॉ. ममता बिष्ट, डॉ. सतीश चंद्र जोशी, डॉ. सुंदर कुमार, डॉ. नीलाक्षी जोशी, डॉ. पुष्पा पंत, डॉ. भानु प्रताप सिंह गौतम, डॉ. मुन्नी पाठक, डॉ. रूप किशोर द्विवेदी, डॉ. एसके आर्य, डॉ.नवीन सिंह रजवार, डॉ. अरुण कुमार चतुर्वेदी, डॉ. कमलेश भाकुनी, डॉ. नंदन सिंह कार्की, डॉ. अमित कुमार जोशी, डॉ. धर्मवीर सिंह आदि मौजूद थे।
प्रस्तुत किए गए छात्रों के शोधपत्र
पिथौरागढ़। राष्ट्रीय सेमिनार में मोहित उप्रेती, मोहित बिष्ट, डॉ. दिनेश रावत, हंसा वर्मा, कुमारी शिवानी पांडे, भूपेंद्र सिंह, केतन तिवारी और रीता जोशी आदि छात्र-छात्राओं के भी शोधपत्र प्रस्तुत किए गए। इन शोधपत्रों में कई अहम जानकारियां जानने को मिली। संवाद
पिथौरागढ़। राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय में आयोजित ‘स्वतंत्रता संग्राम में कुमाऊं-गढ़वाल के जननायकों का सामाजिक एवं सांस्कृतिक योगदान’ विषय पर दो दिनी राष्ट्रीय सेमिनार का समापन हो गया है। इस दौरान देश के विभिन्न राज्यों से आए प्राध्यापकों और शोधकर्ताओं के शोधपत्रों का प्रस्तुतीकरण हुआ।
अंतिम दिन तकनीकी सत्र का शुभारंभ मुख्य अतिथि प्रो. प्राचार्य पीएस बिष्ट, प्रो. प्रेमलता पंत और विशिष्ट अतिथि डॉ. डीके मौर्या, डॉ. दीपक तिवारी ने किया। सल्ट कॉलेज के प्राचार्य प्रो. विश्वमोहन पांडेय ने कहा कि उत्तराखंड में लोगों की सोच एवं व्यवहार में अंतर दृष्टिगोचर हो रहा है। गरुड़ाबाज कॉलेज के प्राचार्य डॉ. आरए सिंह ने शोध पत्रों को संकलित कर पुस्तक का रूप देने की वकालत की।
डॉ. दीप चौधरी ने गुमनाम नायकों के योगदान को याद किया। डॉ. नीलम नेगी ने गढ़वाल और कुली बेगार आंदोलन में केसर सिंह के योगदान, रवि आनंद सिंह ने लोकगीत एवं साहित्य का राष्ट्रीय चेतना संग्राम में योगदान, बेड़ीनाग कॉलेज के प्राचार्य प्रो. सीडी सूंठा ने उत्तराखंड के जननायकों और समाचार पत्र पत्रिकाओं के समाज में योगदान पर प्रकाश डाला।
कार्यक्रम संयोजक डॉ.सरोज वर्मा ने सभी का आभार जताया। तकनीकी सत्र की रिपोर्टिंग डॉ. हेम पांडे ने की। इस मौके पर डॉ. नरेंद्र सिंह धारियाल, डॉ. ममता बिष्ट, डॉ. सतीश चंद्र जोशी, डॉ. सुंदर कुमार, डॉ. नीलाक्षी जोशी, डॉ. पुष्पा पंत, डॉ. भानु प्रताप सिंह गौतम, डॉ. मुन्नी पाठक, डॉ. रूप किशोर द्विवेदी, डॉ. एसके आर्य, डॉ.नवीन सिंह रजवार, डॉ. अरुण कुमार चतुर्वेदी, डॉ. कमलेश भाकुनी, डॉ. नंदन सिंह कार्की, डॉ. अमित कुमार जोशी, डॉ. धर्मवीर सिंह आदि मौजूद थे।
प्रस्तुत किए गए छात्रों के शोधपत्र
पिथौरागढ़। राष्ट्रीय सेमिनार में मोहित उप्रेती, मोहित बिष्ट, डॉ. दिनेश रावत, हंसा वर्मा, कुमारी शिवानी पांडे, भूपेंद्र सिंह, केतन तिवारी और रीता जोशी आदि छात्र-छात्राओं के भी शोधपत्र प्रस्तुत किए गए। इन शोधपत्रों में कई अहम जानकारियां जानने को मिली। संवाद
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